नागरिकता विधेयक 2019 गृह मंत्रालय अमित शाह द्वारा 9 दिसंबर, 2019 को लोकसभा में पेश किया गया और लोकसभा में 311 बनाम 80 वोटों से यह विधेयक पारित हो गया। 11 दिसंबर को इसे राज्यसभा में पेश किया गया जहां बिल के पक्ष में 125 और खिलाफ में 99 वोट पड़े। इस तरह से बिल पास हो गया। बिल को 12 दिसंबर को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद अब यह कानून बन गया है जिसका देश में बड़े पैमाने पर विरोध हो रहा है। आइए इस मौके पर हम जानते हैं कि नागरिकता कानून 1955 क्या है और इसमें संशोधन का प्रस्ताव कब रखा गया...
नागरिकता कानून 1955 क्या है
नागरिकता कानून, 1955 का संबंध भारतीय नागरिकता अधिग्रहण करने और नागरिकता तय करने के लिए है।भारत के संविधान के साथ ही नागरिकता कानून, 1955 में भारत की नागरिकता से संबंधित विस्तृत कानून है।किसी व्यक्ति को नागरिकता देने के लिए भारत के संविधान के अनुच्छेद 5 से 11 (पार्ट II) में प्रावधान किए गए हैं।
नागरिकता संशोधन विधेयक, 2016 क्या था?
नागरिकता कानून, 1955 में बदलाव के लिए नागरिकता संशोधन विधेयक, 2016 पेश किया गया था। यह विधेयक 19 जुलाई, 2016 को पेश किया गया था। इसमें भारत के तीन मुस्लिम पड़ोसी देशों बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए अवैध गैर मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता देने का प्रावधान है। 12 अगस्त, 2016 को इसे संयुक्त संसदीय कमिटी के पास भेजा गया था। कमिटी ने 7 जनवरी, 2019 को अपनी रिपोर्ट सौंपी। उसके बाद अगले दिन यानी 8 जनवरी, 2019 को विधेयक को लोकसभा में पास किया गया। लेकिन उस समय राज्य सभा में यह विधेयक पेश नहीं हो पाया था। इस विधेयक को शीतकालीन सत्र में सरकार की ओर से फिर से पेश किया गया।
नागरिकता विधेयक, 2019 फिर से क्यों पेश करना पड़ा?
संसदीय प्रक्रियाओं के नियम के मुताबिक, अगर कोई विधेयक लोकसभा में पास हो जाता है लेकिन राज्य सभा में पास नहीं हो पाता और लोकसभा का कार्यकाल समाप्त हो जाता है तो वह विधेयक निष्प्रभावी हो जाता है यानी उसको फिर से दोनों सदनों में पास कराना होगा। वहीं राज्य सभा से संबंधित नियम अलग है। अगर कोई विधेयक राज्य सभा में लंबित हो और लोकसभा से पास नहीं हो पाता और लोकसभा भंग हो जाती है तो वह विधेयक निष्प्रभावी नहीं होता है। चूंकि यह विधेयक राज्यसभा से पास नहीं हो पाया था और इसी बीच 16वीं लोकसभा का कार्यकाल समाप्त हो गया, इसलिए इस विधेयक को फिर से दोनों सदन में पास कराना पड़ा। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह कानून बन गया।
अब नए कानून में क्या है प्रावधान?
नागरिकता संशोधन कानून 2019 में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और क्रिस्चन धर्मों के प्रवासियों के लिए नागरिकता के नियम को आसान बनाया गया है। पहले किसी व्यक्ति को भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए कम से कम पिछले 11 साल से यहां रहना अनिवार्य था। इस नियम को आसान बनाकर नागरिकता हासिल करने की अवधि को एक साल से लेकर 6 साल किया गया है यानी इन तीनों देशों के ऊपर उल्लिखित छह धर्मों के बीते एक से छह सालों में भारत आकर बसे लोगों को नागरिकता मिल सकेगी। आसान शब्दों में कहा जाए तो भारत के तीन मुस्लिम बहुसंख्यक पड़ोसी देशों से आए गैर मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता देने के नियम को आसान बनाया गया है।
गृह मंत्री अमित शाह ने नागरिकता कानून पर हो रहे प्रदर्शन, नागरिकता कानून के अलग-अलग आयामों, एनआरसी, अर्थव्यवस्था, बेरोजगारी, महाराष्ट्र के नतीजों और झारखंड चुनाव पर विस्तार से बात की है. देश के नंबर वन हिन्दी न्यूज चैनल आजतक के 'एजेंडा आजतक' के आठवें संस्करण में टीवी टुडे नेटवर्क के न्यूज डायरेक्टर राहुल कंवल के साथ उन्होंने 90 मिनट तक लंबी बातचीत में नागरिकता कानून पर हो रहे विरोध प्रदर्शन का जवाब दिया.
