मंगलवार, 25 मार्च 2014

आजीवन


तेरी यादों को दिल के मंदिर में

सजोने का इरादा जिंदा है

तूझको बांहों में भरकर

सीने से लगाने का इरादा जिंदा है

तेरी गोद में सर रखकर

जुल्फों तले खोने का इरादा जिंदा है

तेरी कातिल मुस्कुराहट पर

फिदा होने का इरादा जिंदा है ...

तेरी निगाहों की बेकरारी को

बरकरार रखने का इरादा जिंदा है

तू गैर की हो गयी तो क्या हुआ

आज भी पुनर्जन्म लेकर

तेरी मोहब्बत की तपिश में

एक बार फिर से जलने का इरादा जिंदा है