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अप्रैल 24, 2014 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

हम तेरे काबिल नहीं

अरमानों के दिए दिल में जलते रहे मोहब्बत की राहों में हम तन्हा‍ चलते रहे तेरे ही हाथों बार-बार मेरे दिल के टुकडे होते रहे बेजार होकर भी मगर खुद से यही कहते फिर रहे हम तेरे काबिल नहीं ।। 1 ।। मोहब्बत के फसाने दिल में दफन होते रहे तेरी यादों के नगमें मुझ पर सितम करते रहे तेरी बेरहमी से हम टूट-टूटकर बिखरते रहे बेजार होकर भी मगर खुद से यही कहते फिर रहे हम तेरे काबिल नहीं ।। 2 ।। जख्मों को दिल से लगाए सिसक-सिसक कर रोते रहे अपने जीवन से दूर जाते हुए बेबस तूझे देखते रहे मेरी मोहब्बत को सरेआम तुम ही रूसवा करते रहे बेजार होकर भी मगर खुद से यही कहते फिर रहे हम तेरे काबिल नहीं ।। 3 ।।