मंगलवार, 31 जनवरी 2012

Match Report : SSBMT Zonal 2012 @NEIST, Jorhat

यह मेरा व्‍यक्तिगत दूसरा जोनल टूर्नामेंट था। इससे पहले मैंने सीएमईआरआई, दुर्गापूर की क्रिकेट टीम का सदस्‍य बनकर वर्ष 2007 में लखनउ का दौरा किया था जिसमें हमारी टीम जोनल से फायइनल क्‍वालिफाई नहीं कर सकी थी। वर्ष 2011 का अंतिम तिमाही अब मैं एनएमएल क्रिकेट टीम के एक संभावित सदस्‍य के रूप में प्रैक्टिस सैशन अटैण्‍ड कर रहा था तथा पूरी टीम काफी पसीना बहा भी रही थी। एक संभावित टीम बनने की ओर हम अग्रसर ही थे अचानक ही टीम के एक पूर्व सदस्‍य द्वारा कई प्रकार की अनावश्‍यक बातें दिन प्रतिदिन प्रकाशित की जाने लगी जिसके अचानक ही एक टीम जो एकजुटता की ओर अग्रसर दिखाई दे रही थी जिसके 12 सदस्‍यों में 9 से 10 सदस्‍य तो ऑलराउंडर ही थे। ऐसे में टीम के प्रदर्शन के क्‍या कहने। हम कागजों में इतने मजबूत बनने की ओर अग्रसर थे कि लग रहा था कि इस बार कुछ न कुछ नया होने वाला है मगर तभी अचानक दिन प्रतिदिन की खिचखिच और उलूल जुलूल बातों ने टीम में बेवजह की उलझन पैदा कर दी और इसका दुष्‍परिणाम यह हुआ कि अब हमारे 12 सदस्‍यों में 2 सदस्‍य बदल गए थे और जो टीम एक मजबूत स्‍तंभ की भांति दिख रही थी उसमें कुछ जगहों पर इसमें छेद दिखने लगे थे।

जैसे तैसे करके टीम 19 जनवरी, 2012 को टाटानगर रेलवे स्‍टेशन से हावडा के लिए निकली और फिर हम हावडा से गोवाहाटी होकर जोरहाट 20 जनवरी की रात लगभग 9 बजे सीधे डिनर के लिए पहुंचे और डिनर के बाद ही हमलोग होटल गए।

पहला मैच NML Vs CIMFR @21.01.2012 Morning
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21 जनवरी, 2012 की सुबह हमें अपना पहला मैच CIMFR, Dhanbad से खेलना था। हमलोग तैयार होकर समय पर मैदान पहुंच चुके थे मगर बावजूद इसके स्‍थानीय प्रबंधन द्वारा काफी सुस्‍ती से मैट बिछाने आदि की तैयारी की गई जिसके परिणामस्‍वरूप हमारा मैच जो 20-20 ओवरो का होना था अब 15 - 15 ओवरों का कर दिया गया। इस मैच में हमने टॉस जीता और विपक्षी टीम को पहले बल्‍लेबाजी का न्‍यौता दिया। पहले बल्‍लेबाजी करते हुए CMFRI, Dhanbad की टीम ने 15 ओवरों में 8 विकेट पर 72 रन बनाए।

इस मैच में मैं क्रिज तक तो जरूर पहुंचा था मगर मैं एक भी बॉल का सामना ही नहीं कर पाया और हमारी टीम यह मैच जीत गई थी।

जवाब में बैटिंग करने उतरी हमारे टीम के ओपनर बल्‍लेबाजों ने बडी की कमाल की ओपनिंग पार्टनरशीप लगभग 65 रनों की की और हम यह मैच बडी ही आसानी से 14.2 ओवरों में 8 विकेट से जीत चुके थे।

दूसरा मैच  NML Vs NCL @22.01.2012 Morning
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22 जनवरी, 2012 की सुबह हमारा पहला मैच NCL, Pune की टीम से था। एनसीएल, पुणे की टीम एसएसबीएमटी के चैम्पियन टीमों में से एक मानी जाती है तथा क्रिकेट पिच पर सिजलिंग करने के नाम से विख्‍यात है। इस बार भी टॉस हमारी टीम ही जीती और पहले की ही तरह हमने विपक्षी टीम को बैटिंग करने का न्‍यौता दिया। हमारी महबूत और असरदायक बालिंग अटैक के कारण एनसीएल, पुणे की टीम ने 20 ओवरों में महज 103 रन ही बनाए। कागज पर मजबूत दिख रही हमारी बैटिंग लाइनअप के सामने 20 ओवरों में 104 रन बनाना आसान ही था मगर वास्‍तव में जो हुआ वह कोई सपने से कम नहीं। हमारी टीम ने बल्‍लेबाज जिसमें मैं खुद भी शामिल था, तू चल मैं आया की तर्ज पर गैर जिम्‍मेदाराना तरीके से एक के पीछे एक अपना विकेट गंवाते रहे और कागजों पर मजबूत स्‍तंभ के रूप में दिख रही हमारी पूरी टीम महज 27 रनों पर ऑलआउट हो चुकी थी। हम यह मैच बूरी तरह से लगभग 76 रनों से हार चुके थे। यह मैच हमारे लिए किसी बोझिल सपने से कम नहीं था।

