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मार्च, 2012 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Chak De ..............

कबीर खान, नाम तो सुना ही आपने। ठीक याद किया आपने, जी हाँ वही कबीर खान, जिसने कुछ वर्षों पहले ही हमारे देश के राष्‍ट्रीय खेल हॉकी से जुडी एक काल्‍पनिक कहानी को रूपहले पर्दे पर बहुत ही संजीदगी से अभिनय किया था। इतनी संजीदगी से कि फिल्‍म देखते समय तो कभी ऐसा आभास ही नहीं हुआ कि ऐ कबीर खान हॉकी इंडिया के महिला टीम का कोच ही है अथवा मुम्‍बईया मसाला फिल्‍मों में पिछले 10 वर्षों से अपने प्‍यार-मोहब्‍बत के नगमे गाता, डायलाग बोलकर लडकियों को अपने वश में करना वाला एक जादूगर अभिनेता, जिसे स्‍टारडम की उपाधि मिली हुई है। पूरे फिल्‍म में यदि कुछ दिखा तो सिर्फ एक कबीर खान और उसका वह लक्ष्‍य जिसमें उसने खुद पर लगे गददार जैसे आरोपों की परवाह नहीं करते हुए महिला हॉकी टीम को चैम्पियन बनाने के लिए जी तोड मेहनत की। आज कबीर खान हमारे चारो तरफ है, हर तरफ गददारों से हिन्‍दुस्‍तान की मिटटी पलीद हो रही है मगर वास्‍तव में हमें यह समझना चाहिए कि गददार है कौन?  क्‍या वाकई कबीर खान जैसे लोग गददार है या फिर इनके माथे पर गददार का ठीकरा फोडने वाले खुद ही गददार हैं। वर्तमान परिस्थिति में खेल का मैदान किसी

नमकहराम

पिछले दिनों जो कुछ हुआ उससे गद्दार, नमकहराम शब्‍द भी शर्मशार हो गया। लोगों ने व्‍यक्तिगत लडाई लडने की कोशिश में नमकहरामी तक कर डाली। जिसका नमक खाया उसकी ही बेइज्‍जती कराने में कोई कसर नही छोडी। अपने हित की, अपने अहम की, अपने स्‍वाभिमान की लडाई में उस समाज की बेइज्‍जती करा डाली जिसने उसे रोजी रोटी दी है।  ऐ ऐसे चुनिंदे लोग हैं जो देशद्रोही की कतार में खडे हैं जिसे समाज, मुल्‍क की इज्‍जत से कोई सारोकार नहीं जिसे महज अपने अहम की परवाह है अपने व्‍यक्तिगत स्‍वार्थ की परवाह है जिसे पूरा नहीं होने की स्थिति में वे कहां तक जा सकते हैं इसे इन लोगों ने अपने कुत्सित प्रयास द्वारा दिखा दिया। कम से कम अब तो इन्‍हें अपने उपर शर्म करनी चाहिए जिसकी रोटी मिल रही, जो रोटी दे रहा उसे ही इन लोगों ने बेइज्‍जती का घाव दे दिया है और उसके उपर बेशर्मी की हंसी दिन प्रतिदिन अपने होंठो पर लिए बेफिक्री से घूम रहे हैं।