1. सिर्फ 4 विश्वविद्यालयों में गंभीर प्रदर्शन
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि देश में लगभग 224 विश्वविद्यालय हैं, जिनमें से 22 विश्वविद्यालय में प्रदर्शन हो रहा है. इनमें से 4 ऐसे विश्वविद्यालय हैं, जहां गंभीर विरोध प्रदर्शन हुआ है. गृह मंत्री ने कहा कि बाकि विश्वविद्यालयों में मामूली प्रदर्शन हुआ है.
2. CAA से नागरिकता मिलती है, जाती नहीं
गृह मंत्री ने कहा कि नागरिकता कानून के जरिए किसी भी भारतीय नागरिक की नागरिकता नहीं जाने वाली है, चाहे वो किसी भी धर्म का हो. उन्होंने कहा, "मैं देश के सभी
अल्पसंख्यक भाइयों-बहनों से कहना चाहता हूं कि इस एक्ट से आपको रत्ती भर भी नुकसान नहीं होने वाला है क्योंकि एक एक्ट से किसी की नागरिकता नहीं जाती है. एक्ट से सिर्फ नागरिकता देने का अधिकार है और जब किसी को नागरिकता देने का कानून है तो देश के मुस्लिम हों या हिंदू किसी को नागरिकता को लेकर डरने की जरूरत ही नहीं है.'
3. CAA लागू करने से मना करने का अधिकार नहीं
अमित शाह ने कहा कि किसी भी मुख्यमंत्री को नागरिकता संशोधन कानून के लिए मना करने का कोई अधिकार नहीं है. जब संसद ने कानून बना दिया तो यह पूरे देश में लागू होगा. उन्होंने कहा कि नागरिकता केंद्र की सूची में है. गृह मंत्री ने कहा कि जब इसे संसद के दोनों सदनों ने पास कर दिया है तो यह पूरे देश में लागू हो गया है. किसी भी राज्य को मना करने का अधिकार नहीं है. कानून बन चुका है और यह पूरे देश के लिए लागू हो गया है.
4. एकजुट होकर विपक्ष CAA पर अफवाह फैला रहा
एंजेडा आजतक में अमित शाह ने कहा कि देशभर में हो रहे प्रदर्शन के लिए विपक्ष जिम्मेदार है. उन्होंने
कांग्रेस समेत विपक्षी दलों पर बरसते हुए कहा पूरा विपक्ष एकजुट होकर नागरिकता संशोधन कानून पर अफवाह फैला रहा है.
5. जो नागरिक नहीं, वो भारत से बाहर होगा
गृह मंत्री ने एनआरसी पर चल रहे विवादों पर भी अपनी राय रखी. अमित शाह ने कहा कि एनआरसी में धर्म के आधार पर कोई कार्रवाई नहीं होगी और जो कोई भी एनआरसी के तहत इस देश का नागरिक नहीं पाया जाएगा, सबको निकालकर देश से बाहर किया जाएगा. उन्होंने कहा कि NRC सिर्फ मुस्लिमों के लिए नहीं है.
6. धर्म के आधार पर बंटवारे की बात कांग्रेस ने क्यों मानी
अमित शाह ने आगे कहा कि देश का बंटवारा धर्म के आधार पर नहीं होना चाहिए था मगर कांग्रेस ने बंटवारे की डिमांड पर सरेंडर किया और इस देश का विभाजन धर्म के आधार पर हुआ. उन्होंने कहा कि अगर धर्म के आधार पर देश का बंटवारा नहीं होता तो इस बिल की नौबत ही नहीं आती.
7. हिंसा को रोकना पुलिस का फर्ज भी और धर्म भी
जामिया में हुई हिंसा पर गृह मंत्री ने कहा कि जब हिंसा फैलाई जा रही हो, तो उसे रोकना पुलिस का फर्ज भी है और धर्म भी. गृहमंत्री ने कहा कि यदि पुलिस हिंसा रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाती, तो हमारी नजर में वह अपनी ड्यूटी ठीक से नहीं कर रही है. उन्होंने कहा है कि जामिया मिलिया के अंदर से पथराव होता है, लोग बाहर से आते हैं और तोड़-फोड़ करते हैं. उन्होंने कहा कि दंगाई दंगा करते रहें और पुलिस मूकदर्शक बनी रहे, यह कैसे हो सकता है
8. CAA का विरोध करने से पहले इसे पढ़ें
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि अभी तक इस कानून को विरोध कर रहे बच्चों ने उस कानून को ठीक से पढ़ा नहीं है. पहले वे इसे ढंग से पढ़ लें, उनकी शंकाए दूर हो जाएंगी. बीजेपी अध्यक्ष ने कहा कि इसके बाद कोई समस्या-समाधान होगा, तो उसको लेकर जरूर सरकार बातचीत करेगी.
