शनिवार, 31 अगस्त 2024

जब वी मेट (21 साल के बाद)

31.08.2024 दिन शनिवार जब तुमसे हम 21 वर्षो के बाद मिले मगर अफ़सोस अपनी हालत का मैंने बिलकुल अगस्त 1994 जैसा महसूस किया. दो पल ठीक से तुम्हें देखने की हिम्मत तक जुटा नहीं पाया, इसका अफ़सोस है. 

कुछ देर साथ थे, कुछ टूटी-फूटी बातें भी हुई और फिर हम पहले की तरह एक दूसरे से जुदा हो गए. आज तुम्हारे साथ बिताये इन लम्हो ने एक बात साबित कर दिया कि इतने वर्षो बाद न तुम बदली और न मैं, अगर बदला है तो सिर्फ यह वक़्त. 

वर्षो बाद तुमसे मुलाक़ात के लिए अपने परम पिता परमेश्वर का आभार व्यक्त करता हूँ और खुद को बड़ा सौभाग्यशाली समझता हूँ, जरूर यह मेरे पूर्व जन्म के किसी पुण्यो का प्रतिफल होगा. 

तुम्हारी खुशियों की दुआ करता हूँ. ईश्वर हमेशा तुम्हें खुश रखे. 

शनिवार, 6 जून 2020

इंसानियत का दुश्मन

प्रत्येक दिन की तरह आज भी मैं दूध, सब्जी और राशन लाने के लिए गोलमुरी बाजार के लिए निकला। लगभग 7 बज गए थे। गोलमुरी चौक से पहले गाड़ी रोकी। सावधानीवश मास्क लगाया, पाकेट में हैंड sanitizer रखा और दूध लाने के लिए निकला। दूध लेकर कार में रख हैंड sanitize किया फिर गली का रास्ता होते हुए पैदल ही गोलमुरी के गाड़ी बनाने वाले लाइन स्थित भुंजा दुकान जा पहुंचा।  

वहाँ पहले से एक सज्जन समान ले रहे थे, मैंने थोड़ी दूर खड़ा रहकर इंतजार किया और उनके जाने के बाद मैं दुकानदार के सामने पहुंचा। मैंने समान की सूची दुकानदार को बता ही रहा था कि तभी अचानक एक नौजवान आया और दुकान की सीढ़ियो पर चढ़कर अपने हाथों से भुंजा ले लेकर खाने लगा। न तो उसने मास्क पहना था, न ही उसने सोशल दूरी का ख्याल रखा था और तो और अपने हाथों से बिकने के लिए रखे समान को ले लेकर खा भी रहा था।  जब मैंने उससे मास्क पहनने की बात की तो उल्टा वह मुझे यह कहने लगा "मास्क पहनने से क्या होगा, भगवान बचा लेगा क्या?" फिर मैंने दुकानदार को डांटते हुए कहा की वह मास्क के बिना किसी को समान कैसे दे रहा है और बेचने के समान को खा रहे उस ग्राहक को मना क्यूँ नहीं कर रहा? 

इतना सुनकर भी जब दुकानदार उस ग्राहक को कुछ भी नहीं बोला और मेरे बाद आने के बावजूद पहले उसका समान देने लगा तो मुझसे नहीं रहा गया और मैंने इसका विडियो बना लिया और फिर गोलमुरी पुलिस के थाना प्रभारी को तुरंत फोन कर दिया। जहां से मुझे यह बताया गया की पुलिस जांच के लिए भेजी जा रही है। तभी वह ग्राहक उस दुकानदार को यह बोलता हुआ चला गया की "कोई भी कहीं का भी पुलिस अगर आए तो मुझे बुला लेना"



इसके बाद गोलमुरी थाना की जीप आई और दुकानदार से उस ग्राहक के बारे में पुछने लगी जिसपर दुकानदार ने मुझे लगता है कि जानते हुए भी अनभिज्ञता जताई। 

पुलिसकर्मी ने दुकानदार को चेतावनी देते हुए कहा की अगर सावधानी से दूकानदारी  नहीं चला सकते तो फिर दुकान खोलना मुश्किल हो जाएगा और फिर पुलिस वापस चली गयी। 

मैं वहाँ से निकला टीनप्लेट बाजार से सब्जी खरीदी और फिर लगभग आधे घंटे बाद वापस गोलमुरी बाजार आ गया। फिर मैंने अपने स्तर से अपने मोबाइल में कैद विडियो फूटेज दिखाकर बाजार के कुछ दुकानदार से उस लड़के की खोजबीन शुरू की और नतीजा 15 मिनट में ही मेरे सामने था। 

मैं गोलमुरी बाजार के उस दुकान में पहुँच चुका था जहां वह लड़का काम करता था। मैंने उसके मालिक से बात की। पूरी बात बताई। मालिक ने मेरी बात सुनकर तुरंत उस लड़के पर सख्त एक्शन लेने की बात की। मैंने हाथ जोड़कर कहा सख्ती जरूर दिखाएँ मगर किसी हालत में उससे रोजगार नहीं छिनना चाहिए। ये वक़्त साथ मिलकर कोरोना से संघर्ष करने का है। ऐसे वक़्त में सिर्फ सावधानी इसका सर्वोत्तम उपाय है सिर्फ उस लड़के के दिलोदिमाग तक ये बात जरूर पहुंचनी चाहिए। 

उस दुकान के मालिक की बातों से मैं पूरी तरह से संतुष्ट था। ऐसी लापरवाही पर मेरे द्वारा विरोध करने पर उसने मेरा भी शुक्रिया अदा किया और कहा की लोगों के जागरूक होने की बहुत जरूरत है तभी हम ऐसी आपदा से मुक़ाबला कर सकेंगे। 

एक-दूसरे की बातों में सहमति दिखते हुए मैं उस दुकान से संतुष्टता के भाव के साथ विदा हुआ। 

आज का वक़्त ऐसा है कि ऐसे जाहिलीयत पर हमें खुलकर विरोध करना चाहिए तभी इंसानियत और समाज का भला हो सकेगा। 

गुरुवार, 14 मई 2020

बाघा बार्डर


बाघा बार्डर
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चलो अब नफरतों के घाव सीने बन्द करते हैं
चलो अब दुश्मनी के बीज बोने बन्द करते हैं
अपने यहां आज राहत फतेह अली साहब को बाइज्जत सुनते हैं
तुम्हें भी आज सोनू निगम के 'संदेशे आते हैं'  सुनने को कहते हैं
चलो अब नफरतों के घाव सीने बन्द करते हैं
चलो अब दुश्मनी के बीज बोने बन्द करते हैं ।1

कुछ गलती जिन्ना ने भी की होगी
कुछ गलती नेहरु की भी रही होगी
सारी गलतियों को दफनाकर एक नई शुरूआत करते हैं
साथ-साथ चलकर हम एक मुकम्मल इंसान बनते हैं
चलो अब नफरतों के घाव सीने बन्द करते हैं
चलो अब दुश्मनी के बीज बोने बन्द करते हैं ।2

आओ मिलजुलकर सारी साजिशों को नाकाम करते हैं
दुनियां को फिर से हम एकजुटता का संदेश देते हैं
अट्टारी बार्डर को आज पाकिस्तान जिंदाबाद के नारों से उद्वेलित करते हैं
बाघा बार्डर को भी हिन्दुस्तान जिंदाबाद की जय-जयकार से सुशोभित करते हैं
चलो अब नफरतों के घाव सीने बन्द करते हैं
चलो अब दुश्मनी के बीज बोने बन्द करते हैं ।3

गुरुवार, 19 दिसंबर 2019

नागरिकता विधेयक 2019

नागरिकता विधेयक 2019 गृह मंत्रालय अमित शाह द्वारा 9 दिसंबर, 2019 को लोकसभा में पेश किया गया और लोकसभा में 311 बनाम 80 वोटों से यह विधेयक पारित हो गया। 11 दिसंबर को इसे राज्यसभा में पेश किया गया जहां बिल के पक्ष में 125 और खिलाफ में 99 वोट पड़े। इस तरह से बिल पास हो गया। बिल को 12 दिसंबर को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद अब यह कानून बन गया है जिसका देश में बड़े पैमाने पर विरोध हो रहा है। आइए इस मौके पर हम जानते हैं कि नागरिकता कानून 1955 क्या है और इसमें संशोधन का प्रस्ताव कब रखा गया...
      नागरिकता कानून 1955 क्या है
     नागरिकता कानून, 1955 का संबंध भारतीय नागरिकता अधिग्रहण करने और नागरिकता तय करने के लिए है।भारत के संविधान के साथ ही नागरिकता कानून, 1955 में भारत की नागरिकता से संबंधित विस्तृत कानून है।किसी व्यक्ति को नागरिकता देने के लिए भारत के संविधान के अनुच्छेद 5 से 11 (पार्ट II) में प्रावधान किए गए हैं।

