सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

दिसंबर 7, 2011 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मुक्ति-बंधन

लगभग 14 वर्षों के वनवास के बाद एक मां कमला देवी की कोख ने पहले संतान के रूप में अपने कुल-दीपक को जन्‍म दिया। पति श्री ओम प्रकाश राय सीआरपीएफ में कार्यरत थे तथा दो भाईयों में छोटे थे। पत्‍नी कम पढी लिखी थी तथा उत्‍तर प्रदेश के गाजीपुर जिला के रेवतीपुर गांव में रहती थी। बचपन से अपने पुत्र को उच्‍च शिक्षा देने तथा अच्‍छा मुकाम हासिल करने की ललक में उस पिता ने अपने कुल-दीपक जिसका नाम दीपक ही रखा था, उसे लगभग 4 वर्ष की ही अबोध उम्र में अपने बडे भाई श्री अरुण कुमार राय, जो कि जमशेदपुर स्थित टाटा स्‍टील की नौकरी कर रहे थे, उनके हाथों सुपुर्द कर दिया। उनके इस फैसले के पीछे काफी बडा बलिदान छिपा हुआ था। अपने कुल के चिराग को बेहतर शिक्षा देकर उसे अपने पैरों पर खडा करके अपने कुल का नाम रौशन करने की ललक ही थी जिसने मां की ममता और पिता के दुलार से वंचित करते हुए उसे यशोदा रूपी मां उर्मिला देवी की गोद में बाल्‍यावस्‍था में ही सौंप दिया। उस समय उर्मिला की अपनी तीन बेटियां ही थी। पुत्र के रूप में दीपक को पाकर वह धन्‍य धान्‍य से परिपूर्ण हो गई थी। इधर एक देवकी रूपी मां कमला देवी पुत्र के विरह में इस इ