इस मैच में मैं सामने वाले बल्‍लेबाज से अंडरस्‍टैण्डिंग नहीं बन पाने के कारण सिर्फ 1 रन ही बनाकर दुर्भाग्‍यपूर्ण तरीके से रन आउट हो गया था। 

तीसरा मैच NML Vs NPL @22.01.2012 Afternoon
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22 जनवरी 2012 को पूर्वाहन 1 बजे से हमारा दूसरा मैच NPL, New Delhi से था। हमारे लिए लीग मैच में बने रहने के लिए इसे जीतना बहुत ही जरूरी था। यह हम सब के लिए करो या मरो की स्थिति जैसा था। हमने फिर से एक बार टॉस जीता मगर इस बार हमने बैटिंग ली और फिर हमने 20 ओवरों के इस मैच में 104 रन बनाए। हमारी बॉलिंग अटैक ने इस मैच में जान डाले रखी और यह मैच अंतिम दो ओवरो में 11 रन पर आकर रूक सा गया। हमारी सांसे थम सी चुकी थी। हम आर पार की इस लडाई में किसी भी कीमत पर जीतना चाहते थे। मैंने महसूस किया सबकी निगाहों में जीतने का जज्‍बा था, कुछ कर गुजरने का ख्‍याल था। तभी जब 19वें ओवर पर Rajan Sharma, NML, Jamshedpur ने महज 3 रन देकर मैच को रोकने का पूरा प्रयास किया तब कैप्‍टन ने 20वें ओवर की गेंदबाजी के लिए एक ऐसे बॉलर को गेंद थमाई जिसने पिछले दोनों मैच और इस मैच में एक भी गेंद नहीं डाली थी। कैप्‍टन का इस बॉलर Vijay Anand Mukhi, NML, Jamshedpur को गेंद थमाने का फैसला न सिर्फ मुझे बल्कि टीम के कई खिलाडियों के समझ से बिलकुल परे था। एक ओवर और 8 रन और उपर से एक ऐसे बॉलर के हाथ में गेंद जिसने इससे पहले एक भी बॉल नहीं की। कैप्‍टन का यह फैसला उस समय मेरी समझ में आया जबकि दो बॉल हो चुके थे और विपक्षी टीम ने महज एक ही रन बनाया था और फिर तीसरी गेंद पर वह जोरदार बाउंड्री की ओर हिट जिसे चीते सी फुर्ती दिखाते हुए हमारे टीम के Rabindra Nath Behera, NML, Jamshedpur ने असाधारण तरीके से लपक लिया जो किसी और के लिए कल्‍पना से भी परे की बात थी। अंतत: हमने यह मैच 4 रनों से जीत लिया था और प्रतियोगिता में हम अब भी बने हुए थे। इस एक जीत से हम आपस में एकजुटता बनाने में सफल रहे और हमें एक दूसरे पर विश्‍वास स्‍थापित हो गया।

इस मैच में मेरे बैट से सिर्फ 16 रन ही बने और मैं क्रास खेलने के अपने गलत फैसले के कारण बहुत ही स्‍लो बॉल पर बोल्‍ड हो गया।

