क्यों ख्वाबों की दुनियां में
हमें तुम दूर ले जाती हो
क्यों अनजान राहों में
हमें तुम अपना हमसफर बनाती हो
क्यों मोहब्बत के नगमें
हमें तुम सुनाती हो
क्यों पास अपने बुलाकर
हमें तुम अपनेपन का एहसास दिलाती हो
क्यों अपनी ज़ुल्फों की छांव में
हमें तुम सुलाती हो
क्यों झील सी निगाहों में
हमें तुम वफा के मंजर दिखाती हो
क्यों बांहों में बांहें डालकर
हमें तुम साथ जीने-मरने की कसमें खिलाती हो
क्यों ख्वाबों की दुनियॉं में
हमें तुम दूर ले जाती हो ।।