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जुलाई 10, 2011 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

आत्महत्या की तीसरी असफल कोशिश - 2001

वर्ष 2001 मेरी जिंदगी के लिए काफी उथल पुथल रहा। अपनी शादी के लिए मैंने काफी ना नुकर किया मगर मेरे बहनोई तथा अन्‍य रिश्‍तेदारों के मानसिक यंत्रणा के परिणामस्‍वरूप मैंने अंतत: अपनी शादी के लिए हां कर दी। मेरी शादी के लिए कई फोटो भी आ गए तथा लडकी देखने का सिलसिला आरंभ भी हो गया। मेरी यही शर्त थी कि लडकी देखने मैं कतई नहीं जाउंगा जिसे मेरे घरवालों ने मान लिया। अंतत: मेरा रिश्‍ता तय भी हो गया। घरवालो ने लडकी देखी और उन्‍हें पसंद आ गया। इस सबके बीच मैं पूरी तरह से मानसिक अवसाद से गुजर रहा था। मैंने अपनी जिंदगी में उस सख्‍श को छोड किसी और की कल्‍पना कभी नहीं की थी मगर आज ऐ सब कुछ हो रहा था वो भी मेरी मर्जी के बाद ही। मैं पूरी तरह से व्‍याकुलता के हद से बाहर था। इसी बीच वेलेंटाइन्‍स डे के दिन मैं चुपके से बिना लडकी वाले के परिवार के लोगों बताए उसके घर भी चला गया था हाथ में गुलाब का फूल लिए और फिर कुछ देर तक लडकी तथा उनके सारे बहनों से अच्‍छी खासी बातें भी की मगर इस सब के बावजूद मैं अंदर से खुद को बिखरा-बिखरा सा महसूस कर रहा था। मुझमें जीने की ललक खत्‍म सी होती जा रही थी। न जाने मुझे ऐ

आत्महत्या की पहली असफल कोशिश - 1994

मुझे अच्‍छे से याद है वर्ष 1994 का वह साल था जबकि मैं के.एम.पी.एम. इण्‍टर कॉलेज के प्रथम वर्ष का छात्र था। वही पिताजी वाली साइकिल से लालबिल्डिंग के अपने घर से बिष्‍टुपुर स्थित कॉलेज जाना तथा वापस आना। कभी कभार पैदल ही स्‍टेशन जाकर वहां से बस पकडकर कॉलेज जाना तथा वापस आना। पढाई - लिखाई से संबंधित कभी कोई प्रश्‍न मेरे पिता ने मुझसे न तो बाल्‍यवस्‍था में पूछे थे और न ही कॉलेज लाइफ में। उन्‍हें कोई मतलब ही कभी नहीं रहा कि उनके बच्‍चे क्‍या-कहां-कब पढ रहे हैं, पढ भी रहें हैं कि नहीं। उनके लिए जिंदगी सामाजिक कार्य से लेकर घर के बगान तक सीमित रहती। 1994 के अगस्‍त महीने में मैंने आत्‍महत्‍या की पहली नाकाम कोशिश की थी। क्‍यों की थी आज तक मैंने यह बात किसी से शेयर नहीं की है। मगर अब लगता है कि अब इसे मैं अपने दिल के अंदर दबा कर और नहीं रख सकता। इसलिए आज बहुत दिनों के बाद काफी सोचने समझने के बाद इसके उपर से पर्दा उठाने जा रहा हॅूं। मैंने बचपन से यही देखता आया कि किसी भी प्रकार की कोई समस्‍या होने पर उस समस्‍या के निराकरण के बदले मेरे पिताजी उस समस्‍या को लेकर किसी मेरी मां पर ही ताना कसने ल