मुझ जैसे कई लोग होंगे जो बेवकूफों की तरह रिश्तों के मायने तलाशते फिर रहे होंगे । पैदा होने से लेकर मरने तक हम कैद रहते हैं रिश्तों के भ्रम जाल में। मां-पिता, भाई-बहन, पत्नी-संतान से लेकर अनगिनत रिश्ते में हम दिन प्रतिदिन फंसते जाते हैं। कहीं हम दूसरों को बेवकूफ बनाते हैं तो कहीं हम दूसरों से बेवकूफ बनते हैं। लोग जाने अनजाने रिश्तों के भ्रम जाल में खुद को कैद करके रखते हैं।
We are all INDIAN before a Hindu, Muslim, Sikh aur Isai or a Bihari, Marathi, Bengali etc. Love to all human being........