अरमानों के दिए दिल में जलते रहे मोहब्बत की राहों में हम तन्हा चलते रहे तेरे ही हाथों बार-बार मेरे दिल के टुकडे होते रहे बेजार होकर भी मगर खुद से यही कहते फिर रहे हम तेरे काबिल नहीं ।। 1 ।। मोहब्बत के फसाने दिल में दफन होते रहे तेरी यादों के नगमें मुझ पर सितम करते रहे तेरी बेरहमी से हम टूट-टूटकर बिखरते रहे बेजार होकर भी मगर खुद से यही कहते फिर रहे हम तेरे काबिल नहीं ।। 2 ।। जख्मों को दिल से लगाए सिसक-सिसक कर रोते रहे अपने जीवन से दूर जाते हुए बेबस तूझे देखते रहे मेरी मोहब्बत को सरेआम तुम ही रूसवा करते रहे बेजार होकर भी मगर खुद से यही कहते फिर रहे हम तेरे काबिल नहीं ।। 3 ।।
We are all INDIAN before a Hindu, Muslim, Sikh aur Isai or a Bihari, Marathi, Bengali etc. Love to all human being........