शनिवार, 2 जनवरी 2010

जीने की तमन्ना

ना हो जमीं और ना ऐ सितारें हो
ना साथ मेरे ऐ महकती बहारें हो
रिश्ते नातों के इस जहाँ में
अब ना कोई अपना है
मगर फिर भी साथ लेकर तेरी यादों का जीने की तमन्ना है !!१!!

आएगी नव वर्ष
साथ खुशियों की बहारें लेकर
मगर हम तो तनहा ही रहेंगे
साथ तन्हाई का लेकर
डरता हूँ फिर से कहीं
फासले ना बढते रहे हम दोनों के दरमयान
टूटकर बिखरते ना रहे कहीं
मेरे दिल के मचलते हुए अरमान
कल को झूमेगा सारा जहाँ
नए साल के नगमों में
हम तो मगर खोये ही रहेंगे
बीते कल के सदमों में
फखत दामन में मेरे दिल के
टुटा हुआ सपना है
मगर फिर भी साथ लेकर तेरी यादों का जीने की तमन्ना है !!२!!

परमार्थ सुमन
25 दिसम्बर 1998
लाल बिल्डिंग हाउस
11:30 PM

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