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इश्वर, आत्मा और कुछ अनसुलझे रहस्य !

आत्मा, ना जन्म लेती है, ना ही मरती है, और ना ही उसे जलाकर नष्ट किया जा सकता है। ये वो सारी बातें हैं, जो हम गीता स्मरण के कारण जानते और मानतें हैं। हम हिन्दुस्तानी हैं, हम लिखी बातोंपर जल्द ही यकीं कर लेतें हैं और फ़िर हमारे वंशज उसी को मानते चले जातें हैं। हम हिन्दुस्तानी हैं, विश्वास करना हमारे रगों में है, किसी ने कुछ लिख दिया, किसी ने कुछ कह दिया बस हमने उसपर बिना कोई सवाल किए विश्वास कर लिया। हम रामायण से लेकर महाभारत तक तो सिर्फ़ मानकर विश्वास करते ही तो आ रहें हैं। हम शिव से लेकर रावण तक सिर्फ़ विश्वास के बल पर ही तो टिके हुए हैं। हमें हमारे माता-पिता ने बतलाया कि ब्रम्हा, बिष्णु, शिव, राम, हनुमान, गणेश, विश्वकर्मा, काली, दुर्गा आदि हमारे भाग्य विधाता हैं और हमने हिन्दुस्तानी का धर्म निभाते हुए ये मान लिए कि वे इश्वर हैं, हमारे भाग्य विधाता हैं। जब कोई विपत्ति कि बेला आई हमने उनका ध्यान करना आरम्भ कर दिया। बिना कोई सवाल किए हमने उनको इश्वर मानना आरम्भ कर दिया और फिर येही परम्परा बन स्थापित हो गई। ये ही दुहराव फिर हम भी अपने-अपने संतानों के साथ करेंगे, जो हमारे साथ किया गया।

हमारे हिंदू समाज में दशरथ पुत्र राम को ना सिर्फ़ इश्वर का दर्जा प्राप्त है अपितु उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम का सम्मान भी दिया जाता है। बचपन से लेकर आज तक मेरे अन्तःमन में राम के इश्वर और मर्यादा पुरुषोत्तम को लेकर कई सवाल उभरतें रहें हैं, किंतु आज तक किसी ने मेरे उन सवालों का मुझे संतुष्ट करने लायक जवाब नहीं दिया।

* अयोध्या में राम राज्य की स्थापना राजा राम ने नहीं बल्कि उनके छोटे भाई भरत ने की थी, और यह वो समय था जब राम वनवास में थे और उनके भाई भरत अयोध्या की बागडोर संभल रहे थे।
* बाली का वध राम ने छुपकर किया था वो भी सुग्रीव के निकटता के कारण जबकि सुग्रीव और बाली की निजी शत्रुता थी। छुपकर किया गया बाली का वध राम के इश्वर चरित्र और मर्यादा पुरुषोत्तम चरित्र को कलंकित करता है।
* लंका में अग्नि द्वारा अपनी पत्नी सीता के चरित्र का सत्यापन करने के बावजूद बिना बताये अपनी पत्नी सीता का परित्याग कर उसे अपने भाई लक्ष्मण द्वारा जंगल में अकेला छोड़ देना उनके इश्वर चरित्र और मर्यादा पुरुषोत्तम चरित्र को कलंकित करता है।
और भी ऐसे कई उदहारण हैं जो राम के इश्वर और मर्यादा पुरुषोत्तम चरित्र के ऊपर प्रश्न अंकित करता है। येही कारण है की मैं व्यक्तिगत रूप से उन्हें इश्वर नहीं मानता।

ऐसे ही कई सवाल कृष्ण को इश्वर मानने से लेकर है। मुझे पता है यदि कोई इनके इश्वर चरित्र पर सवाल मात्र उठाए तो हमारे हिंदुस्तान तो मानो भूचाल ही आ जाएगा। क्या हमें हक़ नहीं अपनी परम्पराओं को सार्थक रूप देने का। क्या हमें हक़ नहीं विश्वास करने से पहले उसके बारे में जानने का।

