बहुत कुछ सोचकर अंततः आज मैं अपनी अंतिम इच्छा व्यक्त कर रहा हूँ। जन्म से लेकर आज तक मैं जलता ही रहा हूँ। कभी अपनों ने तो कभी अपने बनकर परायों ने मुझे आज तक सिर्फ और सिर्फ जलाया ही है। मैं रोजाना ही इस तपिस में जल ही रहा हूँ। वर्षों से मेरा रोम-रोम इस तपिस की ज्वाला से अन्दर ही अन्दर सुलग रहा है। मैं अब और जलना नहीं चाहता इसलिए मेरी यही अंतिम इच्छा है कि मरने के बाद मेरे नश्वर शरीर को जलाया नहीं जाय बल्कि इसे दफना दिया जाय। बहुत दिनों तक सोचने के बाद मैंने अपने इस अंतिम इच्छा को व्यक्त की है। कल को मैं रहूँ या ना रहूँ मेरे इस ब्लॉग के माध्यम से अभिव्यक्त टिप्पण को मेरी अंतिम इच्छा मानी जाय। और एक बात मैंने ROSHANI FOUNDATION के द्वारा अपना नेत्र दान करवा रखा है अतः मेरे मरने के फ़ौरन बाद इसकी सूचना नजदीकी हॉस्पिटल को देकर मेरा नेत्र दान कराने की कृपा की जाय.
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