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अप्रैल, 2011 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

आधुनिक स्‍वतंत्रता संग्राम

चुप बैठे, खामोश रहें अब हमें ये गंवारा नहीं समस्‍याओं को सुलझाने में अब नेताओं का लेना सहारा नहीं उमड पडी है जन शक्ति अब अण्‍णा के मार्गदर्शन में चुप बैठे, खामोश रहें अब हमें ये गंवारा नहीं जन लोकपाल विधेयक लाकर अब भ्रष्‍टाचार को आगे बढाना नहीं एकजुट हो गयी है जन शक्ति अब अण्‍णा के मार्गदर्शन में चुप बैठे, खामोश रहें अब हमें ये गंवारा नहीं गोरे अंग्रेजों से लडकर हमने एक आजादी पायी है काले अंग्रेजों से लडकर हमें अब फिर से आजादी पानी है संगठित हो गए हैं हिन्‍दुस्‍तानी अब अण्‍णा के मार्गदर्शन में जय हिन्‍द, जय भारत

अण्णा हजारे जी को मेरा शत-शत नमन

अंतत: हम जीत गए । जन शक्ति ने अपना खेल दिखा ही दिया । अण्‍णा जी एवं उनकी पूरी टीम को पूरी हिन्‍दुस्‍तान की जनता की तरफ से बधाई । पिछले कई वर्षों से ऐसा लग रहा था जैसे कोई नहीं जो आम आदमी की बात सुने, कोई नहीं जो आम आदमी की परेशानी को समझ सके। सारा हिन्‍दुस्‍तान त्राहिमाम त्राहिमाम कर रहा था मगर उपर बैठे लोगों के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही थी। लोग खुद को बेबस-लाचार महसूस कर रहे थे। ऐसी परिस्थिति में अण्‍णा जी के आंदोलन ने वो कमाल कर दिया जैसे लगा सचमुच हम आजादी की दूसरी लडाई लड रहे हों । अदभुत वाकई अदभुत-अभूतपूर्व रहा। आम जनता की जीत हुई । अण्‍णा जी एवं उनकी पूरी टीम को इसके लिए बधाई। हमें आशा है न सिर्फ भ्रष्‍टाचार अपितु समाज में फैले सभी प्रकार की समस्‍याओं के निराकरण के लिए उनका मार्गदर्शन हमें मिलता रहेगा।

अन्‍ना हजारे और आधुनिक स्‍वतंत्रता संग्राम

पिछले तीन दिनों से अन्‍ना हजारे अनशन पर बैठे हुए हैं। उन्‍होंने पिछले तीन दिनों से कुछ भी खाया पीया नहीं है मगर इस दौरान हमारे देश के 120 करोड की आबादी के अधिकांश लोग अपना जीवन पूर्व की तरह ही जिए जा रहे हैं जिसमें मैं खुद भी शामिल हॅूं। पिछले तीन दिनों के दौरान जब भी कुछ खा पी रहा हॅूं मेरे जेहन के सामने एक चेहरा अकस्‍मात ही नजर आ रहा है वह फिर मैं अपने आप को धिक्‍कारने लगता हॅूं। मुझे आत्‍मग्‍लानि महसूस हो रही है। मुझे ऐसा लग रहा है कि मैं वर्ष 1947 के पहले के समय में हॅूं और जबकि समूचा देश स्‍वतंत्रता संग्राम के लिए आंदोलनरत है मैं अंग्रेजों की वफादारी में अपना समय काट रहा हूँ। मुझे समझ में नहीं आ रहा कि मैं अपने आप को देशहित के लिए जारी इस आंदोलन में किसी प्रकार शरीक करूँ। मैं क्‍या करूँ, कहां जाएं, किस प्रकार अन्‍ना हजारे के समर्थन में अपने हाथ उठाउं, किसका-कहां विरोध करूँ। आज फिर से एक बार देश को भ्रष्‍टाचार की गुलामी से छुटकारा दिलाने के लिए एक और गांधी हमारा मार्गदर्शन कर रहे हैं मगर मैं खुद को विवश पा रहा हॅूं इस आंदोलन का हिस्‍सा नहीं बन पाने के कारण। जन लोकपाल विधेयक को पारि

आखिर कब तक.........।

कब से सूरज अस्‍त होगा, कब ऐ जिन्‍दगी खतम होगी, कब ऐ सांसें जुदा होगी शरीर से, कब आखिर कब तुम्‍हारे पास होने का एहसास होना बंद होगा.........।