9. क्या शोकेस में रखने के लिए बनाया NRC
देश के गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि NRC का आइडिया कांग्रेस का है. क्या कांग्रेस इस कानून को शोकेस में रखने के लिए लेकर आई थी. अमित शाह ने कहा कि राजीव गांधी के समय में ही असम समझौता किया था.
10. जो 1950 में तय हुआ वो 70 साल में नहीं हुआ
गृह मंत्री ने इस कार्यक्रम में कहा कि जब नेहरू-लियाकत अली समझौते का पाकिस्तान में पालन नहीं हुआ तब यह हमारी जिम्मेदारी थी कि हम वहां के अल्पसंख्यकों को यहां शरण दें. कांग्रेस ने 70 साल तक इन लोगों को नर्क की जिंदगी जीने के लिए मजबूर किया. अपनी वोट बैंक के लिए उन्हें कई चीजें भुगतनी पड़ी.
11. युगांडा से आए तो हिंदुओं को नागरिकता क्यों
गृह मंत्री अमित शाह ने चर्चा के दौरान कांग्रेस से बड़ा सवाल भी पूछा. उन्होंने कहा कि आज वे कांग्रेस के नेताओं से सवाल पूछना चाहते हैं कि युगांडा से सारे हिंदू आए तो कांग्रेस ने उन हिंदुओं को नागरिकता क्यों दी?
12. कांग्रेस ने शेख अब्दुल्ला को 11 सालों तक तमिलनाडु में रखा
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि हमने तो फारुक अब्दुल्ला को अच्छे से कश्मीर में रखा है. वहां दो कांस्टेबल ही हैं. कांग्रेस ने तो शेख अब्दुल्ला को कश्मीर नहीं बल्कि तमिलनाडु में 11 साल तक नजरबंद रखा था. गुलाम नबी आजाद को इस मुद्दे पर सवाल पूछने का हक नहीं है.
13. फ्रांस सारे हिंदुओं को निकाल दे तो वो कहां जाएंगे
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नागरिकता संशोधन कानून का विरोध कर कांग्रेस पर बड़ा हमला बोला और सवाल उठाया कि अगर कल को सत्ता परिवर्तन के बाद फ्रांस अपने यहां से सारे हिंदुओं को निकाल दे तो वो कहां जाएंगे. उन्होंने कहा कि अगर हिन्दू प्रताड़िता होंगे तो यहीं आएंगे.
14. कांग्रेस गैर मुस्लिमों को सुरक्षा देने को बाध्य
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने 25 नवंबर 1947 को अपनी कार्यकारिणी ने संकल्प अंगीकार किया और कहा कि वह पाकिस्तान के उन सभी गैर मुस्लिमों को पूर्ण सुरक्षा देने के लिए बाध्य है. जो उनके जीवन और सम्मान की रक्षा करने के लिए जो सीमा पार कर के भारत आए हैं या आने वाले हैं.
15. 5 साल में 600 मुसलमानों को दी नागरिकता
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि हमारी सरकार ने पांच साल में अफगानिस्तान, पाकिस्तान समेत दूसरे देश से आए 600 प्रताड़ित मुसलमानों को नागरिकता दी है. दुनिया के किसी भी देश में हिंदू निकाला जाएगा तो कहां जाएगा, यहीं आएगा. 1971 में इंदिरा गांधी ने सामूहिक नागरिकता दी थी.
16. नेहरू जी ने कहा था 370 घिस जाएगा, हमने घिस दिया
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि भारत की संविधान पीठ में ज्यादातर लोग कांग्रेसी थे. 370 हटाने का रास्ता कांग्रेस ने ही दिया था. नेहरू जी ने तभी संसद में कहा था कि 370 घिसते-घिसते घिस जाएगा. हमने घिस दिया.
17. PoK भारत का है, भारत में ही रहना चाहिए
अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार ये मानती है कि पाक अधिकृत कश्मीर (POK) भारत का है, भारत में सम्मिलित होना चाहिए. उन्होंने कहा कि ये मंच नहीं है कि एडवांस में इसकी घोषणा की जाए.