      नागरिकता संशोधन विधेयक, 2016 क्या था?
    नागरिकता कानून, 1955 में बदलाव के लिए नागरिकता संशोधन विधेयक, 2016 पेश किया गया था। यह विधेयक 19 जुलाई, 2016 को पेश किया गया था। इसमें भारत के तीन मुस्लिम पड़ोसी देशों बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए अवैध गैर मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता देने का प्रावधान है। 12 अगस्त, 2016 को इसे संयुक्त संसदीय कमिटी के पास भेजा गया था। कमिटी ने 7 जनवरी, 2019 को अपनी रिपोर्ट सौंपी। उसके बाद अगले दिन यानी 8 जनवरी, 2019 को विधेयक को लोकसभा में पास किया गया। लेकिन उस समय राज्य सभा में यह विधेयक पेश नहीं हो पाया था। इस विधेयक को शीतकालीन सत्र में सरकार की ओर से फिर से पेश किया गया।

      नागरिकता विधेयक, 2019 फिर से क्यों पेश करना पड़ा?
    संसदीय प्रक्रियाओं के नियम के मुताबिक, अगर कोई विधेयक लोकसभा में पास हो जाता है लेकिन राज्य सभा में पास नहीं हो पाता और लोकसभा का कार्यकाल समाप्त हो जाता है तो वह विधेयक निष्प्रभावी हो जाता है यानी उसको फिर से दोनों सदनों में पास कराना होगा। वहीं राज्य सभा से संबंधित नियम अलग है। अगर कोई विधेयक राज्य सभा में लंबित हो और लोकसभा से पास नहीं हो पाता और लोकसभा भंग हो जाती है तो वह विधेयक निष्प्रभावी नहीं होता है। चूंकि यह विधेयक राज्यसभा से पास नहीं हो पाया था और इसी बीच 16वीं लोकसभा का कार्यकाल समाप्त हो गया, इसलिए इस विधेयक को फिर से दोनों सदन में पास कराना पड़ा। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह कानून बन गया।

      अब नए कानून में क्या है प्रावधान?
     नागरिकता संशोधन कानून 2019 में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और क्रिस्चन धर्मों के प्रवासियों के लिए नागरिकता के नियम को आसान बनाया गया है। पहले किसी व्यक्ति को भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए कम से कम पिछले 11 साल से यहां रहना अनिवार्य था। इस नियम को आसान बनाकर नागरिकता हासिल करने की अवधि को एक साल से लेकर 6 साल किया गया है यानी इन तीनों देशों के ऊपर उल्लिखित छह धर्मों के बीते एक से छह सालों में भारत आकर बसे लोगों को नागरिकता मिल सकेगी। आसान शब्दों में कहा जाए तो भारत के तीन मुस्लिम बहुसंख्यक पड़ोसी देशों से आए गैर मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता देने के नियम को आसान बनाया गया है।


गृह मंत्री अमित शाह ने नागरिकता कानून पर हो रहे प्रदर्शन, नागरिकता कानून के अलग-अलग आयामों, एनआरसी, अर्थव्यवस्था, बेरोजगारी, महाराष्ट्र के नतीजों और झारखंड चुनाव पर विस्तार से बात की है. देश के नंबर वन हिन्दी न्यूज चैनल आजतक के 'एजेंडा आजतक' के आठवें संस्करण में टीवी टुडे नेटवर्क के न्यूज डायरेक्टर राहुल कंवल के साथ उन्होंने 90 मिनट तक लंबी बातचीत में नागरिकता कानून पर हो रहे विरोध प्रदर्शन का जवाब दिया.

1. सिर्फ 4 विश्वविद्यालयों में गंभीर प्रदर्शन
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि देश में लगभग 224 विश्वविद्यालय हैं, जिनमें से 22 विश्वविद्यालय में प्रदर्शन हो रहा है. इनमें से 4 ऐसे विश्वविद्यालय हैं, जहां गंभीर विरोध प्रदर्शन हुआ है. गृह मंत्री ने कहा कि बाकि विश्वविद्यालयों में मामूली प्रदर्शन हुआ है.

2. CAA से नागरिकता मिलती है, जाती नहीं
गृह मंत्री ने कहा कि नागरिकता कानून के जरिए किसी भी भारतीय नागरिक की नागरिकता नहीं जाने वाली है, चाहे वो किसी भी धर्म का हो. उन्होंने कहा, "मैं देश के सभी अल्पसंख्यक भाइयों-बहनों से कहना चाहता हूं कि इस एक्ट से आपको रत्ती भर भी नुकसान नहीं होने वाला है क्योंकि एक एक्ट से किसी की नागरिकता नहीं जाती है. एक्ट से सिर्फ नागरिकता देने का अधिकार है और जब किसी को नागरिकता देने का कानून है तो देश के मुस्लिम हों या हिंदू किसी को नागरिकता को लेकर डरने की जरूरत ही नहीं है.'

3. CAA लागू करने से मना करने का अधिकार नहीं
अमित शाह ने कहा कि किसी भी मुख्यमंत्री को नागरिकता संशोधन कानून के लिए मना करने का कोई अधिकार नहीं है. जब संसद ने कानून बना दिया तो यह पूरे देश में लागू होगा. उन्होंने कहा कि नागरिकता केंद्र की सूची में है. गृह मंत्री ने कहा कि जब इसे संसद के दोनों सदनों ने पास कर दिया है तो यह पूरे देश में लागू हो गया है. किसी भी राज्य को मना करने का अधिकार नहीं है. कानून बन चुका है और यह पूरे देश के लिए लागू हो गया है.

4. एकजुट होकर विपक्ष CAA पर अफवाह फैला रहा
एंजेडा आजतक में अमित शाह ने कहा कि देशभर में हो रहे प्रदर्शन के लिए विपक्ष जिम्मेदार है. उन्होंने कांग्रेस समेत विपक्षी दलों पर बरसते हुए कहा पूरा विपक्ष एकजुट होकर नागरिकता संशोधन कानून पर अफवाह फैला रहा है.

5. जो नागरिक नहीं, वो भारत से बाहर होगा
गृह मंत्री ने एनआरसी पर चल रहे विवादों पर भी अपनी राय रखी. अमित शाह ने कहा कि एनआरसी में धर्म के आधार पर कोई कार्रवाई नहीं होगी और जो कोई भी एनआरसी के तहत इस देश का नागरिक नहीं पाया जाएगा, सबको निकालकर देश से बाहर किया जाएगा. उन्होंने कहा कि NRC सिर्फ मुस्लिमों के लिए नहीं है.

6. धर्म के आधार पर बंटवारे की बात कांग्रेस ने क्यों मानी
अमित शाह ने आगे कहा कि देश का बंटवारा धर्म के आधार पर नहीं होना चाहिए था मगर कांग्रेस ने बंटवारे की डिमांड पर सरेंडर किया और इस देश का विभाजन धर्म के आधार पर हुआ. उन्होंने कहा कि अगर धर्म के आधार पर देश का बंटवारा नहीं होता तो इस बिल की नौबत ही नहीं आती.

7. हिंसा को रोकना पुलिस का फर्ज भी और धर्म भी
जामिया में हुई हिंसा पर गृह मंत्री ने कहा कि जब हिंसा फैलाई जा रही हो, तो उसे रोकना पुलिस का फर्ज भी है और धर्म भी. गृहमंत्री ने कहा कि यदि पुलिस हिंसा रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाती, तो हमारी नजर में वह अपनी ड्यूटी ठीक से नहीं कर रही है. उन्होंने कहा है कि जामिया मिलिया के अंदर से पथराव होता है, लोग बाहर से आते हैं और तोड़-फोड़ करते हैं. उन्होंने कहा कि दंगाई दंगा करते रहें और पुलिस मूकदर्शक बनी रहे, यह कैसे हो सकता है

8. CAA का विरोध करने से पहले इसे पढ़ें
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि अभी तक इस कानून को विरोध कर रहे बच्चों ने उस कानून को ठीक से पढ़ा नहीं है. पहले वे इसे ढंग से पढ़ लें, उनकी शंकाए दूर हो जाएंगी. बीजेपी अध्यक्ष ने कहा कि इसके बाद कोई समस्या-समाधान होगा, तो उसको लेकर जरूर सरकार बातचीत करेगी.

9. क्या शोकेस में रखने के लिए बनाया NRC
देश के गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि NRC का आइडिया कांग्रेस का है. क्या कांग्रेस इस कानून को शोकेस में रखने के लिए लेकर आई थी. अमित शाह ने कहा कि राजीव गांधी के समय में ही असम समझौता किया था.

