आज फिर से तुम्हारी यादों ने हमें बेजार कर दिया। मैंने एक बार फिर से अपने गुजरे जमाने 1994 से लेकर अब तक के बीच के पलों के दौरान घटित हुए सभी दृष्यों का एहसास किया। बहुत याद किया तुम्हे इतना याद किया कि इसे शब्दों में लिखने के लिए आज रविवार होते हुए भी कंप्यूटर पर आकर मैं बैठ गया। ... तुम कहाँ हो, कैसी हो, क्या कर रही हो? कुछ भी मुझे मालूम नहीं, सिर्फ मुझे इतना पता है मेरे दिल से तुम्हारी मोहब्बत लुप्त होने का नाम ही नहीं ले रही है। मैं खुश हूँ कारण कि मैं इतना जानता हूँ कि तुम जहाँ भी होगी अपनी जिंदगी खुशहाल जी रही होगी। मेरी तो हालात ऐसी है कि मैं किसी से तुम्हारे बारे में पूछ भी नहीं सकता। मेरे दिल में अब तुम्हारे दीदार की ख्वाहिश भी नहीं, तुमसे बातें करने की अब कोई वजह भी नहीं। फिर भी ना जाने क्यूं तुम्हारी यादें मुझे इतना तडपती हैं। मैं बेचैन सा हूँ। मैं परेशान सा हूँ। किसी से अपने दिल की बातें बता भी नहीं पा रहा हूँ। इतना कुछ होने के बाद मैं यही समझ पाया हूँ कि मुझे शादी नहीं करनी चाहिए थी। मैं जिंदगी को दोहरी मानसिकता से जी रहा हूँ। मेरी पत्नी है, एक बेटा है दोनों के प्रति मेरा ग
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