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दिसंबर 27, 2011 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

बीते कल की याद............

मेरा बचपन जमशेदपुर शहर के टाटानगर रेलवे स्‍टेशन से लगभग 1.5 कि.मी. दूर बागबेडा रेलवे कॉलोनी, लालबिल्डिंग में बीता। मेरी पैदाइश 3 मार्च, वर्ष 1978 से लेकर 1998-99 तक मैं यहां रेलवे के अतिक्रमित जगह पर बनाए गए घर में अपनी जिंदगी गुजारी है। बचपन से हमें पानी के लिए कुंए पर आश्रित रहना पडा है। कुएं की जिंदगी बहुत ही सुखद रही है। कितना अदभुत एहसास होता है जब रस्‍सी लगे बाल्‍टी को नीचे डाला और कुछ देर की मेहनत के बाद एक भरी बाल्‍टी पानी आपके हाथों में। पानी के लिए दूसरे अन्‍य विकल्‍प यथा हैंडपम्‍प की तुलना में कुएं से पानी लेना बहुत ही आसान होता है। कुएं से पानी निकालते समय हमेशा यही ध्‍यान में रहता था कि कुएं का पानी बचाना है ताकि गर्मियों में कोई दिक्‍कत नहीं हो। पानी बचाने की यही मानसिकता मेरी आज भी जेहन में कैद है। आज जबकि मैं सरकारी आवास में रह रहा हॅूं तथा आवास में नल के द्वारा पानी सप्‍लाई की जाती है। आज भी जब कभी मैं नहाने जाता हॅूं तो मैं बाल्‍टी में पानी भरकर अपने पुराने दिनों को याद करने लगता हॅूं जब एक एक बाल्‍टी पानी के लिए कितनी मशक्‍कत करनी पडती थी और पानी भरने के बाद उसका उप