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CSIR FOUNDATION DAY CUP 2012 on 23rd Sept 2012

Narakas, Jamshedpur

नराकास, जमशेदपुर के वेब साइट का निर्माण किया गया है। नराकास, जमशेदपुर के वेबसाइट पर जाने के लिए आप https://sites.google.com/site/narakasjsr  का उपयोग कर सकते हैं। इस वेब साइट के निर्माण का मुख्‍य उददेश्‍य नगर राजभाषा कार्यान्‍वयन समिति के सभी 61 सदस्‍य कार्यालयों तक आपस में एक संदेश वाहक स्‍थापित करना है, जिसका उपयोग करके हम सभी हिन्‍दी के प्रचार प्रसार के लिए एकजुट होकर एक दिशा में समर्पित प्रयास कर सकेंगे।  Narakas, Jamshedpur जिसके अंतर्गत कुल 61 सदस्‍य कार्यालय आते हैं। इनके कार्यालयों की सूची, हिन्‍दी के प्रयोग से संबंधित नोटस, तिमाही बैठक से संबंधित जानकारी आदि इस वेब साइट से प्राप्‍त की जा सकती है।

Chak De ..............

कबीर खान, नाम तो सुना ही आपने। ठीक याद किया आपने, जी हाँ वही कबीर खान, जिसने कुछ वर्षों पहले ही हमारे देश के राष्‍ट्रीय खेल हॉकी से जुडी एक काल्‍पनिक कहानी को रूपहले पर्दे पर बहुत ही संजीदगी से अभिनय किया था। इतनी संजीदगी से कि फिल्‍म देखते समय तो कभी ऐसा आभास ही नहीं हुआ कि ऐ कबीर खान हॉकी इंडिया के महिला टीम का कोच ही है अथवा मुम्‍बईया मसाला फिल्‍मों में पिछले 10 वर्षों से अपने प्‍यार-मोहब्‍बत के नगमे गाता, डायलाग बोलकर लडकियों को अपने वश में करना वाला एक जादूगर अभिनेता, जिसे स्‍टारडम की उपाधि मिली हुई है। पूरे फिल्‍म में यदि कुछ दिखा तो सिर्फ एक कबीर खान और उसका वह लक्ष्‍य जिसमें उसने खुद पर लगे गददार जैसे आरोपों की परवाह नहीं करते हुए महिला हॉकी टीम को चैम्पियन बनाने के लिए जी तोड मेहनत की। आज कबीर खान हमारे चारो तरफ है, हर तरफ गददारों से हिन्‍दुस्‍तान की मिटटी पलीद हो रही है मगर वास्‍तव में हमें यह समझना चाहिए कि गददार है कौन?  क्‍या वाकई कबीर खान जैसे लोग गददार है या फिर इनके माथे पर गददार का ठीकरा फोडने वाले खुद ही गददार हैं। वर्तमान परिस्थिति में खेल का मैदान किसी

नमकहराम

पिछले दिनों जो कुछ हुआ उससे गद्दार, नमकहराम शब्‍द भी शर्मशार हो गया। लोगों ने व्‍यक्तिगत लडाई लडने की कोशिश में नमकहरामी तक कर डाली। जिसका नमक खाया उसकी ही बेइज्‍जती कराने में कोई कसर नही छोडी। अपने हित की, अपने अहम की, अपने स्‍वाभिमान की लडाई में उस समाज की बेइज्‍जती करा डाली जिसने उसे रोजी रोटी दी है।  ऐ ऐसे चुनिंदे लोग हैं जो देशद्रोही की कतार में खडे हैं जिसे समाज, मुल्‍क की इज्‍जत से कोई सारोकार नहीं जिसे महज अपने अहम की परवाह है अपने व्‍यक्तिगत स्‍वार्थ की परवाह है जिसे पूरा नहीं होने की स्थिति में वे कहां तक जा सकते हैं इसे इन लोगों ने अपने कुत्सित प्रयास द्वारा दिखा दिया। कम से कम अब तो इन्‍हें अपने उपर शर्म करनी चाहिए जिसकी रोटी मिल रही, जो रोटी दे रहा उसे ही इन लोगों ने बेइज्‍जती का घाव दे दिया है और उसके उपर बेशर्मी की हंसी दिन प्रतिदिन अपने होंठो पर लिए बेफिक्री से घूम रहे हैं।

Match Report : SSBMT Zonal 2012 @NEIST, Jorhat

यह मेरा व्‍यक्तिगत दूसरा जोनल टूर्नामेंट था। इससे पहले मैंने सीएमईआरआई, दुर्गापूर की क्रिकेट टीम का सदस्‍य बनकर वर्ष 2007 में लखनउ का दौरा किया था जिसमें हमारी टीम जोनल से फायइनल क्‍वालिफाई नहीं कर सकी थी। वर्ष 2011 का अंतिम तिमाही अब मैं एनएमएल क्रिकेट टीम के एक संभावित सदस्‍य के रूप में प्रैक्टिस सैशन अटैण्‍ड कर रहा था तथा पूरी टीम काफी पसीना बहा भी रही थी। एक संभावित टीम बनने की ओर हम अग्रसर ही थे अचानक ही टीम के एक पूर्व सदस्‍य द्वारा कई प्रकार की अनावश्‍यक बातें दिन प्रतिदिन प्रकाशित की जाने लगी जिसके अचानक ही एक टीम जो एकजुटता की ओर अग्रसर दिखाई दे रही थी जिसके 12 सदस्‍यों में 9 से 10 सदस्‍य तो ऑलराउंडर ही थे। ऐसे में टीम के प्रदर्शन के क्‍या कहने। हम कागजों में इतने मजबूत बनने की ओर अग्रसर थे कि लग रहा था कि इस बार कुछ न कुछ नया होने वाला है मगर तभी अचानक दिन प्रतिदिन की खिचखिच और उलूल जुलूल बातों ने टीम में बेवजह की उलझन पैदा कर दी और इसका दुष्‍परिणाम यह हुआ कि अब हमारे 12 सदस्‍यों में 2 सदस्‍य बदल गए थे और जो टीम एक मजबूत स्‍तंभ की भांति दिख रही थी उसमें कुछ जगहों पर इसमें

