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ना जाने क्यों

 ना जाने क्‍यों आज भी वक्‍त वहीं ठहरा हुआ लगता है जहां मेरी मोहब्‍बत का कत्‍लेआम हुआ था कभी उसके ही हाथों बेवजह सरेआम जलील हुआ था कभी ना जाने क्‍यों आज भी वक्‍त वहीं ठहरा हुआ लगता है जहां मेरी मोहब्‍बत का कत्‍लेआम हुआ था कभी   ।। 1 ।। वो दिन के उजाले में चांद के ख्‍वाब देखना वो रातों को पलकें खोलकर नगमें मोहब्‍बत के गुनगुनाते रहना ना जाने क्‍यों आज भी वक्‍त वहीं ठहरा हुआ लगता है जहां मेरी मोहब्‍बत का कत्‍लेआम हुआ था कभी ।। 2 ।। वो तेरे दीदार की चाहत में पलकों से अश्‍क बहाते फिरना वो बेबसी की आग में जलकर भी मुस्‍कुराते रहना ना जाने क्‍यों आज भी वक्‍त वहीं ठहरा हुआ लगता है जहां मेरी मोहब्‍बत का कत्‍लेआम हुआ था कभी ।। 3 ।। मेरी बेइंतहा मोहब्‍बत को हासिल आखिर क्‍या हुआ था तभी ना जाने क्‍यों आज भी वक्‍त वहीं ठहरा हुआ लगता है जहां मेरी मोहब्‍बत का कत्‍लेआम हुआ था कभी ।। 4 ।। .....................................................................................................

Match Report : SSBMT Zonal 2013 @CFTRI, Mysore

यह मेरा व्‍यक्तिगत तीसरा जोनल टूर्नामेंट था। हमारी क्रिकेट टीम एक नए कप्‍तान के साथ दिनांक 19, नवम्‍बर से 21 नवम्‍बर, 2013 तक मैसूर में आयोजित होने वाले एसएसबीएमटी जोनल टूर्नामेंट में भाग लेने के लिए 15 नवम्‍बर, 2013 को जमशेदपुर से रवाना हो चुकी थी। इस टूर्नामेंट में मैं पहलीबार एक विकेटकीपर बल्‍लेबाज के रूप में टीम से जुडा था। इस टूर्नामेंट में भाग लेने के लिए 10 अन्‍य प्रयोगशालाओं से नामित खिलाडीगण भाग लेने आ रहे थे जिनके बीच प्रतियोगिता का आयोजन किया जाना था। दो अलग अलग ग्रुप में विभाजित किए जाने के बाद दोनों ग्रुपों से 1 - 1 टीम फाइनल राउण्‍ड के लिए क्‍वालिफार्इ करने वाली थी। फाइनल राउण्‍ड का मुकाबला जनवरी, 2014 को हैदराबाद में होना तय था। पिछले टूर्नामेंट के कसक को भूलाते हुए, नई उम्‍मीद-नया जोश लिए हमारी क्रिकेट टीम रविवार 17 नवम्‍बर, 2013 की सुबह मैसूर पहुंच चुकी थी। उस वक्‍त वहां का वातावरण कुछ ठीक नहीं था। अचानक आई बारिश ने हर किसी को हैरान-परेशान कर रखा था। मैसूर प्‍लेटफार्म पर बारिश से भींगते हुए हमारी टीम नीचे इस आशा के साथ उतर रही थी कि आने वाले 1-2 दिनों में ह