10. जो 1950 में तय हुआ वो 70 साल में नहीं हुआ
गृह मंत्री ने इस कार्यक्रम में कहा कि जब नेहरू-लियाकत अली समझौते का पाकिस्तान में पालन नहीं हुआ तब यह हमारी जिम्मेदारी थी कि हम वहां के अल्पसंख्यकों को यहां शरण दें. कांग्रेस ने 70 साल तक इन लोगों को नर्क की जिंदगी जीने के लिए मजबूर किया. अपनी वोट बैंक के लिए उन्हें कई चीजें भुगतनी पड़ी.

11. युगांडा से आए तो हिंदुओं को नागरिकता क्यों
गृह मंत्री अमित शाह ने चर्चा के दौरान कांग्रेस से बड़ा सवाल भी पूछा. उन्होंने कहा कि आज वे कांग्रेस के नेताओं से सवाल पूछना चाहते हैं कि युगांडा से सारे हिंदू आए तो कांग्रेस ने उन हिंदुओं को नागरिकता क्यों दी?

12. कांग्रेस ने शेख अब्दुल्ला को 11 सालों तक तमिलनाडु में रखा
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि हमने तो फारुक अब्दुल्ला को अच्छे से कश्मीर में रखा है. वहां दो कांस्टेबल ही हैं. कांग्रेस ने तो शेख अब्दुल्ला को कश्मीर नहीं बल्कि तमिलनाडु में 11 साल तक नजरबंद रखा था. गुलाम नबी आजाद को इस मुद्दे पर सवाल पूछने का हक नहीं है.

13. फ्रांस सारे हिंदुओं को निकाल दे तो वो कहां जाएंगे
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नागरिकता संशोधन कानून का विरोध कर कांग्रेस पर बड़ा हमला बोला और सवाल उठाया कि अगर कल को सत्ता परिवर्तन के बाद फ्रांस अपने यहां से सारे हिंदुओं को निकाल दे तो वो कहां जाएंगे. उन्होंने कहा कि अगर हिन्दू प्रताड़िता होंगे तो यहीं आएंगे.

14. कांग्रेस गैर मुस्लिमों को सुरक्षा देने को बाध्य
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने 25 नवंबर 1947 को अपनी कार्यकारिणी ने संकल्प अंगीकार किया और कहा कि वह पाकिस्तान के उन सभी गैर मुस्लिमों को पूर्ण सुरक्षा देने के लिए बाध्य है. जो उनके जीवन और सम्मान की रक्षा करने के लिए जो सीमा पार कर के भारत आए हैं या आने वाले हैं.

15. 5 साल में 600 मुसलमानों को दी नागरिकता
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि हमारी सरकार ने पांच साल में अफगानिस्तान, पाकिस्तान समेत दूसरे देश से आए 600 प्रताड़ित मुसलमानों को नागरिकता दी है. दुनिया के किसी भी देश में हिंदू निकाला जाएगा तो कहां जाएगा, यहीं आएगा. 1971 में इंदिरा गांधी ने सामूहिक नागरिकता दी थी.

16. नेहरू जी ने कहा था 370 घिस जाएगा, हमने घिस दिया
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि भारत की संविधान पीठ में ज्यादातर लोग कांग्रेसी थे. 370 हटाने का रास्ता कांग्रेस ने ही दिया था. नेहरू जी ने तभी संसद में कहा था कि 370 घिसते-घिसते घिस जाएगा. हमने घिस दिया.

17. PoK भारत का है, भारत में ही रहना चाहिए
अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार ये मानती है कि पाक अधिकृत कश्मीर (POK) भारत का है, भारत में सम्मिलित होना चाहिए. उन्होंने कहा कि ये मंच नहीं है कि एडवांस में इसकी घोषणा की जाए.

18. अयोध्या एक्ट कांग्रेस लेकर आई, अब ऐतराज क्यों
अमित शाह ने कहा कि वर्ष 1994 में कांग्रेस अयोध्या एक्ट लेकर आई. उसमें कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट अगर फैसला हिंदू के पक्ष में करेगी तो जमीन हिंदुओं को दी जाएगी. मुसलमानों के पक्ष में फैसला आएगा तो जमीन उन्हें दी जाएगी. अब सुप्रीम कोर्ट ने हिन्दुओं के पक्ष में फैसला सुना दिया तो कांग्रेस उसपर आवाज उठा रही है.

19. PAK-बांग्लादेश के अल्पसंख्यक कहां गए?
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि विभाजन के बाद बहुत से मुसलमान यहां रह गए. तब पाकिस्तान में 23% हिंदू थे, अब महज 3% रह गए. जबकि बांग्लादेश में 30% हिंदू थे, जिसमें से महज 7% रह गए. ये सारे अल्पसंख्यक कहां गए. इनका धर्म परिवर्तन करा दिया गया. या फिर ये प्रताड़ित होकर भारत आए.

20. घुसपैठिए दीमक होते हैं
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि भारत सभी धर्मों का देश है. लेकिन जब कोई बाहर से आता है तो वह हिंदू-मुसलमान सबके लिए खतरा बनता है. वे उनकी रोजी-रोटी खाते हैं. ये घुसपैठिए दीमक होते हैं. हमें कभी भी नागरिकता को हल्के में नहीं लेना चाहिए. किसी भी देश की सीमाएं खुली नहीं होती है.

21. तीन तलाक सुप्रीम कोर्ट का फैसला, हमने लागू किया
आजतक के कार्यक्रम में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि तीन तलाक सुप्रीम कोर्ट का फैसला था. हमने तो सिर्फ लागू किया. लेकिन आरोप लगता है कि इसे हम जबरदस्ती लेकर आए.

22. दिल्ली-बंगाल-झारखंड में आएगी भाजपा की सरकार
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि दिल्ली और पश्चिम बंगाल और झारखंड में बीजेपी दोबारा सरकार बनाएगी. उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में बीजेपी प्रचंड बहुमत से सरकार बनाएगी.

23. जल्दबाजी नहीं है, 70 साल का इंतजार कम है क्या
गृह मंत्री से जब पूछा गया कि उनकी सरकार फैसले लेने में जल्दबाजी कर रही है, तो उन्होंने कहा कि हम जल्दी में कहां हैं, 70 साल हो गया. अभी कोई चुनाव भी नहीं है, हम चुनाव के लिए यह नहीं कर रहे. हम सरकार चलाने के लिए नहीं देश की समस्याओं का समाधान करने आए हैं. हम राजनीति नहीं करना चाहते, देश को अच्छा बनाना चाहते हैं.

24. नहीं मानते कि भारत हिंदू राष्ट्र बने
कार्यक्रम के दौरान गृह मंत्री अमित शाह से जब ये सवाल पूछा गया कि क्या उनका सपना भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने का है, तो उन्होंने साफ कहा कि उनकी ऐसी कोई सोच नहीं है, उन्होंने कहा कि उनका और इस सरकार का एक ही धर्म है और वो है संविधान की किताब.

25. निर्मला सीतारमण अच्छा काम रही हैं
जीडीपी के सवाल पर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि मौजूदा समय में भले की जीडीपी ग्रोथ 4.5 फीसदी पर पहुंच गई है. लेकिन यह स्थिति आगे नहीं रहने वाली है. उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए आठ बड़े कदम उठाए हैं जिसका सकारात्मक असर दिखेगा और अर्थव्यवस्था में फिर रौनक लौटेगी.

26. 2 क्वार्टर, 5 साल नहीं होते
इकोनॉमी पर गृह मंत्री ने कहा कि वित्तीय वर्ष के दो क्वार्टर 5 साल नहीं होते हैं, उन्होंने कहा क देश की अर्थव्यवस्था जल्द ही फिर तेजी में लौटेगी.

27. महाराष्ट्र में फेल नहीं हुए
गृह मंत्री ने कहा कि बीजेपी महाराष्ट्र में फेल नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि हमारे गठबंधन को 160 सीटें मिली थी, जो बहुमत से 20 सीटें ज्यादा हैं. गृह मंत्री ने कहा कि शिवसेना ने चुनाव से पहले कभी मुख्यमंत्री पद की मांग नहीं की थी.

28. महाराष्ट्र में हमारा साथी भाग गया
अमित शाह ने कहा कि अगर महाराष्ट्र में बीजेपी का साथी भागता नहीं तो, वहां पर राजनीतिक अस्थिरता पैदा ही नहीं होती. उन्होंने कहा कि हमने सरकार बनाने के प्रयास किए थे लेकिन नहीं बना पाए क्योंकि हमारा साथी भाग गया था. उन्होंने कहा कि अगर शिवसेना चुनाव से पहले हमसे कोई समझौता करती तो हम दो कदम जरूर आगे जाते.

