बेचारा शब्द से न जाने मुझे क्यों घृणा सी हो गई है। इस शब्द का उपयोग दूसरों पर करने से पहले मैं सौ बार सोचता हूँ क्योंकि मैं खुद को इस शब्द का पर्यायवाची समझता हॅूं। हर रिश्ते नाते से जुडा हुआ हॅूं मगर फिर भी अकेलेपन की अनुभूति होती रहती है। माता-पिता, भाई-बहन, चाचा-चाची सभी हैं आस-पास इसके बावजूद हर वक्त अकेलेपन का आभास होता है। रिश्ते नाते किसी सागर की लहरों की भांति चोट करते रहते हैं। इन सबके बीच मैं अकेला खडा चोटिल होता हुआ महसूस करता रहता हूँ। लोग नित नए रिश्ते बनाते हैं मगर मैं रिश्ते नातों की दुनिया से दूर रहने की कोशिश करता रहता हॅूं क्योंकि वक्त के थपेडे ने मुझे कटु सत्य से परिचय करा दिया है।
We are all INDIAN before a Hindu, Muslim, Sikh aur Isai or a Bihari, Marathi, Bengali etc. Love to all human being........