मेरे घर का सबसे छोटा बेटा और मेरा सबसे छोटा भाई सत्यार्थ सुमन वर्तमान में UCIL जादूगोड़ा में वैज्ञानिक सहायक के पद पर कार्यत है। पिछले कई वर्षों से उसकी शादी की बातचीत चल रही थी। उस दौरान मैं दुर्गापुर में ही था। कई लड़की वालों के प्रस्ताव आये थे। कई लड़कियों के फोटो भी आये थे और कई लड़कियों को देखने मेरे माता पिताजी अपने दामाद और बेटी के साथ गए थे। सितम्बर, 2008 से मैं अपनी पत्नी और बेटे के साथ जमशेदपुर में ही रह रहा हूँ। इस वर्ष मुझे अपने परिवार के साथ अपने भाई की शादी के लिए दो जगह लड़की देखने का न्योता भी मिला। पहले वाली लड़की हमारे परिवार को पसंद नहीं आई मगर दूसरी लड़की जिसे हमलोग देखने राम मंदिर, बिस्टुपुर गए वे हम सबों को पसंद आई। इसके कुछ दिनों के बाद माँ ने हमारी मौसी को गाँव से बुलाया। मौसी गाँव से आई तो हमें बताया गया की मौसी भी लड़की देखने जा रही है। मौसी, माँ घर की मंझली बहू, मंझला बेटा, बेटी और दामाद भी लड़की देखने गए। कुछ दिनों के बाद मुझे किसी और ने ये सूचना दी कि उस दौरान ही मेरे सबसे छोटे भाई की मंगनी कर दी गयी, मंगनी का मतलब एंगेजमेंट अर्थात लड़की और लड़के दोनों ने एक दूसरे को अंगूठी पहनाई। कहने को तो ये एक छोटी सी बात लगाती है मगर मेरे लिए इसके बड़े मायने हैं। मेरे और मेरी पत्नी के साथ वही हुआ जो इससे पहले मेरे मंझले भाई के मामले में हुआ था। (पढ़े मेरा पहले का ब्लॉग "मेरे छोटे भाई की शादी"।) इस बार भी मेरी नजर में मेरे साथ गलत हुआ बिलकुल अन्याय हुआ। घर के छोटे भाई की मंगनी कर दी गयी मगर सिर्फ 3 से 4 किलो मीटर की दूरी पर रहने वाले उसके बड़े भाई को खबर तक नहीं की गयी। ये सब क्या हो रहा है, क्यूं हो रहा है, मेरे माता पिताजी मेरे साथ क्यूं ये सब कर रहें हैं। ये मैं समझ ही नहीं पा रहा हूँ। कहाँ से मैं निभायूं भला एक बड़े बेटे और एक बड़े भाई का फ़र्ज़। शायद यही वजह है कि मैंने आपने आपको समेट लिया है अपने छोटे से परिवार के बीच। मेरे लिए अब परिवार का मतलब मेरी पत्नी और मेरे अबोध बेटे से है। इश्वर सबको खुश रखे, दूर रहकर मैं अपने इष्ट से यही कामना करता हूँ।
Shadab Shafi, Doctor, Tata Main Hospital, Jamshedpur की करतूत पिछले दिनों 31 मई, 2014 को संध्या 6 बजे के करीब मैं टीएमएच में भर्ती हुआ था। मुझे उस वक्त ठंड लगकर बुखार की शिकायत थी। मैं टीएमएच के 3ए वार्ड के बेड नं. 15 में एडमिट हुआ था। मेरा बेड दो बेडों के बीच में था, मेरे बेड के बाएं साइड बेड नं. 14 पर एक लगभग 65 वर्ष का बूढा मरीज एडमिट था जिसे शायद अस्थमा की शिकायत थी। दिनांक 1 जून, 2014 दिन रविवार की बात है उस समय संध्या के लगभग 7 बज रहे होंगे। बेड सं. 14 के बूढे मरीज की तबीयत अचानक ही खराब हो गयी, वह बहुत ही जोर जोर से खांस रहा था तथा उसकी सांस तेजी से फूल रही थी। मेरे ख्याल से उसे अस्थमा का अटैक आया था। उस वक्त मुझसे मिलने मेरे एनएमएल में मेरे साथ काम करने वाले श्री केजी साइमन भी आए हुए थे। मैं उनसे बात कर रहा था तथा बीच बीच में उस बूढे मरीज की तेज कराहती आवाज बरबस हम दोनों का ध्यान उस ओर खींच रही थी तभी श्री साइमन ने मुझसे बिना चीनी की चाय लाने की बात कही और वार्ड से बाहर की ओर निकल गऐ। बगल के बेड संख्या् 14 पर अफरा तफरी का महौल बना हुआ था। उस वक्त उस मरीज
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