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मैं और मेरा अहंकार

बीते 30 मार्च, 2015 को अंतत: मैंने अपनी माँ को हमेशा-हमेशा के लिए खो दिया।  वह चली गई, इस दुनिया को छोडकर हमेशा के लिए और अपने पीछे छोड गई मेरे लिए कई सवाल जिसके जवाब मैं खुद से पिछले कई दिनों से करता फिर रहा हूं।  इन बीते 31 दिनों के खुद से सवाल-जवाब का निष्‍कर्ष यही है कि मेरे अंदर के अहंकार ने मुझसे मेरी मां को कम से कम 15 साल पहले जुदा कर दिया। मैंने अपने अहंकार की वजह से अपनी उस मां को हमेशा-हमेशा के लिए खो दिया, जो दुनिया में सबसे ज्‍यादा मुझे मानती थी, सबसे ज्‍यादा मुझसे प्‍यार करती थी।  खुद को सही मानकर सिर्फ और सिर्फ अहंकार की वजह से ही नहीं झुकने की सजा मुझे इतनी बडी मिली है, इसका एहसास आज जाकर मुझे हो रहा है। मैं आज बीच में दूसरों की बात बिलकुल भी नहीं करना चाहता, आज सिर्फ और सिर्फ मैं और मेरी मां के बीच की बात हो रही है, कोई बीच में नहीं, बिलकुल भी नहीं।  मैंने अपनी उस मां को अपने अहंकार/अहम/दंभ  की वजह से खो दिया है जो मेरे जीवन की सारी सफलताओं की जिम्‍मेदार थी। मेरा बचपन में स्‍कूल जाना, हाईस्‍कूल में पढाई जारी रखना, कम्‍प्‍यूटर सीखना आदि सारी सफलताओं में मां