22 जनवरी, 2012 रात करीब 9 बजे हमलोग डिनर से सीमा होटल, जोरहाट वापस आए मैने रिशेप्‍शन में पांच चाय आर्डर की और रूम नं. 107 बताया जो कि Sanjay Hembram, NML, Jamshedpur का दिया गया था। मैं अपने कमरे में गया वहां से ताश ली और फिर रूम नं. 107 में गया रास्‍ते में Rajan Sharma, NML, Jamshedpur, Sujit Kumar, NML, Jamshedpur, तथा Rabindra Nath Behera, NML, Jamshedpur को यह मैसेज देते हुए कि रूम नं. 107 में आना है कॉल ब्रिज खेलने के लिए। हमलोग रात के 10.30 बजे तक कॉल ब्रिज खेलते रहे और फिर चाय पीकर अपने अपने कमरे में प्रवेश कर गए। मेरा ऐसा मानना है कि किसी भी तरह के टेंशन को दूर करने को सबसे अच्‍छा उपाय यह है कि आप अपना ध्‍यान दूसरे काम में लगा दें जैसा कि मैने किया कॉल ब्रिज खेलने के बाद मैं अपने आप को ताजा तरोजाता महसूस कर रहा था। दिन भर के 2 मैच की थकान बल्कि एनसीएल, पुणे से मिली बूरी तरह हार के बाद जो नर्वसनेश थी वह अब जाकर रात के 10.30 बजे समाप्‍त हो चुकी थी।

चौथा मैच NML Vs CSIR Hqr @23.01.2012 Morning
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23 जनवरी, 2012 की सुबह हमारा पहला मैच CSIR, Head Quarter, New Delhi से था। हमारी पूरी टीम आज तरोताजा दिख रही थी। प्रतियोगिता के अंतिम दौर में जाने के लिए हमारे लिए यह मैच जीतना बहुत जरूरी था।  इस बार हम टॉस हार चुके थे और विपक्षी टीम ने पहले बल्‍लेबाजी करना पसंद किया मगर यह क्‍या मैच आरंभ होने से पहले ही लगभग समाप्‍त हो चुका था हमारे गेंदबाजों ने कमाल का प्रदर्शन करते हुए विपक्षी टीम को महज 14 रनों पर समेट दिया और हमें जश्‍न मनाने का पूरा अवसर दिया। हमें अब हमारी टीम पर गर्व की अनुभूति हो रही थी। कल्‍पना से परे इस मैच को जीतने में हमारे ओपनर बल्‍लेबाजों ने यह मैच हमें महज 1.1 ओवरों में ही जीता दिया। अब हम इस प्रयोगिता के अंतिम चरण में पहुंच चुके थे। अपने ग्रुप में हम दूसरे स्‍थान पर पहुंच चुके थे। हमें इस प्रतियोगिता के अपने अंतिम मैच में दूसरे ग्रुप के पहले स्‍थान पर रहने वाले CSIO, Chandigarh से मैच खेलनी थी, जिसे जीतकर ही हम फाइलन के लिए क्‍वालीफाइ कर सकते थे।

चूंकि यह मैच हमने 10 विकेटों से जीत लिया था इसलिए मुझे क्रिज तक पहुंचने का मौका भी नहीं मिला।

इस बार हम अपने लक्ष्‍य की ओर पहले से कुछ ज्‍यादा ही प्रयत्‍नशील थे। जोनल का फाइयल मैच हमारे सामने की टीम सीएसआईओ, चण्‍डीगढ जिसने अपने पिछले तीनों मैचों में 20 ओवरों के मैच में 160 के लगभग विशाल स्‍कोर महज 2-3 विकेट खोकर बनाए हैं तथा विपक्षी टीमों को भी जिसने 100 रनों के भीतर समेट कर रख दिया था। इसका मतलब साफ था यदि हमें फाइनल का टिकट चाहिए तो फिर कुछ स्‍पेशल करना होगा।

पांचवां मैच NML Vs CSIO @23.01.2012 Afternoon
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23 जनवरी, 2012 को पूर्वाहन 1 बजे से हमारा मैच सीएसआईओ, चण्‍डीगढ से हुआ। हमने टॉस जीतकर पहले बल्‍लेबाजी ली मगर यह क्‍या 10 ओवरों में हमारे टीम का स्‍कोर 4 विकेट पर 37 रन था जबकि हमारे ओपनर बल्‍लेबाज के साथ-साथ Vijay Anand Mukhi और मैं खुद आउट होकर पैवेलियन की शोभा बढा रहे थे। टर्फ पर हो रहे इस मैच पर हालांकि बॉल आसानी से बैट पर आ रही थी और सही दिख भी रही थी मगर बावजूद इसके मेरे बैट से इस मैच में अच्‍छा स्‍कोर नहीं बन पाना मेरे अंतर्रात्‍मा को कचोट रहा था। काफी तनाव भरे इस मुकाबले के पहले चरण में हमारी टीम ने पहले बल्‍लेबाजी करते हुए 20 ओवरों में 112 रनों का स्‍कोर हासिल किया।

इस मैच में मेरे बल्‍ले से महज 13 रन ही निकले जिसमें 2 चौके शामिल थे और मैं पुल करने की कोशिश में LBW दे दिया गया।

