शनिवार, 26 नवंबर 2011

जीवन मृत्यु : एक कटु सत्य

दिनांक 24 नवम्‍बर की रात 11 बजे के करीब मैं जमशेदपुर वापस आया हॅूं। बीता एक सप्‍ताह मेरे जीवन का न भूलने वाला समय रहा।  इस दौरान वह सब कुछ हुआ जिसकी कल्‍पना मैंने कभी नहीं की थी।

दिनांक 18 नवम्‍बर के दोपहर 3 बजे के करीब मुझे मेरे ससुराल वालों की तरफ से यह जानकारी दी गयी कि मेरा बडा साला दीपक जो कि वर्तमान में पुणा के किसी मल्‍टीनेशनल कम्‍पनी में साफ्टवेयर इंजीनियर के पद पर कार्यरत था, वह गोवा में दुर्घटनाग्रस्‍त हो गया है तथा आईसीयू में एडमिट है। मैं तुरंत ही बिष्‍टुपूर स्थित अपने ससुराल पहुंचा तो मुझे विस्‍तार से जानकारी दी गयी कि दीपक तथा उसके कई अन्‍य पुराने साथी संगी अलग-अलग जगहों से मिलने जुलने के लिए गोवा गए थे जहां समंदर में नहाने के दौरान हादसा हुआ और वह आईसीयू में गंभीर अवस्‍था में एडमिट हैा 

यह जानकारी गोवा से उसके दोस्‍तों ने ही फोन द्वारा मेरे ससुराल में दी गयी थी। अचानक हुए इस अप्रिय वारदात ने मेरे ससुराल के लोगों को मानसिक आघात पहुंचा दिया था। आनन फानन में कोलकाता से मुंबई होते हुए गोवा के हवाई मार्ग का टिकट कटाया गया तथा रात के 1 बजे मैं अपने ससुर जी तथा छोटा साला के साथ सडक मार्ग से कोलकाता के लिए निकला तथा सुबह 7.30 बजे के करीब कोलकाता एयर पोर्ट हमलोग पहुंचे। वहां से हवाई मार्ग द्वारा हमलोग गोवा के लिए निकले। दोपहर के करीब 2 बजे हमलोग गोवा एयरपोर्ट के बाहर थे। वहां पहले से दीपक के कुछ दोस्‍त मौजूद थे। हमें देखते ही उनलोगों ने एक गाडी हायर की तथा हमलोगों से कहा कि चलिए पहले होटल चलते हैं आपलोग फ्रेश हो जाईए। इस बात पर मैं दीपक के एक दोस्‍त रत्‍नेश को साइड ले गया तथा उससे कहा कि क्‍या बात करते हो हमारे फ्रेश होने की चिंता मत करो पहले दीपक जिस अस्‍पताल में एडमिट है वहां ले चलो। मेरे इस बात पर रत्‍नेश मुझसे चिपककर रोने लगा और उसकी बंद जुबान ने लगभग सबकुछ बयां कर दिया कि दीपक अब इस दुनिया में नहीं रहा। अचानक मेरी निगाहों के सामने अंधकार सा छा गया। मेरी सांसे कुंद हो गई। मुझे समझ में नहीं आ रहा था मैं क्‍या करूँ। मेरे साथ मेरे ससुर जी और छोटा साला था। मैं चाहकर भी फूट फूटकर रो नहीं पाया। मैं खामोशी की चादर ओढकर गाडी में बैठ गया। लगभग 45 मिनट के बाद हमलोग गोवा के किसी होटल के अंदर थे। इस दौरान मुझे विस्‍तार से जानकारी देते हुए बताया गया कि दीपक 18 नवम्‍बर की सुबह की गोवा पहुंचा था और फिर सुबह नाश्‍ता करने के बाद सभी दोस्‍त बाघा बीच पर समंदर के पानी के साथ खेलने पहुंच गए। 10.30 बजे का लगभग समय रहा होगा। कुछ ही मिनटों के बाद पानी की लहर आयी और अपने साथ वापस जाते वक्‍त दीपक और उसके पांच अन्‍य दूसरे दोस्‍तों को भी घसीट ले गई। किनारे पर खडे कोस्‍ट गार्ड के जवान मोटर वोट लेकर मदद को गए भी और कुछ ही मिनटों की मेहनत के बाद सारे के सारे लोगों को वापस किनारे पर ले आए मगर इसी दौरान दीपक को बचाया नहीं जा सका। दीपके के मुंह तथा नाक में समंदर का रेत भर गया था काफी कोशिश करने के बावजूद उसे बचाया नहीं जा सका। आनन फानन में उसे स्‍थानीय समीप के नर्सिंग होम में भी ले जाया गया मगर वह तो पहले ही ..........................

दीपक जो कि लगभग दो वर्ष पहले ही नागपुर के इंजीनियरिंग कॉलेज से अपनी डिग्री कमप्‍लीट कर पुणा के एक मल्‍टीनेशनल कम्‍पनी में बतौर साफ्टवेयर इंजीनि‍यर के पद पर तैनात हुआ था। महज 23 वर्ष का युवा अपने कांधे पर अपने परिवार के कई सपनों को हकीकत में अमली जामा पहलाने की कोशिश करने में जुटा ही था कि यह घटना घटित हो गयी।

दीपक से मैं व्‍यक्तिगत रूप से काफी नजदीक रहा था। अक्‍सर ही वह मुझे और मैं उसे फोन करता तथा हमारी अक्‍सर नेट चार्टिंग से बातें भी हुआ करती थी। न जाने ईश्‍वर ने उसे क्‍यों काल के गाल में समा दिया। मैं जीवन पर्यन्‍त उसे भूला नहीं पाउंगा।

सचमुच हमारे हाथों में तो कुछ भी नहीं हमलोग तो महज कठ पुतली भर हैं हमें नचाने वाला तो कोई और उपर बैठा है जिसके हाथों में हमारी बागडोर थमी हुई है।

सागर की लहरें
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सागर की लहरों ने
छीन लिया जीवन
साथी-संगी छूट गए
सपने कई टूट गए
सागर की लहरों ने
छीन लिया जीवन ।।1।।

सागर के किनारों पर
बिखरे पडे मोतियों के बीच
एक कोख सूनी रह गई
एक मांग खाली ही रह गई
सागर की लहरों ने
छीन लिया जीवन ।।2।।

सागर की लौटती धाराओं में
जीवन भर का अब इंतजार
मां की सूनी आंखों को
बहन की सूनी कलाइयों को
सागर की लहरों ने
छीन लिया जीवन ।।3।।

रेत के महल की तरह
सब कुछ धाराशाही हो गया
पापा के वो ख्‍वाब सारे
आंखों में ही संजोए रह गए
सागर की लहरों ने
छीन लिया जीवन ।।4।।

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ईश्‍वर दीपक की आत्‍मा को शांति प्रदान करे।