हम आत्मा की बात करतें हैं। एतिहासिक संदर्भो के आधार पर हम मानते चले आ रहें है की ये अजन्मा है, ये अविनाशी है, ये अजर - अमर है। मेरा व्यक्तिगत दृष्टिकोण कुछ अलग ही है।

* यदि आत्मा जन्म नही लेती तो फ़िर ये जनसँख्या निरंतर इतनी बढ़ क्यों रही है? नए लोग जो पैदा हो रहें हैं वे आत्माएं कहाँ से आ रहीं हैं?

इन्ही आत्मा-paramatmaon के कारण हम मनुष्यता को बिल्कुल ही भूलते जा रहें हैं। हम हिंदू हैं, वो मुस्लिम है, वो सिख है, वो इसाई है। क्या हो रहा है यहाँ? क्यों हो रहा है ये सब? कौन है इन सब के पीछे? एक सवाल मगर कोई जवाब नही :?
* कई गैर मुस्लिम लोग महज इस कारण की मांस कटाने वाला कोई मुस्लमान है, उससे मांस नहीं खरीदता, उनका मानना है की मुस्लिम मांस हलाल करके काटते हैं जिससे मरने वाला जानवर को धीरे धीरे करके मारा जाता है। मेरा ये मानना है की जानवर की किसी प्रकार से मारा जाए अंततः वो मारा तो जाता ही है, फिर उसके मारे जाने के तरीकों पर सवाल खड़े करना कहाँ तक शोभा देता है। एक तो आप जानवर के मृत शरीर के टुकड़े (मांस) को खाने जा रहें हैं और फिर ये भी सोचने बैठतें हैं की इसे कितनी पीडा से मारा गया है। है ना क्या दिलचस्प सवाल?

कई सवाल हैं मेरे अंतर्मन में जो जवाब की प्रतीक्षा में हैं।
आप अपने राय जरुर कमेन्ट में लिखें।

टिप्पणियाँ

mandalss ने कहा…
very nice suman ,keep on i wish you all the best.
thank you
सौरभ आत्रेय ने कहा…
* राम ईश्वर नहीं एतिहासिक महान पुरुष मर्यादा पुरषोतम ही थे जिनकी प्रेरणा से और उन्ही के आदर्शो पर चल करके ही उनकी अनुपस्थिति में भरत ने राज्य संभाला हुआ था.

*बाली का वध किस तरीके से हुआ ये तो सत्य में वाल्मीकि रामायण से ही मिलेगा क्यूंकि अभी जो हम रामायण की कथा सुनते हैं उसमें अधिकतर कहानियाँ असत्य हैं. किन्तु यदि ये माना भी जाए राम ने छिपकर वार किया है तो वो ये दर्शाता है की जैसे को तैसा यदि कोई दुष्ट और छली है तो उसको छल से मारना भी पाप नहीं है. समय को व्यर्थ न करते हुए दुष्टता को जल्दी से समाप्त कर देना ही उत्तम है.

*सीता का अग्नि परिक्षण और उनको छोड़ना वाल्मीकि रामायण में नहीं लिखा है ऐसा विद्वजन बताते हैं और भी बहुत सी ऐसी असत्य कहानियाँ रामायण, महाभारत आदि ग्रंथो में जोड़ी गयी हैं.

*कौन से हमारे ग्रन्थ में लिखा है आत्मा जन्म नहीं लेती वरन ये तो केवल हिन्दू दर्शन में ही है आत्मा पुनर्जन्म लेती है हाँ वो अजर है अमर है ये बात भी सत्य है मेरा विचार है आपको अपने ग्रंथो का गहन अध्यन करने की आवश्यकता है आप ऊपरी तौर पर सुनी-सुनाई और अधकचरे ज्ञान की बात कर रहे हैं.

*वो हिन्दू है, वो मुस्लिम है ये बात हिन्दू नहीं बाकी सभी करते हैं यदि हिन्दू ऐसा कहते भी हैं तो उसके पीछे कुछ ठोस तथ्य हैं जिनका अन्वेषण करके देखिये.

