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आत्मसाक्षात्कार एवं नशा-मुक्ति मार्ग का सफर

आज के परिदृश्‍य में हमने खुद को मोबाइल ,  टीवी तथा कम्‍प्‍यूटर की दुनिया से चिपका कर रखा है तथा हम फेसबुक ,  टयूटर ,  वॉटसअप ,  यू-टयूब जैसी कल्‍पनाशील दुनिया में खुद को कैद करके खोए-खोए से रहने लगे हैं। ऐसे में अंतरात्‍मा की गहराई से आने वाले भाव विलुप्‍त होते जा रहे हैं। इन भावों में दैविक शक्ति समाहित रहती है ,  जिससे प्रगतिशील विचारों के साथ-साथ सृजन की क्षमता का भी विकास होता है। सोमवार ,  2 जनवरी , 2012  को मैंने अपने ब्‍लॉग  parmarthsuman.blogspot.in  पर एक ब्‍लॉग लिखा  ' नया साल 2012 : नए संकल्‍प '  और अपने आप से एक संकल्‍प लिया नशा नहीं करने का और मेरे लिए गर्व की बात है कि अगस्त , 2019  में प्रवेश करने के बाद भी आज मैं अपने उस संकल्‍प पर पूरी तरह से कायम हूं। वर्ष 1994 अब तक के मेरे जीवन का सबसे उथल-पुथल करने वाला वर्ष । आत्‍महत्‍या में असफल रहा । इसके बाद जीवन में कोई लड़की नव-जीवन बनकर मेरे दिल में कैद हो गयी। घरेलू समस्‍याओं के साथ - साथ अन्‍य कई प्रकार की मानसिक वेदनाओं से ग्रस्‍त होकर अंतत: मैं इंटर प्रथम वर्ष में पदार्पण करते हुए नशा की दमघुटती राह में अग्रस