दिल पूछता है खुद से
आखिर मोहब्बत हुई ही क्यों
एक संगदिल बेरहम से
उसके इंतजार में दिल
अक्सर तड़पता रहता है
हर शख्स में दिल उसकी ही
तस्वीर ढूंढता फिरता है
मेरे अरमानों का मगर
उसपर कुछ भी असर नहीं
दिल पूछता है खुद से
आखिर मोहब्बत हुई ही क्यों
एक संगदिल बेरहम से
बेजुबान दिल अक्सर ही
कराहता रहता है
अपने जख्मी दिल को
खुद ही संभालता फिरता है
मेरे जज़्बातों का मगर
उसे कुछ भी कद्र नहीं
दिल पूछता है खुद से
आखिर मोहब्बत हुई ही क्यों
एक संगदिल बेरहम से
मेरे दिल के मंदिर में
नित नए फूल खिलते रहते हैं
हकीकत मे न सही
ख्वाबों में हम मिलते रहते हैं
मेरी हसरतों का मगर
उसे कोई फिक्र नहीं
दिल पूछता है खुद से
आखिर मोहब्बत हुई ही क्यों
एक संगदिल बेरहम से
We are all INDIAN before a Hindu, Muslim, Sikh aur Isai or a Bihari, Marathi, Bengali etc. Love to all human being........
बुधवार, 5 मार्च 2014
एतबार
मेरी सच्ची मोहब्बत पर
तुझको क्यों एतबार नहीं
मेरे कसमें वादों पर
तुझको क्यों एतबार नहीं
मेरी सच्ची मोहब्बत पर
तुझको क्यों एतबार नहीं ।। 1 ।।
हम ढूंढते फिरते हैं खुशियाँ
तेरी ज़ुल्फों की छांव में
मेरे अरमानों का घरौंदा तोडने वाले
तुझसे क्यों मैं नाराज नहीं
मेरी सच्ची मोहब्बत पर
तुझको क्यों एतबार नहीं ।। 2 ।।
नादान सी चाहत में
तलाश रहा हूँ अनाम रिश्ते
जीवन की इस आपाधापी में
तू क्यों मेरी हमराज नहीं
मेरी सच्ची मोहब्बत पर
तुझको क्यों एतबार नहीं ।। 3 ।।
तेरी झील सी निगाहों में
बिखरे पडे हैं ख़्वाब सारे
मेरी सांसों में समानेवाली
तुझको क्यों मुझसे प्यार नहीं
मेरी सच्ची मोहब्बत पर
तुझको क्यों एतबार नहीं ।। 4 ।।
तेरा साथ
तड़पता हूँ, सिसकता हूँ
तेरी मोहब्बत में बहकता हूँ
तूझसे नाराज होकर भी
तेरी यादों को ही साथ लिए चलता हूँ
तड़पता हूँ, सिसकता हूँ
तेरी मोहब्बत में बहकता हूँ
तेरी नादानियों से रूसवा होकर भी
तेरे दर पर ही आकर ठहरता हूँ
तड़पता हूँ, सिसकता हूँ
तेरी मोहब्बत में बहकता हूँ
तेरी गलतफहमियों से परेशान होकर भी
तेरे आगोश में ही सर अपना छुपाता हूँ
तड़पता हूँ, सिसकता हूँ
तेरी मोहब्बत में बहकता हूँ
तेरी मोहब्बत में बहकता हूँ
तूझसे नाराज होकर भी
तेरी यादों को ही साथ लिए चलता हूँ
तड़पता हूँ, सिसकता हूँ
तेरी मोहब्बत में बहकता हूँ
तेरी नादानियों से रूसवा होकर भी
तेरे दर पर ही आकर ठहरता हूँ
तड़पता हूँ, सिसकता हूँ
तेरी मोहब्बत में बहकता हूँ
तेरी गलतफहमियों से परेशान होकर भी
तेरे आगोश में ही सर अपना छुपाता हूँ
तड़पता हूँ, सिसकता हूँ
तेरी मोहब्बत में बहकता हूँ
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