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जुलाई 18, 2011 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

उम्‍मीद

गम की आंधी में उम्‍मीदों का चिराग जलने दो आज जिस बेइंतहा मोहब्‍बत में हो चुका ये दिल बर्बाद उस मासूम नजर पर एतबार करने दो आज गम की आंधी में उम्‍मीदों का चिराग जलने दो आज नजरें फेर कर हमसे जो तडपता छोड गई थी उस कातिल जिगर का इंतजार करने दो आज गम की आंधी में उम्‍मीदों का चिराग जलने दो आज जिसको पाने की आरजू में छूटती गई जीवन की डोर उस संगदिल मुस्‍कुराहट का दीदार करने दो आज गम की आंधी में उम्‍मीदों का चिराग जलने दो आज दम घुंटता जा रहा इस बेदर्द जहां की वादियों में फिर से एकबार अपनी मोहब्‍बत का इकरार करने दो आज गम की आंधी में उम्‍मीदों का चिराग जलने दो आज

मधुशाला

जीवन के भाग दौड में जब अस्त हो जाए सफर पी लेना तू सब्र का प्याला मत जाना प्यारे मधुशाला मधुशाला है धैर्य विहीन संसार जो पौरुष का नाश कर देता है पुरुषार्थ जिससे विनाश हो जाता है परमार्थ जिसका परित्याग कर देता है मंजिल की राहों में जब हर सफर थम जाए दो राहे पर आकर पी लेना तू सब्र का प्याला मत जाना प्यारे मधुशाला मधुशाला के सोमरस में डूबते ही तुम पाओगे रिश्ते नातों की तकरार कर्तव्य विहीन संसार क्षणिक सुख की प्रत्याशा में संसारिक दायित्यों को भूलते ही तुम जाओगे पी लेना तू सब्र का प्‍याला मत जाना प्यारे मधुशाला