29. मैं पीएम की रेस में नहीं
एजेंडा आजतक में अमित शाह ने साफ कहा कि वे पीएम पद की रेस में नहीं हैं. अमित शाह ने कहा, 'आप पीएम की ओर संकेत कर रहे हैं तो मैं कहूं कि मैं बहुत जूनियर हूं, हमसे बहुत वरिष्ठ कई नेता हैं, आगे हैं. ढेर सारे नेता हैं. हमारी पार्टी में फैसले पार्टी करती हैं. मैं इस दौड़ में नहीं हूं, हम सबका अभी यही सपना है कि मोदी जी सफल हों और नया भारत ऐसे मुकाम पर पहुंचे जिसका सपना हमारे आजादी के सेनानियों ने देखा था.'

30. जाति नहीं, मेरिट के आधार पर बनाते हैं नेता
केंद्रीय गृह मंत्री और बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि उनकी पार्टी की सोच यह है कि जाति नहीं, मेरिट के आधार पर नेता तय किए जाएं, भले ही इसमें तात्कालिक रूप से पार्टी को नुकसान होता हो. उन्होंने कहा कि नेता को लोकतंत्र में जातिवाद, ब्लॉक के आधार पर नहीं बल्कि प्रदर्शन के आधार पर चयन करने की शुरुआत करनी थी तो यह मोदी जी ने किया. हो सकता है कि इसका अस्थायी नुकसान हमे भुगतना पड़े.
31. प्रज्ञा ठाकुर को कड़ा संदेश
गृह मंत्री अमित शाह ने बीजेपी सांसद प्रज्ञा ठाकुर के महात्मा गांधी पर दिए गए विवादित बयानों पर कहा कि बीजेपी ने इस बार कठोर संदेश उन्हें दिया है. उन्होंने कहा कि बीजेपी प्रज्ञा ठाकुर के बयानों का और न ही उनकी भावनाओं का किसी प्रकार से समर्थन करती है.

32. विशेष परिस्थितियों में प्रज्ञा को टिकट
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि साध्वी प्रज्ञा को पार्टी ने लोकसभा चुनाव में विशेष परिस्थितियों और अनुमान के आधार पर दिया गया था. अमित शाह ने कहा कि इस बार प्रज्ञा ठाकुर को सख्त मैसेज दिया गया है.

33. बलात्कार के दोषियों को जल्द दंड मिलना चाहिए
गृह मंत्री ने कहा कि महिलाओं पर अत्याचार के मामलों में जल्दी फैसले आने चाहिए, इस पर सबकी सहमति है. दोषियों को दंड जल्दी मिलना चाहिए. उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की मोदी सरकार ने ही इसके लिए फांसी की सजा का प्रावधान किया. इसे कानूनी जामा पहनाया.

34. हैदराबाद एनकाउंटर पर अमित शाह ने क्या कहा
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि हैदराबाद एनकाउंटर पर लोगों द्वारा खुशी जाहिर करना, न्याय मिलने में हो रही देरी को प्रकट करता है. गृह मंत्री ने कहा कि ऐसे मामलों में जल्द से जल्द इंसाफ मिलना चाहिए.

35. सेंगर पर कार्रवाई में वक्त क्यों
गृह मंत्री अमित शाह से जब पूछा गया कि बीजेपी रेप के दोषी सेंगर पर कार्रवाई करने में इतना देर क्यों लगा दी, तो उन्होंने कहा कि जब भी कोई मामला मीडिया में आता है तो सच्चाई जाने बिना एक्शन लेना ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि बीजेपी ने दोनों नेताओं के खिलाफ तत्काल एक्शन लिया और दोनों को सस्पेंड किया.


क्या है नागरिकता संशोधन कानून? जानिए इसके बारे में सब कुछ

नई दिल्‍ली:  नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Amendment Act) के खिलाफ देश भर में प्रदर्शन जारी है. मंगलवार को जामिया (Jamia) के बाद पूर्वी दिल्ली के सीलमपुर इलाके में सीएए (CAA) को लेकर जमकर बवाल हुआ. सीलमपुर इलाके में रैली निकाली गई जिस दौरान स्थानीय लोगों ने पुलिस पर पथराव किया. भीड़ से निपटने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े. वहीं, जामिया में प्रदर्शन अभी भी जारी है. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व में विपक्षी दलों के नेताओं ने मंगलवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की. जामिया मिल्लिया इस्लामिया में पुलिस कार्रवाई को लेकर विपक्ष ने न्यायिक जांच की मांग की है. बता दें कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ देश के 10 से ज्यादा संस्थानों में प्रदर्शन हो रहा है.
क्या है नागरिकता संशोधन कानून (CAA)
CAB (Citizenship Amendment Bill) संसद में पास होने और राष्ट्रपति की मुहर लगने के बाद नागरिक संशोधन कानून (CAA, Citizenship Amendment Act) बन गया है. सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट की मदद से पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और आस-पास के देशों में धार्मिक उत्पीड़न के कारण वहां से भागकर आए हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म के लोगों को भारत की नागरिकता दी जाएगी.

इस एक्ट में मुस्लिम धर्म के लोगों को शामिल नहीं किया गया है. नागरिकता संशोधन बिल के कानून बनने के बाद अब पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और आस-पास के देशों के हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म के वो लोग जिन्होंने 31 दिसंबर 2014 की निर्णायक तारीख तक भारत में प्रवेश कर लिया था. वे सभी भारत की नागरिकता के लिए आवेदन कर सकेंगे.

CAA में यह भी व्यवस्था की गयी है कि उनके विस्थापन या देश में अवैध निवास को लेकर उन पर पहले से चल रही कोई भी कानूनी कार्रवाई स्थायी नागरिकता के लिए उनकी पात्रता को प्रभावित नहीं करेगी. साथ ही ओसीआई कार्ड धारक यदि शर्तों का उल्लंघन करते हैं तो उनका कार्ड रद्द करने का अधिकार केंद्र को मिलेगा.


सोमवार, 9 दिसंबर 2019

Rough Driving

बुधवार, 4 दिसम्बर 2019 मैं पेंशनर के Income Tax के रेक्टीफिकेशन से संबन्धित कार्य के लिए अपने कार्यालय एन.एम.एल., बर्मामाइंस से विरदी निवास, बिष्टुपुर के लिए निकला।  सरकारी गाड़ी नहीं मिलने के बावजूद कार्य के महत्व को देखते हुए मैं अपनी व्यक्तिगत चारपहिये गाड़ी से इस कार्य के लिए निकल गया। 

कार्यालय से निकलते हुए ना जाने क्यूँ मैंने स्टेशन रूट की और गाड़ी मोड दी और फिर स्टेशन होते हुए बिष्टुपुर की ओर निकाल पड़ा। मेरी गाड़ी जैसे ही जुगसलाई फाटक से थोड़ी आगे निकली पीछे से एक 

बुधवार, 4 दिसंबर 2019

MRP and our responsibility

विगत 30 नबम्बर, 2019 को परिवार के साथ निक्को पार्क गया था। जैसा की प्रायः ही होता है की छुट्टी के दिनों परिवार के साथ कहीं ना कहीं घूमने निकल जाता हूँ, इसमें ये एक तरह का रूटीन भ्रमण का कार्यक्रम जैसा ही था। अपने परिवार के साथ साल भर में करीब 2 से 3 बार निक्को पार्क की सैर कर आता हूँ। 

जमशेदपुर शहर के बिस्टुपुर स्थित निक्को जुबली पार्क अपने आप में एक बेहद ही अच्छा और अनूठा पार्क है, जिसमें बच्चों के साथ साथ बड़ों से संबन्धित कई प्रकार के झूले के साथ, नौकायन की भी सुविधा उपलब्ध है और अभी हाल ही में इस पार्क में वॉटर पार्क की भी सुविधा प्रदान की गई है। जमशेदपुर जैसे शहर में इस तरह का यह एकलौता पार्क है। 

हर बार की तरह एक-एक झूले को झूलता आगे बढ़ता गया। फिर बच्चे की जिद और दुकान से lays की चिप्स। हर बार की तरह दुकानदार ने MRP से ज्यादा पैसे के डिमांड की और मैंने भी हर बार की तरह MRP से ज्यादा डिमांड किए गए पैसे उस दुकानदार को खामोशी से दे दिये और आगे बढ़ गया। मगर कुछ दूर आगे बढ़ने के बाद मुझे MRP से अधिक राशि उस दुकानदार को बिना किसी जिरह के दिये जाने पर अफसोस होने लगा और मैंने अन्तर्मन से ये फैसला किया कि हर बार की तरह इस बार मैं निक्को जुबिली पार्क से खामोशी से बाहर नहीं निकलूँगा। 

