बात उन दिनों की है जब मैं 1995 में इंटर पास करके B Sc. (Math) में नामांकन कराया था। उस वक़्त मैंने tuition के लिए आदर्श नगर, सोनारी में कोपरेटिव कालेज के प्रोफेसर के यहाँ अपना नामांकन कराया। मेरे घर से सोनारी की दूरी लगभग 10 किलो मीटर थी। मेरे पास वोही पुरानी साईकिल जो मेरे पापा की थी जिसका उपयोग मैं 1992 से करता आ रहा था। इसी साईकिल से मैंने KMPM स्कूल, बिस्टुपुर जाकर क्लास IX और X की पढाई की और मेट्रिक पास किया, इसी साईकिल से मैं KMPM इंटर कॉलेज, बिस्टुपुर जाकर XI और XII की पढाई की और इंटर पास किया। अब चूँकि मैंने SP कॉलेज, parsudih में Graduation के लिए अपना नाम लिखा लिया था और tuition के लिए मुझे सोनारी जाना पड़ रहा था इसलिए मैंने अपने पापा से एक नयी साईकिल के लिए कहा। ऐसा नहीं कि मैंने अपनी साईकिल के लिए पहली बार अपने पापा से कही हो, ये मैं विगत 4 वर्षों से उनसे कहता आ रहा था, लेकिन मुझे नयी साईकिल नहीं मिल रही थी। मगर इस बार मैं जिद पर आ गया और मैंने भूख हड़ताल कर दी और कहा कि जब तक मुझे नयी साईकिल नहीं मिलेगी मैं खाना नहीं खाऊंगा। अंततः मेरे पापा मुझे लेकर साईकिल खरीदने के लिए घर
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