अब बारी हमारे गेंदबाजों की थी जिसने पिछले ही मैच में विपक्षी टीम को महज 14 रनों पर ऑल आउट कर रखा था मगर यह क्‍या पहले दोनों ओवर कुछ इस तरह बीत गए कुछ पता ही नहीं चला। दो ओवरों के मैच के बाद ही हम यह समझ गए कि इस पिच पर पेस बालिंग अटैक के लिए कुछ भी नहीं है आनन फानन में Captain , NML, Jamshedpur का अजीबोगरीब फैसला तीसरे ही ओवर से स्‍पिनर अटैक, गेंद लेकर अब Dr. M M Humane, NML, Jamshedpur, Rajan Sharma, NML, Jamshedpur खुद ही विकेट पर पसीना बहा रहे थे और विपक्षी टीम को बांधकर रखने में पूरी तरह से सफल दिखने लगे थे। 15 ओवरों में ही मैच लगभग हमारी ओर आ चुका था जबकि विपक्षी टीम का स्‍कोर 6 विकेट पर महज 58 रन। अंतिम पांच ओवरों में 55 रन तभी एक ओवर में उनके द्वारा 13 रनों का स्‍कोर किया जाना अब लगा कि संघर्ष अंतिम दौर में आ चुका है। अंतिम ओवर आते आते मैच को हम अपनी पकड में ले चुके थे जबकि विपक्षी टीम को अंतिम ओवर में 25 रन बनाने थे। यह मैच हमने 22 रनों से जीता और जीत ऐसी कि अंतिम विकेट के दो टुकडे करने में हमारे गेंदबाज Vijay Anand Mukhi, NML, Jamshedpur कामयाब रहे।

पूरी टीम अंशु धाराओं में जीत की खुशी का जश्‍न मैदान पर भाग भागकर, एक दूसरे को पकड पकडकर मना रहे थे।

वास्‍तव में आज एक सपना सच हो गया था । मैं एनएमएल क्रिकेट टीम का एक हिस्‍सा बन कर वाकई खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहा था हम अंतत: जीत गए थे और फाइनल के लिए क्‍वालीफाइ कर गए थे। पूरे टूर्नामेंट में हमने यही सीखा कि आखिर हार को जीत में कैसे बदला जाता है। 11 लोग अलग अलग विचारधाराओं के जब एकजुट हो जाएं तो फिर एक ठोस बुनियाद बन जाती है। यह सीख हमलोगों को मिली। जोनल टूर्नामेंट में मेरा व्‍यक्तिगत प्रदर्शन हालांकि अच्‍छा नहीं रहा मगर मैं पूरी कोशिश करूंगा कि फाइनल टूर्नामेंट में मैं अपने व्‍यक्तिगत प्रदर्शन में सुधार ला सकूं तथा लोगों की अपेक्षाओं पर खरा उतर सकूं।

अंतिम निष्‍कर्ष :
हम अपना दूसरा मैच एनसीएल, पुणे से किसी बूरे सपने की तरह हार गए इसकी जिम्‍मेदारी सिर्फ और सिर्फ मुझ जैसे मीडिल ऑर्डर बैटसमैन का पूरी तरह से फ्लाप होना है। हर मैच में ओपनर बल्‍लेबाज अच्‍छी पार्टनरशीप दे यह संभव नहीं। न सिर्फ दूसरे मैच में बल्कि तीसरे और पांचवे मैच में भी यही हुआ। मीडिल आर्डर बल्‍लेबाजों ने अपने निराशाजनक प्रदर्शन को कायम रखा जिससे हम एनपीएल के सामने जैसे तैसे करके सिर्फ 104 रन बना सकें और सीएसआईओ के सामने सिर्फ 112 का आंकडा ही रख सके। इस टूर्नामेंट को जीतने का यदि श्रेय किसी को देना है तो वह है हमारी बालिंग अटैक, फील्डिंग और कुछ बेशकीमती निर्णय जो हमारे कप्‍तान द्वारा सही समय पर लिए गए। हमने जुझारूपन बिलकूल ही दिखाया मगर वह सिर्फ खराब बल्‍लेबाजी करने के बाद। सिर्फ फाइलन मैच सं. 5 जिसमें सीएसआईओ के विरुद्व हम एक समय में 6 ओवरों में 3 विकेट पर महज 15 रन थे । यहां से मैच को 20 ओवरो में 112 तक के स्‍कोर पर ले जाने में वाकई हमारे दो बल्‍लेबाजो का अहम योगदान रहा। जिसमें निखिल रॉय और डा. एम एम हुमने ने अपने अपने विकेट के महत्‍व को समझते हुए न सिर्फ अच्‍छी खासी साझेदारी की बल्कि एक एैसा स्‍कोर बॉलरों को दिया जिससे हम मैच को बचाने की स्थिति में आ पाए।

