शनिवार, 2 जनवरी 2010

तुम्हारी यादें

मैं कैसे भूल जाऊ उसे
दिए जिसने गम
किये जिसने सितम
हर बार दिल पर उठाये हमने ये गम
जिनसे जुदा होकर आँखें हुई थी नम
मैं कैसे भूल जाऊ उसे
दिए जिसने गम, किये जिसने सितम !!१!!


नहीं कह सकता मगर मैं उसको बेरहम
आज भी है वो क्यूंकि दिल के आईने में हरदम
मैं कैसे भूल जाऊ उसे
दिए जिसने गम, किये जिसने सितम !!2!!

हरपाल तड़पता रहता हूँ जिसके बिना मैं सुमन
उसको भूलने को अब पूरी जिन्दगी भी पड़ेगी कम
मैं कैसे भूल जाऊ उसे
दिए जिसने गम, किये जिसने सितम !!3!!


परमार्थ सुमन
5 अक्टूबर, 2000
IOCL बरौनी
8 PM

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