परिवार के साथ सारे झूले का आनंद उठाने के बाद अंतिम में सबके साथ नौकायन भी किया और जब पार्क के मुख्य द्वार पर पहुंचा तो मैंने वहाँ मौजूद सुरक्षाकर्मी से शिकायत रजिस्टर की मांग की। सुरक्षाकर्मी ने जब इसका कारण पूछा तो मैंने पार्क के अंदर लगाए गए दुकान के दुकानदार द्वारा MRP से अधिक राशि लेने की जानकारी दी। इसके बाद सुरक्षा कर्मी मुझे निक्को जुबिली पार्क के ऑफिस के अंदर किसी वरीय अधिकारी के पास ले गया और स्थिति की जानकारी दी। वरीय अधिकारी ने तुरंत मुझे आदर के साथ कुर्सी पर बैठने का निवेदन किया और उस सुरक्षाकर्मी से उस दुकानदार को बुलाने को कहा। थोड़ी ही देर में वो दुकानदार उस कमरे में मौजूद था। इसके बाद उस वरीय अधिकारी द्वारा उस दुकानदार को स्पष्ट शब्दों में चेतावनी दी गयी कि यदि MRP से अधिक राशि में समान बेचने संबंधी शिकायत भविष्य में दुबारा मिली तो उसके दुकान को निक्को जुबिली पार्क से हटा दिया जाएगा।  दुकानदार द्वारा तुरंत उस वरीय अधिकारी के साथ साथ ना सिर्फ मुझे माफी मांगी गयी अपितु मुझसे MRP से अधिक लिए गए राशि को मुझे वापस देने का प्रयास भी किया गया जिसे मैंने विनम्रतापूर्वक इंकार कर दिया। 

चेतावनी सुनकर और माफी मांगकर दुकानदार उस कमरे से बाहर जा चुका था। उस वरीय अधिकारी द्वारा मुझसे निक्को पार्क में भविष्य में इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति नहीं होने की बात कही गयी। मैं और मेरा अन्तर्मन आज निश्चिंतता के बोध के साथ एक दूसरे को शाबाशी दे रहे थे। 

आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि अब आज के बाद से निक्को जुबिली पार्क के किसी दुकान में कोई भी समान MRP से अधिक कीमत पर नहीं बेची जाएगी। 

ऐसे कई जगह हैं जहां हम सभी लोगों की जानकारी में सामान MRP से अधिक कीमत लेकर खुलेआम बेची जाती है, जैसे कि बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन आदि। मुझे लगता है हम सबों को इसका खुलकर विरोध करना चाहिए और साथ साथ संबन्धित जगह इसकी शिकायत बिलकुल करनी चाहिए। 