*मांस खाना हिन्दू धर्म में या मानवता की द्रष्टि से पाप ही है जो मांस खाते हैं और कहते हैं हलाल का मांस खाने में ही पाप हैं तो वो अपने पाप को छिपाने का प्रयास करते हैं और हिन्दू होने का पालन नहीं करते हैं . हलाल का हो या झटके का वो हर द्रष्टि से गलत ही है.
ajay kumar Gupta ने कहा…
nice to visit ur blog, material by u so much debateable, suman plz dont mind i would like to go with Mr.Saurav attreya's view. Hope u will bring much more interesting topics in future, u visit one site namely Proud to be a Sikkim, of my friend Shital, hope ur and his view will rock not only india but the whole world.
arbind ने कहा…
mai apko hint dena chahata huu....
1>man lijiye ki aap prithabi ke aisy jagah par hai jaha us samay rat kqa samaye hai. aap ke pas kewal ek prakas ke tawur par sirf ek torch hai.Pury andhere me torch ke jalne se aap waha ke bare me aakho se dekh kar samajh sakte hai ki aap kis jagaha par hai, aur waha kya ho raha hai.Lekin agar waha se kuch door par jaha prkash nahi hai waha ke bara me aap se janne ki koshish kare to aap kahege ki waha kuch bhi nahi hai. Aisa esliye keuki aap waha dekh nahi sakte.eska matalab ye nahi hai ki waha kuch nahi hai ya kuch nahi ho raha hai.Ye prkash prithibi ke ~=.000009% bhi nahi hai.Esi tarah simit prkash rupi gyan me ham bahut apne aap ko budhiman smajhate hai lekin sach to ye hai ki ham 1% duniya ke bare me nahi jante.
example :
1> neutan ke pahle bhi grutwakarsan bal tha lekin kise pata tha.
2> prithabi gomti hai suraj nahi
ese bhi kisi ne bataya hai.

naot :
mai ye batana chahata hu ki ye sabhi gyan pahle ke logo ne hi ki thi ham bas use mante a rahe hai
aap ke jawab hai ki aap ke par dada ya unke dada ne kya kaha tha (wektigat )jo aapko pata hai ya unke nam bhi yad hai lekin aap ko ramayan ya mahabharat ki kahaniya pata hai. aisa esliye kewki ye sach hai
Unknown ने कहा…
Suman Ji Aap pahle ramayan,mahabharat aur purano ko pade aapko apne Question mil Jayege..................
Unknown ने कहा…
Suman Ji Aap pahle ramayan,mahabharat aur purano ko pade aapko apne Question mil Jayege..................
Suresh ने कहा…
Ha Ram ji Bhagwaan hain
1. Mahatama Bharat ne Ram ji ke Jane ke baad Ayodhya me Ram Rajya Sthapit kiya Ram ji ke aadarshon ko jaante hue.
2. bali ka vadh unhone chhup ke kyoun kiya? Bali ek vanar matlab jaanver tha aur Ram ek Manushya ke roop me the Jaanver ko chhup ke hi mara jata hai aap kisi ko bhi puch lo shikar chhup ke hi kiya jata hai.
3. Jab unhone Mata seeta ka tyag kiya tab ve sirf ram nahi balki raja Ram the aur jab praja un par sawal utha rahi thi toh unhone jo kiya vo Raj dharm hai
Jaise aaj ke yug me rajneeti me kisi par bhi koi aarop lagta hai toh turant usse se resignation manga jata hai aur agar vo resignation de deta hai toh use achcha aacharan mana jata hai.
aap ye yad rakhiye ki Ram Bhagwaan hain lekin vai ek manushya ke roop me hain toh unhone vahi kiya jo ek manushya ke maryada me hota hai ishiliye unhe maryada purushottam kaha jata hai....
aasha hai ki aap ke kuch prasno ka jawab mila hoga...



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