रविवार, 1 दिसंबर 2013

Match Report : SSBMT Zonal 2013 @CFTRI, Mysore

यह मेरा व्‍यक्तिगत तीसरा जोनल टूर्नामेंट था। हमारी क्रिकेट टीम एक नए कप्‍तान के साथ दिनांक 19, नवम्‍बर से 21 नवम्‍बर, 2013 तक मैसूर में आयोजित होने वाले एसएसबीएमटी जोनल टूर्नामेंट में भाग लेने के लिए 15 नवम्‍बर, 2013 को जमशेदपुर से रवाना हो चुकी थी।

इस टूर्नामेंट में मैं पहलीबार एक विकेटकीपर बल्‍लेबाज के रूप में टीम से जुडा था।
इस टूर्नामेंट में भाग लेने के लिए 10 अन्‍य प्रयोगशालाओं से नामित खिलाडीगण भाग लेने आ रहे थे जिनके बीच प्रतियोगिता का आयोजन किया जाना था। दो अलग अलग ग्रुप में विभाजित किए जाने के बाद दोनों ग्रुपों से 1 - 1 टीम फाइनल राउण्‍ड के लिए क्‍वालिफार्इ करने वाली थी। फाइनल राउण्‍ड का मुकाबला जनवरी, 2014 को हैदराबाद में होना तय था।
पिछले टूर्नामेंट के कसक को भूलाते हुए, नई उम्‍मीद-नया जोश लिए हमारी क्रिकेट टीम रविवार 17 नवम्‍बर, 2013 की सुबह मैसूर पहुंच चुकी थी। उस वक्‍त वहां का वातावरण कुछ ठीक नहीं था। अचानक आई बारिश ने हर किसी को हैरान-परेशान कर रखा था। मैसूर प्‍लेटफार्म पर बारिश से भींगते हुए हमारी टीम नीचे इस आशा के साथ उतर रही थी कि आने वाले 1-2 दिनों में हालत सामान्‍य हो जाएंगे और टूर्नामेंट अपने रंग में आ जाएगा।
18 जनवरी, 2013 को टूर्नामेंट का रंगारंग उदघाटन किया गया तथा शाम को आयोजित टीम मैनेजेर की बैठक में मुझे यह जानकारी दी गयी कि मैच 20 ओवरों की बजाय 15-15 ओवरों का कराया जाएगा तथा 10 की बजाय 8 प्रयोगशालाओं के भाग लेने की जानकारी दी गयी। इस बैठक के  दौरान ही 8 टीमों को दो अलग-अलग ग्रुपों में बांट दिया गया ।
पहला मैच NML Vs CIMFR @19.11.2013
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15-15 ओवरों वाले इस मैच में टॉस हारकर हमें पहले बल्‍लेबाजी का न्‍यौता मिला। इस मैच में हमारी ओपनिंग जोडी नहीं चल सकी तथा सिर्फ कप्‍तान विजय आनंद मुखी को छोडकर बाकी सारे टाप आर्डर धराशाही हो गए, जिसमें मैं खुद भी शामिल था।
यहां जमशेदपुर में वर्ष 2012 के बाद इस वर्ष 2013 में भी लोकल टीम से हुए चार मुकाबले में जहां मैंने अपनी जिंदगी का दूसरा शतक ठोंक रखा था वहीं एक मैच में एक हाफ सेंचुरी भी लगायी थी मगर वह सब कुछ शायद वहीं जमशेदपुर में छोड आया था। न जाने क्‍यों पहली ही गेंद पर छक्‍का मारने की पुरानी आदत नहीं छोड पाया या फिर अपने बेटे सिददार्थ को वहां नहीं ले जा पाया जो मुझे मेरी गलती पर शर्मिंदा करना नहीं छोडता है इसलिए मैं एक बार फिर अपने बल्‍ले से नाकाम रहा।
नीचे आने वाले गेंदबाजों रविन्‍द्र नाथ बेहरा, एम अम्‍मासी आदि ने अपनी बल्‍लेबाजी से कमाल का प्रदर्शन करते हुए टीम को सम्‍मानजनक स्‍कोर 15 ओवरों में 98 तक पहुंचाया।
इसके बाद का काम हमारे गेंदबाजों ने धारदार प्रदर्शन करते हुए कर दिया। अपनी बल्‍लेबाजी से  नाकाम रहे ओपनल बल्‍लेबाज बीरेन्‍द्र कुमार के साथ रविन्‍द्र नाथ बेहरा, एम अम्‍मासी तथा विजय आनंद मुखी ने अपने गेंदबाजी के दम पर  इस लो स्‍कोर मैच में भी टीम को 20 रनों से जीत दर्ज करायी।
इस मैच के मैन ऑद द मैच रहे हमारे टीम के कप्‍तान विजय आनंद मुखी जिन्‍होंने अपने बल्‍लेबाजी के साथ-साथ गेंदबाजी में भी अपना दम दिखाया।
कुल मिलाकर यह जीत पूरी टीम के सम्मिलित प्रयास से मिली। इस जीत ने यह साबित कर दिया कि टीम एनएमएल का टेल अंडर भी अपने आप में शक्तिशाली है।
दूसरा मैच NML Vs IIP @20.11.2013 Morning
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आई.आई.पी., देहरादून की टीम जो पिछले वर्ष 2012 में आयोजित सीएसआईआर टूर्नामेंट की चैम्पियन टीम में से एक थी मगर इस टूर्नामेंट के पहले ही मैच में यह अप्रत्‍याशित रूप से सी.आर.आर.आई., नई दिल्‍ली की टीम से हार चुकी थी। अब इस मैच में एक और हार पिछले वर्ष के चैम्पियन टीम को टूर्नामेंट से बाहर का रास्‍ता दिखाने के लिए काफी थी।