मंगलवार, 6 अगस्त 2019

आत्मसाक्षात्कार एवं नशा-मुक्ति मार्ग का सफर

आज के परिदृश्‍य में हमने खुद को मोबाइलटीवी तथा कम्‍प्‍यूटर की दुनिया से चिपका कर रखा है तथा हम फेसबुकटयूटर, वॉटसअपयू-टयूब जैसी कल्‍पनाशील दुनिया में खुद को कैद करके खोए-खोए से रहने लगे हैं। ऐसे में अंतरात्‍मा की गहराई से आने वाले भाव विलुप्‍त होते जा रहे हैं। इन भावों में दैविक शक्ति समाहित रहती हैजिससे प्रगतिशील विचारों के साथ-साथ सृजन की क्षमता का भी विकास होता है।
सोमवार, 2 जनवरी, 2012 को मैंने अपने ब्‍लॉग parmarthsuman.blogspot.in पर एक ब्‍लॉग लिखा 'नया साल 2012 : नए संकल्‍पऔर अपने आप से एक संकल्‍प लिया नशा नहीं करने का और मेरे लिए गर्व की बात है कि अगस्त, 2019 में प्रवेश करने के बाद भी आज मैं अपने उस संकल्‍प पर पूरी तरह से कायम हूं।
वर्ष 1994 अब तक के मेरे जीवन का सबसे उथल-पुथल करने वाला वर्ष । आत्‍महत्‍या में असफल रहा। इसके बाद जीवन में कोई लड़की नव-जीवन बनकर मेरे दिल में कैद हो गयी। घरेलू समस्‍याओं के साथ-साथ अन्‍य कई प्रकार की मानसिक वेदनाओं से ग्रस्‍त होकर अंतत: मैं इंटर प्रथम वर्ष में पदार्पण करते हुए नशा की दमघुटती राह में अग्रसर हो चला। यहां से आरंभ हुए मेरे इस नशा-यात्रा का अंत जनवरी 2012 में हुआयह भी एक अजीब संयोग ही है। इस 2012-1994 लगभग 18 वर्ष की यात्रा में मैंने अनेक उतार-चढाव देखे। उन दिनों की बातें याद करके आज भी मैं सिहर उठता हूं तथा उस दौरान किए गए कुकृत्‍य पर आज भी मैं शर्मिन्‍दा महसूस करता हूं। आज उन पलों को महसूस करता हूं तो यह पाता हूं कि इन 18 वर्षों के दौरान मैंने नशा नहीं किया अपितु नशे ने मुझे अपना शिकार बनाया।
वर्ष 1994 से मैंने गुटखा खाना आरंभ किया था। 1-2 की संख्‍या से आरंभ हुए इस नशा का शिकार मैं दिन प्रतिदिन होता ही चला गया। इस दौरान एक तो घरेलू परेशानियां तथा उसके बाद मानसिक अवसादजिसके परिणामस्‍वरूप मैं इस भंवर में न चाहते हुए भी उलझता चला गया। जैसा कि नशे के साथ होता है कि नशा करने के बाद ऐसा महसूस होता है कि मानसिक तनाव कुछ कम हो रहा है, ठीक मेरे मामले में भी यही होता रहा। गुटखे का हर पैकेट मुंह में डालने तथा उसका स्‍वाद जीभ से शरीर के अंदर जाने के बाद काल्‍पनिक रूप से मुझे भी औरों की तरह यही महसूस होता था कि मानसिक तनाव में कुछ कमी आई है। धीरे-धीरे एक दिन ऐसा भी आया कि गुटखे की संख्‍या प्रतिदिन 10-15 के बीच हो गई।
नशा के दौरान सोचने-समझने की शक्ति बिलकुल भी झीण हो जाती है तथा इस दौरान हम एक अलग ही दुनिया में लीन रहने लगते हैं एवं किसी के बोलने-टोकने का कोई फर्क नहीं पड़ता है। हम अपने आस-पास की दुनिया से अलग बेसुध होकर कहीं और ही खोए पड़े रहते हैं।
वर्ष 1994 से मैं अपने पडोस की एक लड़की से बेइंतहा मोहब्‍बत करता चला आ रहा था जबकि मेरे इकरारे मोहब्‍बत भरे दिल के टुकड़े खुद उसी ने अपने हाथों से करने में कोई गुरेज नहीं की थी। मैं उससे एकतरफा मोहब्‍बत में पागलों सा जीवन जी रहा था। इस दौरान 1995 में जैसे-तैसे मैं द्वितीय श्रेणी से इंटर भी पास कर गया। इसके बाद मैंने अपने स्‍वर्गीया माताजी के दबाव तथा अपने एक बचपन के दोस्‍त मनीष राज के अत्‍यधिक अनुरोध के कारण उसके साथ कम्‍प्‍यूटर प्रशिक्षण कोर्स करना आरंभ कर दिया तथा अलग-अलग संस्‍थाओं से कई प्रकार के कम्‍प्‍यूटर से संबंधित कोर्स मैंने सफलतापूर्वक पूरे भी किए। इस दौरान मैं पूरी तरह से नशा से ग्रस्‍त रहा तथा अब तो गुटखा के साथ-साथ जर्दायुक्‍त पान भी मेरे मुंह की शोभा बढाने लगे थे।
कम्‍प्‍यूटर से संबंधित बहुत सारे छोटे-मोटे तौर पर कोर्स करने के परिणामस्‍वरूप अगस्‍त 1997 के करीब मुझे अपने घर के समीप स्थित एनआईसीटी कम्‍प्‍यूटर में बतौर प्रशिक्षक कार्य करने का मौका मिला। प्रशिक्षण कार्य से जुड़ने के बावजूद मेरा नशा से संबंध विच्‍छेद नहीं हो पाया और मैं नशा करने की पराकाष्‍ठा तक पहुंच गया। इस दौरान वर्ष 1996-97 का वह दौर भी मैंने देखा जब मैं रात्रि के 7 बजे के करीब टाटा-पटना ट्रेन से अपने गांव फरदामुंगेर के लिए निकलता और टाटानगर स्‍टेशन से निकलने के बाद अपने गांव अगली सुबह 10 बजे के करीब पहुंचने तक 40-45 की संख्‍या में गुटखा का पैकट समाप्‍त कर लेता था। पूरी यात्रा के दौरान मेरा मुंह चलता ही रहता था और इसका पिक पूरी तरह से मेरे शरीर के अंदर चला जाया करता था।
यह वह दौर था जब मेरी जिंदगी से मिर्च और स्‍वाद दोनों ही गायब हो चुके थे। अब तो सब्जियों में हरी/लाल मिर्च की बात छोडिए, काली मिर्च तक मुझे परेशान करने लगी थी। इन दिनों मुझसे जुड़े लगभग सभी अपनों/दोस्‍तों/सगे-संबंधियों ने इस बुरी लत को छोड़ने का आग्रह किया था, मगर मैं अपनी एक अलग ही दुनिया में लीन होकर न जाने किस दिशा में बढ़ता चला जा रहा था। इस बीच 29 नवम्‍बर, 2000 का दिन भी आया जिस मैं आजीवन नहीं भूल सकता। इस दिन मेरी उस बेइंतहा मोहब्‍बत नेजिसे अपनी जिंदगी का लक्ष्‍य मानकर मैं जीने की कोशिश कर  रहा थामुझसे नशा छोडने का आग्रह कर दिया। मगर उस वक्‍त मैं तो एक अलग ही दुनिया में जी रहा था। बेहद ही अफसोस की बात है कि मैंने उस वक्‍त एक ऐसे शख्‍स के अनुरोध को ठोकर मार दिया जिसे कभी मैं अपने जीवन का हमसफर बनाना चाहता था और जिससे एकतरफा मोहब्‍बत में मैं वर्ष 1994 से सफर कर रहा था। नशा अपने परवान पर था और मैं पूरी तरह से उसकी गिरफ्त में कैद था।
अप्रैल 2002 में मेरी शादी हुई और सामान्‍यत: जैसा होता है पत्‍नी धर्म का पालन करते हुए मेरी नव विवाहिता पत्‍नी ने भी मुझसे गुटखा छोडने का प्रेममय अनुरोध अनेकों बार किया, जिसका मुझ पर कोई असर नहीं पड़ा। लगभग 3 महीने के बाद मेरे दोस्‍तों के दिए टिप्‍स पर अमल करते हुए मेरी पत्‍नी ने वह किया जो कभी मैं सोच भी नहीं सकता था। एक दिन अचानक जब मैं घर के अंदर दाखिल हुआ तो पाया कि सामने मेरी धर्मपत्‍नी साक्षात् दुर्गा का अवतार लिए मौजूद है। मेरे पैंट के पॉकेट में हाथ डालकर उसमें से गुटखा निकालते हुए मुझसे सवाल-जवाब का दौर उसने बिल्‍कुल ही कड़े लहजे में आरंभ करते हुए पूछा ''मैंने मना किया था ना? फिर भी आपको सुनाई नहीं पडताऐ क्‍या है आपके पॉकेट में?कितनी बार कहा यह सब बंद कीजिएआपको सुनाई नहीं पडता है क्‍या?'इस तरह का व्‍यवहार अपनी धर्मपत्‍नी से देखकर मैं एक बार तो विस्मित हुआ फिर संभलते हुए उससे पूछा ''आज क्‍या हो गया है तुमको?आखिर तुम चाहती क्‍या हो?'उसका जवाब एक आदेश की तरह मेरे रगों में महसूस हुआ ''आज से आप गुटखा नहीं खाएंगे'' मैंने उसके जवाब पर सवाल करते हुए पूछ डाला ''क्‍या करोगी यदि खाउंगा तो''  उसका सीधा और स्‍पष्‍ट जवाब तत्क्षण फिर मेरी ओर था ''तो फिर मैं भी खाउंगी'' इतना सुनना था कि एक नशेड़ी पति ने अपनी धर्मपत्‍नी के साथ वह सलूक किया, जिसका अफसोस आज भी मुझको है और ताउम्र रहेगा भी। आवेश में आकर मैंने तुरंत ही उस गुटखे के पॉकेट को उसके हाथों से छीनते हुए अपने हाथों में लिया और उसे फाडते हुए पूरा का पूरा पॉकेट अपनी पत्‍नी के मुंह में जबरदस्‍ती डाल दिया। इसके बाद लगभग 30 मिनट तक वह उल्‍टी पर उल्‍टी करती रही और मैं बेशर्म जैसा कुछ दूर पर खडा होकर यह तमाशा देखता रहा। आज महसूस करता हूं तो अपने इस कृकृत्‍य पर बेहद ही शर्मिन्‍दगी होती है और मुझे उस दिन की अपनी इस तरह की मर्दान्‍गी पर आज भी लानत महसूस होती है। हालांकि इस घटना के बाद मेरी धर्म पत्‍नी द्वारा फिर कभी मेरे नशे के मार्ग में बाधा उत्‍पन्‍न करने की कोशिश नहीं की गयी।
वर्ष 2002 से 2006 के दौरान राष्‍ट्रीय धातुकर्म प्रयोगशाला (एन.एम.एल.)जमशेदपुर में अस्‍थायी पद पर वरिष्‍ठ हिन्‍दी अधिकारी डॉ. पुरुषोत्‍तम कुमार जी के अधीन कार्य करते हुए राजभाषा हिन्‍दी के प्रति लगाव व झुकाव का उत्‍पन्‍न होना तथा इसके बाद डॉ. कुमार के प्रोत्‍साहन से हिन्‍दी काव्‍य रचना की ओर प्रेरित होते हुए 'आराधनाकाव्‍य की रचना करना अपने आप में एक अद्भुत संयोग रहा। एनएमएलजमशेदपुर जैसे गौरवान्वित करने वाले प्रयोगशाला में रहते हुए भी नशा का साथ नहीं छूटना अपने आप में कई सवाल उत्‍पन्‍न करता हैजिसका मेरे पास कोई जवाब आज तक नहीं है।       
20 जून, 2006 को मुझे सरकारी नौकरी सीएमआईआरआईदुर्गापुरपश्‍चिम बंगाल में मिली और मैंने वहां कार्यभार ग्रहण किया। वहां का माहौल कुछ अलग था। अधिकतर लोग पान/गुटखा की बजाए बीडी/सिगरेट पीते थे। मैंने भी वहां के माहौल में अपने नशे को बदलने की कोशिश की, मगर एक दिन में 20-25 सिगरेट पीने के बाद भी सुकून नहीं मिल पाने की वजह से अंतत: मैं अपने पुराने नशे गुटखा/पान में ही आकर सिमट गया। लगभग दो वर्ष पश्चिम बंगाल में रहने के बाद मैं 1 सितम्‍बर, 2008 को एनएमएलजमशेदपुर वापस अपने नशे के साथ अपने पुराने शहर लौट आया था। स्थिति बद से बदतर होती जा रही थी। मैं खाने/पीने के उस दौर में पहुंच चुका था जहां कोल्‍ड ड्रिंक्‍स भी अब गले से नीचे नहीं उतर पा रही थी और अब मेरे लिए बिना हरी/लाल मिर्च और मसाले के घर में अलग से सब्‍जी बनने लगी थी। इतना कुछ होने के बावजूद मैं अपने आप को नशे की अंधेरी दुनिया से दूर ले जा पाने में सफल नहीं हो पा रहा था। इतनी शारीरिक परेशानियों के बावजूद नशा करने के बाद मुझे यही महसूस होता था कि इन सब मानसिक परेशानियों से छुटकारा नशा ही दिलाती है। नशा एक तरह से मेरी जिन्‍दगी का एक अभिन्‍न अंग बन चुकी थी तथा यह अब मेरे दैनिक जीवन का एक अहम् हिस्‍सा बन चुकी थी।
31 दिसम्‍बर, 2011 शनिवार मेरे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण दिन रहा। एक तरह से कहूं तो मेरे लिए आत्‍मसाक्षात्‍कार का दिन था।  संध्‍या समय पूरी तरह टीवी पर आ रहे नए साल से संबंधित कार्यक्रमों को देखते हुए बीता और इसी दौरान अंतर्मन में नव वर्ष पर कुछ नया करने का उमंग उठता प्रतीत हुआ। कुछ नया करने की उलझन में रात्रि प्रहर मैं बिस्‍तर पर इधर-उधर करवटें बदलता रहा कि अचानक महसूस हुआ कि स्‍नान आदि से निवृत होकर मैं गायत्री मंदिर के अंदर अपने दोनों हाथों को जोड़ते हुए प्रवेश कर रहा हूं। बार-बार कई बार यही दृश्‍य बिस्‍तर पर लेटे हुए मेरी आंखों के सामने से आर-पार होते रहे। थक हारकर मैं यह सोचने को विवश हो गया कि आखिर इन दृश्‍यों का मेरी वा‍स्‍तविक जिंदगी से क्‍या संबंध है और ये मुझे क्‍या संदेश देना चाहते हैं। इसी उधेडबुन में कब रात बीत गई और कब मै नव वर्ष के प्रांगण में अपने पैर रख गया, यह पता ही नहीं चला। रविवार, 1 जनवरी, 2012 का मेरा पूरा दिन इसी उलझन में कैसे बीत गया कुछ पता ही नहीं चला। संध्‍या समय मै अपने रूम पर अकेला ही था और बीते रात के दृश्‍यों पर चिंतन कर ही रहा था, तभी यह  ध्‍यान आया कि एक तरफ मैं आस्‍था से जुडे होने के कारण निर्जीव पत्‍थर की प्रतिमा का पूजन शुद्धता से करने के लिए देव स्‍थान के अंदर प्रवेश करने से पूर्व अपने शरीर को कितने अच्‍छे तरीके से स्‍वच्‍छ कर रहा हूं और उसके बाद ही वहां प्रवेश कर रहा हूं, वहीं दूसरी तरफ मैं अपने शरीर रूपी देव स्‍थल, जिसमें आत्‍मा रूपी ईश्‍वर सजीव रूप से विद्यमान हैं - इसके अंदर पान/गुटखा के रूप में कितने दूषित व विषैले तत्‍व को दैनिक रूप से समाहित कर रहा हॅूं। यह तो मेरी आस्‍था के दोहरे चरित्र को उजागर कर रहा है। यह भाव अंतर्मन में आते ही तत्‍क्ष्‍ण मैंने नशामुक्ति द्वार की ओर आगे बढने का निर्णय लिया और यह प्रण लिया कि मैं अपने जीवन को हर प्रकार के व्‍यसन से दूर रखूंगा।
आज जबकि वर्ष 2024 चल रहा है तथा वर्ष 2012 के दौरान लिए गए अपने प्रण में पूरी तरह सफल रहते हुए पिछले 12 वर्षों के दौरान अपने जीवन से हर प्रकार के व्‍यसन को पूरी तरह से दूर रखा। इसका सुखद परिणाम मैं मसहूस कर रहा हूँ। मेरे खाने की थाली में हर प्रकार के मसाले के साथ-साथ हरी मिर्च भी दैनिक रूप से परोसे जाने लगे हैं तथा अब हर प्रकार के मसाले के स्‍वाद को अंतर्मन से महसूस कर पा रहा हूँ।