इस पूरे टूर्नामेंट में कुछ ऐसे भी पल जाए जब किसी विशेष खिलाडी ने अपने उम्‍मीद से बढकर प्रदर्शन किया

पहला :
तीसरे मैच के 19वें ओवर में जबकि मैच बचाने को 2 ओवरों में 11 रन बचाने थे और बालिंग अटैक में स्‍पीनर राजन शर्मा को लगाया गया और बडे ही अदभुत रूप से राजन शर्मा ने उस दबाव को झेलते हुए न सिर्फ 3 रन दिए बल्कि 1 विकेट भी चटका लिए । 

दूसरा :
इसी मैच के 20वें ओवर में जब विपक्षी टीम को जीतने के लिए 8 रन चाहिए थे और उसके 5 विकेट हाथ में थे, उसी समय जब पूरी टीम के उम्‍मीद के विरुद्व कैप्‍टन का अजीबो गरीब तुगलकी फैसला बॉल विजय आंनद मुखी के हाथ जिसने इससे पहले अभी तक इस टूर्नामेंट में एक भी गेंद नहीं डाली थी। कैप्‍टन के लिए फैसले को पूरी तरह से सही ठहराते हुए विजय आनंद मुखी ने 20वें ओवर की गेंदबाजी में 1 विकेट भी चटकाए और मैच को 4 रनों से हमें जीता भी दिया जबकि विपक्षी टीम के 4 विकेट हाथ में ही थे।

तीसरा :
टूर्नामेंट का पांचवा और निर्णायक मैच, जीतने की स्थिति में हम फाइनल स्‍पर्धा के लिए क्‍वालीफाइ अन्‍यथा बीते कई वर्षों की तरह किसी आए गए टीम की तरह । किसी तरह हमारी टीम 112 रन बना पायी थी उस टीम के खिलाफ जिसके अपने पिछले तीनों ही मैचों के 20 ओवरों में 150 से उपर का औसत स्‍कोर रहा ।  पहला दो ओवर पेस बालिंग अटैक मगर यह क्‍या विपक्षी टीम के बल्‍लेबाजों ने बडी ही आसानी से मिडिल ऑफ द बैट खेलते हुए हमारे उस पेस अटैक को बौना साबित कर दिया जिसने अपने पिछले ही मैच में पूरी विपक्षी टीम को महज 14 रनों पर ढेर कर दिया था। तभी कैप्‍टन बीरेन्‍द्र  फिर अजीबो गरीब फैसला लेते हुए बॉल स्‍पीनर डॉ. एम एम हुमने के हाथ में, हांलाकि डॉ. हुमने का यह टूर्नामेंट बडा ही सफल रहा। एक गेंदबाज के तौर पर उन्‍होंने प्रत्‍येक मैच में न सिर्फ औसतन 3 विकेट चटकाए किफायती तौर पर मगर इस बार मैच के तीसरे ही ओवर में स्‍पीनर को लगाना जबकि हमारे पर मैच बचाने को महज 112 रन ही थे । इस बार भी अदभुत प्रदर्शन करते हुए न सिर्फ डॉ. हुमने बल्कि इनका साथ देते हुए राजन शर्मा और कैप्‍टन बीरेन्‍द्र कुमार ने बॉलर के रूप में अभूतपूर्व प्रदर्शन करते हुए 15 ओवर में ही मैच को हमारे झोली में लगभग डाल दिया था जबकि विपक्षी टीम के अंतिम 5 ओवरो में 55 रन बनाने थे जबकि उनके सिर्फ 2 विकेट बाकी थे।


यादगार लम्‍हा :
इस टूर्नामेंट का सबसे महत्‍वपूर्ण यादगार लम्‍हा एनपीएल के साथ अपने तीसरे मैच के 20वें ओवर में बाउंड्री लाइन पर हमारे टीम के रबिन्‍द्र नाथ बेहरा के द्वारा चीते की फूर्ती के साथ लिया गया अविश्‍वसनीय कैच है जिसमें सचमुच हमारे टीम को 4 रनों से जीत दर्ज करने में अपना उल्‍लेखनीय योगदान दिया।  वास्‍तव में यह कैच न सिर्फ कैच ऑफ द मैच रहा अपितु कैच ऑफ द टूर्नामेंट भी हो गया।