टॉस जीतने के बाद हमने बल्‍लेबाजी का विकल्‍प चुना मगर यह क्‍या पिछले मैच की ही तरह एक बार फिर हमारे टॉप आर्डर देखते ही देखते ताश के पत्‍ते की तरह धराशाही हो गए। इस बार हमारे कैप्‍टन ने मोर्चा संभालने की कोशिश की मगर वे भी एल.बी.डब्‍ल्‍यू आउट करार दे दिए गए। मैंने भी अपने स्‍तर पर प्रयास किया मगर मैं भी कुछ खास सफल नहीं हो सका। एक बार फिर से हमारे गेंदबाजों ने अपने बल्‍लेबाजी का दम दिखया मगर इस बार टीम का स्‍कोर 15 ओवरों में महज 66 ही बन पाया।

आई.आई.पी., देहरादून की टीम 12 ओवरों में लक्ष्‍य को प्राप्‍त कर अपने आप को इस टूर्नामेंट में जी‍वित रख पाने में सफल रही।

तीसरा मैच NML Vs CRRI @20.11.2013 Afternoon
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राउंड रोबिन का यह हमारा अंतिम मैच उस टीम  से जिसने अपने पहले ही मैच में पिछले वर्ष के चैम्पियन टीम को हरा दिया था और अपने दूसरे मैच में भी उसने सी.एस.एफ.आर.आई., धनबाद को बुरी तरह से हराया था।

इस टूर्नामेंट में बने रहने के लिए हमें किसी भी तरह से इस टीम को हराना जरूरी था।

टॉस जीतने के बाद हमारी टीम ने पहले बल्‍लेबाजी चुनी और ओपनिंग जोडी में कुछ बदलाव के साथ हम एक बार फिर से मैदान में थे।

बदकिस्‍मति ने हमारा साथ नहीं छोडने का फैसला किया था, हमारा पहला विकेट तुलसी मुखी के रूप में इसी का परिणाम था। इसके बाद कुछेक अंतराल पर विकेट गिरे जरूर मगर पहले की स्थिति नहीं रही। इस मैच में मुझे विकेट पर ठहरने का काफी मौका मिला। इस पूरे टूर्नामेंट में मेरा व्‍यक्तिगत स्‍कोर 14 रन इसी मैच में बना और मैं काफी दुर्भाग्‍यपूर्ण तरीके से ऑउट हो गया। हमारे टीम का स्‍कोर 15 ओवरों में 89 रन बना।

इस लो स्‍कोर के करो व मरो के मैच में हमारे गेंदबाजों और फील्‍डरों ने अपने दम खम का पूरा प्रदर्शन किया और कमाल की गेंदबाजी और फील्डिंग करते हुए सी.आर.आर.आई, नई दिल्‍ली की टीम को 15 ओवरों में 78 रनों पर ही रोकते हुए जीत दर्ज की। इस मैच में दूसरे रेगुलर बॉलर के साथ-साथ अप्रत्‍याशित रूप से हेमंत कुमार दास ने बेहतरीन गेंदबाजी की।


इस मैच में जीतने के बावजूद रन औसत में तीसरे पायदान पर रहने के कारण हमारी टीम क्‍वालीफाई मैच खेलने का हक प्राप्‍त नहीं कर सकी।

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अंतिम निष्‍कर्ष :
हमारी टीम जो कि इस टूर्नामेंट में क्‍वालफाई होने के लायक थी, मगर टाप आर्डर बल्‍लेबाजों के फलाप होने तथा निराशाजनक प्रदर्शन के कारण ही यह टूर्नामेंट में तीसरे पायदान पर पहुंची। इसके लिए अन्‍य सभी बल्‍लेबाजों के अलावा मैं सबसे ज्‍यादा दोषी खुद को मानता हॅूं।

ओवरों का कम होना, मैदान की सीमा रेखा का अत्‍यधिक बडा होना, मैदान पर लम्‍बे-लम्‍बे घास का रहना मेरे व्‍यक्तिगत लचर प्रदर्शन ‍से कम दोषी है। मुझे शायद अब समझना चाहिए कि लम्‍बे-लम्‍बे शॉट खेलकर 50 बॉल में 100 रन बनाने से ज्‍यादा कारगर ग्राउंड शाट खेलकर पार्टनरशीप करते हुए 30 बॉल में 40 रन बनाना है।

एक विकेटकीपर के रूप में मुझे लगता है कि मैंने अपने सर्वश्रैष्‍ठ प्रदर्शन किया जिसमें मैंने 5 स्‍टाम्‍प किए , 4 कैच लिए और 1 रन आउट किए। मगर एक बल्‍लेबाज के रूप में यह टूर्नामेंट बहुत ही निराशाजनक रहा।

मै अपने आप से यही उम्‍मीद करता हॅूं कि आने वाले समय में मैं अपनी गलतियों से सबक लूंगा और टीम की जीत में अपना योगदान दूंगा।