मंगलवार, 22 फ़रवरी 2011

कसाब की फांसी पर चर्चा

पिछले दिनों हार्इ कोर्ट ने अजमल कसाब की फांसी पर अपना फैसला देते हुए उसकी फांसी की सजा को बरकरार रखा। उसी रात आईबीएन 7 के न्‍यूज नेटवर्क पर अजमल कसाब को अधूरा इंसाफ शीर्षक चर्चा प्रसारित की गई और उस चर्चा के दौरान दोनों वकीलों के साक्षात्‍कार प्रसारित किए गए और फिर लम्‍बी बहस की गई कि क्‍या सही हुआ क्‍या गलत हुआ।
ऐ हिन्‍दुस्‍तान है जनाब और यहां की धरती पर आकर यहां के वाशिंदे को कत्‍लेआम कर देने वालों के साथ भी हमारे अपने मुल्‍क में कई रहनुमां हैं इसके साथ हमारे देश का कानून भी है जो पूरी सत्‍यनिष्‍ठा के साथ मेहमान की तरह रखते हुए फ्री में वकील सुविधा देकर केस को लडने का मौका देता हैा
कसाब की बात तो दूर की है हमारे संसद पर हमला करने वाले मुख्‍य आरोपी अफजल गुरु जिसको फांसी की सजा सुप्रीम कोर्ट ने दे रखी है और जिस पर हमारे माननीया राष्‍टपति महोदया ने भी अपनी रहम की भीख देने से मना कर दी इसके बावजूद आज तक उसे सरकारी मेहमान बना कर रखा गया है सारे सुख सुविधाओं को देकर और तो और अभी हाल ही में ये भी प्रयास किया जा रहा है कि उसे जम्‍मू कश्‍मीर की जेल में स्‍थानांतरण कर दिया जाए ताकि उसकी बूढी मां उसे रोजाना देख सके। ऐ हद की इंतहा हैा
कहां हैं हम, हम से बेहतर तो अरबी देश है जहां महज चोरी करने पर पकडे जाने पर हाथ पैर काट दिया जाता है वो भी सरेआम। आज जबकि समूचे विश्‍व में आतंकवाद अपना पैर पसार चुका है इस परिद़श्‍य में जरूरत है सख्‍त कानून बनाने की न कोई कोर्ट न कोई ट्रायल सिर्फ सजा और भी सख्‍त से सख्‍त ताकि इससे दूसरो को सबक मिल सके।