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इंसानियत का दुश्मन

प्रत्येक दिन की तरह आज भी मैं दूध, सब्जी और राशन लाने के लिए गोलमुरी बाजार के लिए निकला। लगभग 7 बज गए थे। गोलमुरी चौक से पहले गाड़ी रोकी। सावधानीवश मास्क लगाया, पाकेट में हैंड sanitizer रखा और दूध लाने के लिए निकला। दूध लेकर कार में रख हैंड sanitize किया फिर गली का रास्ता होते हुए पैदल ही गोलमुरी के गाड़ी बनाने वाले लाइन स्थित भुंजा दुकान जा पहुंचा।   वहाँ पहले से एक सज्जन समान ले रहे थे, मैंने थोड़ी दूर खड़ा रहकर इंतजार किया और उनके जाने के बाद मैं दुकानदार के सामने पहुंचा। मैंने समान की सूची दुकानदार को बता ही रहा था कि तभी अचानक एक नौजवान आया और दुकान की सीढ़ियो पर चढ़कर अपने हाथों से भुंजा ले लेकर खाने लगा। न तो उसने मास्क पहना था, न ही उसने सोशल दूरी का ख्याल रखा था और तो और अपने हाथों से बिकने के लिए रखे समान को ले लेकर खा भी रहा था।  जब मैंने उससे मास्क पहनने की बात की तो उल्टा वह मुझे यह कहने लगा " मास्क पहनने से क्या होगा, भगवान बचा लेगा क्या? " फिर मैंने दुकानदार को डांटते हुए कहा की वह मास्क के बिना किसी को समान कैसे दे रहा है और बेचने के समान को खा रहे उस ग्राहक को