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पहली मोहब्बत का इजहार

मोहब्बत का इजहार करना कितना कठिन होता है उपर से उस समय जब आपको यह मालूम न हो कि उसके दिल में आपके लिए क्‍या है। वर्ष 1994 की बात है जब मैं इंटर का प्रथम वर्ष का छात्र था। अगस्‍त का महीना चल रहा था जबकि मैंने आत्‍महत्‍या की नाकाम कोशिश की थी वजह सिर्फ और सिर्फ घरेलू परेशानी थी। इस सदमे से उबरने के बाद मैं जिंदगी जीने की जद्दोजहद कर ही रहा था कि पडोस में रहने वाली एक शख्‍स ने मेरे दिल में एक नई जिंदगी के रूप में दस्‍तक दी। मैं मानसिक रूप से परेशानी की हालत में था, खुद को इस दुनिया के किसी कोने में रख पाने का हौसला बिलकुल ही खो चुका था। ठीक इसी समय मुझे लगा कि मुझे एक नई जिंदगी मिल गई। उसकी ओर मैं खींचा चला गया सिर्फ जिंदगी जीने की मजबूरी के कारण।  मुझे ऐसा लगने लगा कि वही मेरी जिंदगी है और मैं उसे जिंदगी मानकर पुराने गम को भूलने की कोशिश करने लगा। इस बात की खबर मेरे दोस्‍त प्रमोद पंडित को हो गई उसने मुझे अपनी मोहब्‍बत का इजहार उस शख्‍स से करने की बात कही मगर मैं इसके लिए तैयार नहीं हो रहा था किंतु मेरे उस दोस्‍त ने मुझमें शक्ति का संचार किया और परिणामस्‍वरूप मैं एक लम्‍बा चौडा पत्