यह मेरा व्यक्तिगत दूसरा जोनल टूर्नामेंट था। इससे पहले मैंने सीएमईआरआई, दुर्गापूर की क्रिकेट टीम का सदस्य बनकर वर्ष 2007 में लखनउ का दौरा किया था जिसमें हमारी टीम जोनल से फायइनल क्वालिफाई नहीं कर सकी थी। वर्ष 2011 का अंतिम तिमाही अब मैं एनएमएल क्रिकेट टीम के एक संभावित सदस्य के रूप में प्रैक्टिस सैशन अटैण्ड कर रहा था तथा पूरी टीम काफी पसीना बहा भी रही थी। एक संभावित टीम बनने की ओर हम अग्रसर ही थे अचानक ही टीम के एक पूर्व सदस्य द्वारा कई प्रकार की अनावश्यक बातें दिन प्रतिदिन प्रकाशित की जाने लगी जिसके अचानक ही एक टीम जो एकजुटता की ओर अग्रसर दिखाई दे रही थी जिसके 12 सदस्यों में 9 से 10 सदस्य तो ऑलराउंडर ही थे। ऐसे में टीम के प्रदर्शन के क्या कहने। हम कागजों में इतने मजबूत बनने की ओर अग्रसर थे कि लग रहा था कि इस बार कुछ न कुछ नया होने वाला है मगर तभी अचानक दिन प्रतिदिन की खिचखिच और उलूल जुलूल बातों ने टीम में बेवजह की उलझन पैदा कर दी और इसका दुष्परिणाम यह हुआ कि अब हमारे 12 सदस्यों में 2 सदस्य बदल गए थे और जो टीम एक मजबूत स्तंभ की भांति दिख रही थी उसमें कुछ जगहों पर इसमें
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