SSBMT ZONAL CHAMPION @JORHAT2012

आखिर, अंतत: हमने वह पल प्राप्‍त कर ही लिया, हमने उस सपने को सच करके दिखा ही दिया जो किसी के आंखों में पिछले 12 वर्षों से कैद होकर रह गया था। हालांकि इस टूर्नामेंट में मेरा व्‍यक्तिगत प्रदर्शन उतना अच्‍छा नहीं रहा जैसा कि मैंने खुद से सोच रखा था बावजूद इसके हम एक टीम की तरह खेले और चैम्पियन का दर्जा प्राप्‍त करने में सफल रहे।  हम आखिरकार एसएसबीएमटी के जोनल टूर्नामेंट को जीतकर फाइनल में खेलना का दर्जा प्राप्‍त कर ही लिया। जोनल टूर्नामेंट के फाइलन में सीएसआईओ, चण्‍डीगढ की टीम को हराने के बाद एमएनएल की टीम -----------------------------------------------------------------------------------------------------  ----------------------------------------------------------------------------------------------------- <1st row from left Side> U C Oraon (Team Manager), Rajan Sharma, Anuj Kumar, Sujit Kumar, Vijay Anand Mukhi, Tulsi Mukhi, Bhupeshwar Mahato (WC), ......., Sanjay Hembram, Santosh Mukhi, Rabindra Nath Behera <2nd row from left side> Parmarth Suman, Dr. M M Humane and Birendr

Maiden Century

बीता शनिवार 7 जनवरी, 2012 मेरे जीवन का ऐतिहासिक दिन रहा। 20 ओवर के क्रिकेट मैच में मैंने एनएमएल टीम की ओर से खेलते हुए 56 बॉल में नाबाद 102 रन बनाए जबकि हमारी टीम का कुल स्‍कोर 195 रहा। अपने इस 102 रनों की नाबाद पारी में मैंने 10 चौके तथा 6 छक्‍के लगाए। यह मेरे क्रिकेट कैरियर का पहला शतक था जिसे मैंने  अपने परमपूज्‍य पिताजी श्री श्‍याम किशोर सिंह जी के नाम समर्पित किया। मैं कई वर्षों तक टेनिस बॉल से क्रिकेट खेलता रहा। कई छोटे मोटे टूर्नामेंट में मैंने अपनी उपस्थिति दर्ज भी कराई। कई खेल मैदान मुझे आज तक याद हैं बागबेडा स्थित वायरलेस मैदान जहां कभी मैंने टेनिस बॉल के मैच में एक ही ओवर में पाँच छक्‍के और एक चौका जडा था, जुगसलाई स्थित आर.पी.पटेल हाई स्‍कूल मैदान में 12 ओवरों के मैच में बिना विकेट खोए 167 रनों का पहाड। आज भी वो सारा दृश्‍य मेंरी आंखों के सामने बना रहता है। कुछ दिनों तक मैं लालबिल्डिंग स्थित आर्शिवाद होटल के पीछे वाले मैदान में कॉरकेट बाल से भी क्रिकेट खेला। हालांकि कोई टूर्नामेंट नहीं खेला मैं कॉरकेट बाल से। 2006 में दुर्गापूर में नौकरी ज्‍वाइन करने के बाद, अगले

नया साल 2012 : नए संकल्प

नया वर्ष 2012 अंतत: हिचकोले ले लेकर आ ही गया।  पुराना वर्ष जाते जाते कुछ ऐसे जख्‍म देता गया जिसे भूलाना शायद संभव नहीं। पिछला वर्ष कुछ मायनों में उपलब्धि भ्‍रा रहा तो कुछ मायनों में दु:ख देने वाला। जहां एक ओर हम कार्य के प्रति समर्पित इच्‍छाशक्ति को जागृत रखने में कामयाब रहें तो दूसरी ओर अधिकांश लोगों के उम्‍मीदों पर खरा उतरने का प्रयास भी किया। वर्ष 2012 के लिए मैं अपने कार्य के लिए कृत संकल्पित हॅूं तथा आशा ही नहीं पूर्ण विश्‍वास है कि बीते कल से भी बेहतर परिणाम मैं दूंगा। इस नए साल के आगमन पर मैंने एक नया संकल्‍प लिया है और आशा करता हॅूं खुद से कि इस संकल्‍प का मान मैं रख पाने में सफल रह पाउंगा। वह संकल्‍प है पान नहीं खाने का। मैंने अपने आप से यह वादा किया है और कोशिश करूंगा कि इस वादा पर मैं अडिग रहूँ।