हम अक्सर ही दूसरों को इंसानियत का पाठ पठाया करते हैं। ऐसे मौक कम ही होते हैं जब हम खुद ही इस पाठ को अपने उपर अमल में लाते हैं। इंसानियत अक्सर की कई मौकों पर तार-तार होती हैा कभी जानबूझकर कभी बिना जाने बूझे। आज का दिन बहुत ही भयावह रहा। सुबह 06.30 बजे पत्नी ने आवाज देकर उठाया और बताया कि बेटे के स्कूल की तैयारी नहीं हो पायी है इसलिए ऑटो वाले को मना कर देती हॅूं आप खुद ही बेटे को स्कूल छोड दीजिएगा। मैं तैयार हो गया। कारण साफ था ऑटो वाला कुछ अधिक समय पहले ही घर से मेरे बेटे को ले जाता है क्योंकि उसे और भी बच्चों को उनके घरों से लेना पडता है जबकि मैं सीधे मात्र 10 मिनट में अपने घर से स्कूल पहुंच जाता हॅूं। अक्सर ही ऐसा वाकया होता है जिसके लिए मैं हमेशा ही मानसिक रूप से तैयार रहता हॅू। मेरी पत्नी मेरे पुत्र को स्कूल के लिए तैयार कर रही थी तभी अचानक ही मेरे घर के बाहर कुछ तेज आवाज सुनाई दी। मैं बाहर निकला तो देखा मेरे पडोस के शर्मा जी मुझे ही पुकार रहे थे। बाहर निकलने पर उन्होंने मुझे सूचना दी कि उनके पडोस के दास जी की दुर्घटना रात्रि समय कार्यालय से आवास आने के सम
We are all INDIAN before a Hindu, Muslim, Sikh aur Isai or a Bihari, Marathi, Bengali etc. Love to all human being........