आज भी मैं वर्ष 1994 से 2011 तक (23 वर्षों) के न भूल पाने वाले नशा के सफर को याद करके सिहर उठता हूँ । इन 23 वर्षों का नशा से मेरा अनुभव यही सीख देता है कि नशा हमें शारीरिक एवं मानसिक बीमारियों के साथ-साथ हमारे अंदर से मनुष्‍यता के भाव को समाप्‍त कर देता हैहमारे अंदर अच्‍छे-बूरे में फर्क करने के भाव को समाप्‍त कर देता हैहमारे आत्‍मबल को कमजोर कर देता है तथा हमें अंदर से खोखला कर देता है।

मंगलवार, 1 मार्च 2016

धिक्कार है तूझपे

जिस माता ने तूझे जन्म दिया
उसकी गोद में बैठकर
दुश्मनों की जय जयकार करते हो
धिक्कार है तूझपे, धिक्कार है तूझपे
जिसकी छाती पर, गुजारा तूने अपना बचपन
उस माटी को कलंकित करते हो
धिक्कार है तूझपे, धिक्कार है तूझपे
देश की आस्था पर हमला करवाकर
जिसने आतंकवादियों का साथ दिया
उसको शहीद बताकर, शहीदों का अपमान करते हो
धिक्कार है तूझपे, धिक्कार है तूझपे
देश के भविष्य तुम, देश के तुम कर्णदार
ऐ कैसी अभिव्य्क्ति तेरी, जिससे समूचा देश हो शर्मसार
ऋषि-मुनियों की यह पवित्र भूमि
जिससे पूरा विश्व हुआ आलोकमय
उसी जमीं पर ऐसी, विकृत मानसिकता रखते हो
धिक्कार है तूझपे, धिक्कार है तूझपे
छात्र जीवन होता बडा संयमित
दार्शनिक-सा विचार होता
बाल-सुलभ सा व्यवहार होता
निश्छल-सा स्वभाव होता
छात्र नाम को लांछित करके
क्यों देशद्रोही साजिश रचते हो
धिक्कार है तूझपे, धिक्कार है तूझपे
सहिष्णु हैं सदभाव हैं,
हर धर्म के प्रति आदर भाव है
न जाने क्यों फिर कट्टरपंथी बनकर
गांधी की इस तपो‍भूमि को
हिंसात्मक नारों से उद्वेलित करते हो
धिक्कार है तूझपे, धिक्कार है तूझपे
................................................परमार्थ सुमन

बुधवार, 24 फ़रवरी 2016

Jawahar Lal University - aim

आज मैं जवाहर लाल नेहरु यूनिवर्सिटी के वेबसाइट के हिन्‍दी संस्‍करण के मुख्‍य पृष्‍ठhttp://www.jnu.ac.in/Hindi/ पर दिए गए कुछ अंश यहां प्रस्‍तुत कर रहा हूँ -
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"विश्‍वविद्यालय का उद्‍देश्य मानवता, सहनशीलता, तर्कशीलता, चिन्तन प्रक्रिया और सत्य की खोज की भावना को स्थापित करना होता है। इसका उद्‍देश्य मानव जाति को निरन्तर महत्तर लक्ष्य की ओर प्रेरित करना होता है। अगर विश्‍वविद्यालय अपना कर्तव्य ठीक से निभाएं तो यह देश और जनता के लिए अच्छा होगा।"

विश्‍वविद्यालय के उद्‍देश्य हैं : -
अध्ययन, अनुसंधान और अपने संगठित जीवन के उदाहरण और प्रभाव द्वारा ज्ञान का प्रसार तथा अभिवृद्धि करना। उन सिद्धान्तों के विकास के लिए प्रयास करना, जिनके लिए जवाहरलाल नेहरू ने जीवन-पर्यंत काम किया। जैसे - राष्‍ट्रीय एकता, सामाजिक न्याय, धर्म निरपेक्षता, जीवन की लोकतांत्रिक पद्धति, अन्तरराष्‍ट्रीय समझ और सामाजिक समस्याओं के प्रति वैज्ञानिक दॄष्‍टिकोण।
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मगर बेहद ही दुख के साथ कहना पड रहा है कि पिछले दिनों जे.एन.यू. के अंदर की देशद्रोह घटना की वीडियो कवरेज बाहर आने के बाद जब हमें यह पता चल रहा है कि यहां के न सिर्फ कुछ छात्र-छात्राएं देशद्रोही घटना में शामिल हैं बल्कि यहां के कुछ तथाकथित प्रोफेसर भी इसे अपना समर्थन दे रहे हैं, ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि जे.एन.यू. जब अपने उददेश्‍यों से इतना भटक चुका है तो क्‍यों न इस प्रकार के विश्‍वविदयालय को नेस्‍तनाबूद कर दिया जाए तथा अब समय की यही मांग है कि इसे पूरी तरह से सरकार के नियंत्रण में लेने की दिशा में आवश्‍यक कार्रवाई की जाए तथा देशद्रोहियों के प्रति सख्‍त से सख्‍त कार्रवाई की जाए।
यह बेहद ही शर्म की बात है कि देश की राजधानी जिसे देश का दिल भ्‍ाी कहा जाता है वहीं के एक प्रसिद्ध विश्‍वविदयालय में इस तरह की खुलेआम घटना होती हो और दिल्‍ली पुलिस तक को इसके कैम्‍पस में घुसने के लिए काफी जददोजहद करनी पडती है वहीं दूसरी तरह हम आतंकी का पीछा करते हुए दूसरे देश की सीमा में घुसकर उसे मारने तक का दावा करते हैं।
राजनीतिक विरासत के लिए देशद्रोही गतिविधियों के प्रति इस तरीके से नरमी बरतना भविष्‍य के लिए अच्‍छा संकेत बिलकुल भी नहीं हैा कम से कम इस मुददे पर राजनीतिक रोटी सेकने की बजाए देश की एकता और अखंडता को ध्‍यान में रखते हुए सारे राजनैतिक दलों के आकाओं को एकजुटता दिखानी चाहिए।

