दिनांक 24 नवम्बर की रात 11 बजे के करीब मैं जमशेदपुर वापस आया हॅूं। बीता एक सप्ताह मेरे जीवन का न भूलने वाला समय रहा। इस दौरान वह सब कुछ हुआ जिसकी कल्पना मैंने कभी नहीं की थी। दिनांक 18 नवम्बर के दोपहर 3 बजे के करीब मुझे मेरे ससुराल वालों की तरफ से यह जानकारी दी गयी कि मेरा बडा साला दीपक जो कि वर्तमान में पुणा के किसी मल्टीनेशनल कम्पनी में साफ्टवेयर इंजीनियर के पद पर कार्यरत था, वह गोवा में दुर्घटनाग्रस्त हो गया है तथा आईसीयू में एडमिट है। मैं तुरंत ही बिष्टुपूर स्थित अपने ससुराल पहुंचा तो मुझे विस्तार से जानकारी दी गयी कि दीपक तथा उसके कई अन्य पुराने साथी संगी अलग-अलग जगहों से मिलने जुलने के लिए गोवा गए थे जहां समंदर में नहाने के दौरान हादसा हुआ और वह आईसीयू में गंभीर अवस्था में एडमिट हैा यह जानकारी गोवा से उसके दोस्तों ने ही फोन द्वारा मेरे ससुराल में दी गयी थी। अचानक हुए इस अप्रिय वारदात ने मेरे ससुराल के लोगों को मानसिक आघात पहुंचा दिया था। आनन फानन में कोलकाता से मुंबई होते हुए गोवा के हवाई मार्ग का टिकट कटाया गया तथा रात के 1 बजे मैं अपने ससुर जी तथा छोटा सा
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