बुधवार, 17 फ़रवरी 2016

JNU men deshdroh sajish

जे.एन.यू जैसे विश्वविख्यात विश्वविदयालय में जो कुछ पिछले दिनों घटित हुआ वह घटनाक्रम वाकई सोचने को विवश करने वाला है। इसी विश्वविदयालय के कुछ छात्रों के समूह द्वारा पूरे देश को शर्मसार करने वाला वीडियो वायरल होने के बाद हम सभी यह सोचने को बाध्य हैं कि आखिरकार क्यों इनके द्वारा एक ऐसे आतंकी का महिमामंडन करते हुए न सिर्फ उसके लिए नारे लगाए गए बल्कि देशविरोधी नारे भी लगाए गए।

एक आतंकी के लिए इस तरह का प्रचार किया गया जैसे कि उसने देश की आजादी में अपने प्राण न्योछावर करते हुए शहादत पाई हो जबकि सच्चाई तो यही है कि देश के मंदिर कहे जाने वाले संसद पर आतंकवादी हमला करने में इस शख्‍स ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी। शिक्षा के मंदिर में अपना भविष्य संवारने के लिए आए कुछ छात्रों द्वारा जो इस तरह के अनैतिक कार्य किए गए इससे न सिर्फ हिन्दुस्तान में अपितु पूरे विश्वय में इस विश्वविदयालय की गरिमा तार-तार हुई है ।

पिछले दिनों सहिष्णुता के नाम पर पूरे हिन्दुस्तान में बवाल काटा गया जिसकी परिणिती में कई सारे जाने माने लोगों ने तो अपने-अपने अवार्ड तक सरकार को वापस किए तथा कईयों ने भारत सरकार पर कठोर कटाक्ष तक किए। आज जबकि हालात सामने हैं खुलेआम देश की राजधानी में न सिर्फ आतंकवादी को शहीद का दर्जा देते हुए उसके पक्ष में नारेबाजी करते हुए कितने अफजल मारोगे, हर घर से अफजल निकलेगा का नारा लगाया गया बल्कि 'पाकिस्तान जिंदाबाद, लडकर लेंगे आजादी, कश्मीर मांगे आजादी, भारत तेरे टुकडे होंगे, इंशाअल्लाह, इंशाअल्ला आदि । शिक्षा के मंदिर में इस तरह से खुलकर देशद्रोह का अपराध करते हुए जेएनयू के कई छात्रों का सरेआम अभिव्‍‍यक्ति की आजादी के नाम पर किया गया यह देशद्रोह जैसा अपराध किसी भी प्रकार से माफी के काबिल नही है। ऐसे छात्र किसी भी प्रकार से हमारे देश के भविष्‍य बिलकुल भी नहीं हो सकते।


मेरी जेएनयू विश्वसविदयालय के सभी बुदधजीवियों तथा देश के सभी राजनेताओं से नम्र अपील है कि वे सभी एक स्वर में देशद्रोहियों के प्रति किए जा रहे ठोस तथा सख्‍त कार्रवाई का समर्थन करें ताकि भविष्यि में हिन्दुतान की जमीन पर रहकर, यहीं का नमक खाकर कोई भी इस देश के प्रति गददारी, नमकहरामी करने से पहले सौ बार सोचे जिससे देश व देश के लोग संगठित तथा सुरक्षित रह सके।

सोमवार, 6 जुलाई 2015

Jharkhand Government : Tribal Areas/Scheduled Areas Allowance

भारत के राजपत्र में प्रकाशित, विधि व न्‍याय मंत्रालय, भारत सरकार के 11 अप्रैल, 2007 के आदेश के तहत झारखण्‍ड राज्‍य के कुछ जिलों जिसमें 1. रांची जिला, 2. लोहदगा जिला, 3. गुमला जिला, 4. सिमडेगा जिला, 5. लातेहार जिला, 6. पूर्वी सिंहभूम जिला, 7. पश्‍चिमी सिंहभूम जिला, 8. सरायकेला-खरसावां जिला, 9. साहेबगंज जिला, 10. दुमका जिला, 11. पाकुर जिला, 12. जामतारा जिला, 13. पलामू जिला -सतबरवा ब्‍लॉक की राबदा और बकोरिया पंचायतें, 14. गढवा जिला-भंडारिया ब्‍लॉक, 15. गोडडा जिला-सुंदर पहाडी और बौरीजोर ब्‍लॉक को अनुसूचित क्षेत्र घोषित किया गया है। 


भारत सरकार के वित्‍त मंत्रालय के OM No.19(4)-E.IV(B)/70-Vol.II, dated 19.2.1972 जिसे OM No.17/1/98-E.II(B) dated 17.7.1998 तथा कार्यालय ज्ञापन संख्‍या 17(1)/2008-E.II(B) दिनांक 29 अगस्‍त, 2008 के तहत देय घोषित किए गए अनुसूचित क्षेत्र में कार्य करने वाले राज्‍य सरकार तथा केंद्र सरकार के कार्मिकों को अनुसूचित क्षेत्र भत्‍ता मिलने का प्रावधाना किया गया हैा 

भारत सरकार के 11 अप्रैल, 2007 के भारत के राजपत्र में प्रकाशन के बावजूद आज की तिथि तक झारखण्‍ड राज्‍य के कार्मिकों को देय अनुसूचित क्षेत्र भत्‍ता का लाभ नहीं मिल पाया है। इस दिशा में संबंधित अधिकारियों/प्रशासन के मातहतों को पहल करने की जरूरत है ताकि कार्मिकों को देय उनका हक मिल सके। 

विगत दिनों 4 जुलाई, 2015 के दैनिक भाष्‍कर के जमशेदपुर अंक के समाचार पत्र से मिली जानकारी के अनुसार हालांकि रेलवे ने झारखण्‍ड के उपरोक्‍त 15 जिलों में तैनात अपने कार्मिकों को अनुसूचित क्षेत्र भत्‍ता प्रदान करने की मंजूरी दे दी है। अब देखना है आखिर झारखण्‍ड सरकार के सरकारी कार्मिकों को आखिर कब तक उनका हक मिल पाता है। 







बुधवार, 29 अप्रैल 2015

मैं और मेरा अहंकार

बीते 30 मार्च, 2015 को अंतत: मैंने अपनी माँ को हमेशा-हमेशा के लिए खो दिया।  वह चली गई, इस दुनिया को छोडकर हमेशा के लिए और अपने पीछे छोड गई मेरे लिए कई सवाल जिसके जवाब मैं खुद से पिछले कई दिनों से करता फिर रहा हूं। 

इन बीते 31 दिनों के खुद से सवाल-जवाब का निष्‍कर्ष यही है कि मेरे अंदर के अहंकार ने मुझसे मेरी मां को कम से कम 15 साल पहले जुदा कर दिया। मैंने अपने अहंकार की वजह से अपनी उस मां को हमेशा-हमेशा के लिए खो दिया, जो दुनिया में सबसे ज्‍यादा मुझे मानती थी, सबसे ज्‍यादा मुझसे प्‍यार करती थी। 

खुद को सही मानकर सिर्फ और सिर्फ अहंकार की वजह से ही नहीं झुकने की सजा मुझे इतनी बडी मिली है, इसका एहसास आज जाकर मुझे हो रहा है। मैं आज बीच में दूसरों की बात बिलकुल भी नहीं करना चाहता, आज सिर्फ और सिर्फ मैं और मेरी मां के बीच की बात हो रही है, कोई बीच में नहीं, बिलकुल भी नहीं। 

मैंने अपनी उस मां को अपने अहंकार/अहम/दंभ  की वजह से खो दिया है जो मेरे जीवन की सारी सफलताओं की जिम्‍मेदार थी। मेरा बचपन में स्‍कूल जाना, हाईस्‍कूल में पढाई जारी रखना, कम्‍प्‍यूटर सीखना आदि सारी सफलताओं में मां एक जिम्‍मेदार तथा महत्‍तवपूर्ण कारक थी जिसके बिना कुछ भी संभव नहीं था। मगर मैंने उसे अपने अहंकार की वजह से खो दिया। 

क्‍या कुछ नहीं मिला मुझे विरासत में, संस्‍कार, सेवा भाव, परोपकार की भावना मगर न जाने कैसे मेरे पास इस तरह का अहंकार कैसे घर कर गया इसकी सजा का मैं आजीवन हकदार हूं।