18. अयोध्या एक्ट कांग्रेस लेकर आई, अब ऐतराज क्यों
अमित शाह ने कहा कि वर्ष 1994 में कांग्रेस अयोध्या एक्ट लेकर आई. उसमें कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट अगर फैसला हिंदू के पक्ष में करेगी तो जमीन हिंदुओं को दी जाएगी. मुसलमानों के पक्ष में फैसला आएगा तो जमीन उन्हें दी जाएगी. अब सुप्रीम कोर्ट ने हिन्दुओं के पक्ष में फैसला सुना दिया तो कांग्रेस उसपर आवाज उठा रही है.
19. PAK-बांग्लादेश के अल्पसंख्यक कहां गए?
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि विभाजन के बाद बहुत से मुसलमान यहां रह गए. तब पाकिस्तान में 23% हिंदू थे, अब महज 3% रह गए. जबकि बांग्लादेश में 30% हिंदू थे, जिसमें से महज 7% रह गए. ये सारे अल्पसंख्यक कहां गए. इनका धर्म परिवर्तन करा दिया गया. या फिर ये प्रताड़ित होकर भारत आए.
20. घुसपैठिए दीमक होते हैं
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि भारत सभी धर्मों का देश है. लेकिन जब कोई बाहर से आता है तो वह हिंदू-मुसलमान सबके लिए खतरा बनता है. वे उनकी रोजी-रोटी खाते हैं. ये घुसपैठिए दीमक होते हैं. हमें कभी भी नागरिकता को हल्के में नहीं लेना चाहिए. किसी भी देश की सीमाएं खुली नहीं होती है.
21. तीन तलाक सुप्रीम कोर्ट का फैसला, हमने लागू किया
आजतक के कार्यक्रम में गृह मंत्री
अमित शाह ने कहा कि तीन तलाक सुप्रीम कोर्ट का फैसला था. हमने तो सिर्फ लागू किया. लेकिन आरोप लगता है कि इसे हम जबरदस्ती लेकर आए.
22. दिल्ली-बंगाल-झारखंड में आएगी भाजपा की सरकार
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि दिल्ली और पश्चिम बंगाल और झारखंड में बीजेपी दोबारा सरकार बनाएगी. उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में बीजेपी प्रचंड बहुमत से सरकार बनाएगी.
23. जल्दबाजी नहीं है, 70 साल का इंतजार कम है क्या
गृह मंत्री से जब पूछा गया कि उनकी
सरकार फैसले लेने में जल्दबाजी कर रही है, तो उन्होंने कहा कि हम जल्दी में कहां हैं, 70 साल हो गया. अभी कोई चुनाव भी नहीं है, हम चुनाव के लिए यह नहीं कर रहे. हम सरकार चलाने के लिए नहीं देश की समस्याओं का समाधान करने आए हैं. हम राजनीति नहीं करना चाहते, देश को अच्छा बनाना चाहते हैं.
24. नहीं मानते कि भारत हिंदू राष्ट्र बने
कार्यक्रम के दौरान गृह मंत्री अमित शाह से जब ये सवाल पूछा गया कि क्या उनका सपना भारत को
हिन्दू राष्ट्र बनाने का है, तो उन्होंने साफ कहा कि उनकी ऐसी कोई सोच नहीं है, उन्होंने कहा कि उनका और इस सरकार का एक ही धर्म है और वो है संविधान की किताब.
25. निर्मला सीतारमण अच्छा काम रही हैं
जीडीपी के सवाल पर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि मौजूदा समय में भले की जीडीपी ग्रोथ 4.5 फीसदी पर पहुंच गई है. लेकिन यह स्थिति आगे नहीं रहने वाली है. उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए आठ बड़े कदम उठाए हैं जिसका सकारात्मक असर दिखेगा और अर्थव्यवस्था में फिर रौनक लौटेगी.
26. 2 क्वार्टर, 5 साल नहीं होते
इकोनॉमी पर गृह मंत्री ने कहा कि वित्तीय वर्ष के दो क्वार्टर 5 साल नहीं होते हैं, उन्होंने कहा क देश की अर्थव्यवस्था जल्द ही फिर तेजी में लौटेगी.
27. महाराष्ट्र में फेल नहीं हुए
गृह मंत्री ने कहा कि बीजेपी महाराष्ट्र में फेल नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि हमारे गठबंधन को 160 सीटें मिली थी, जो बहुमत से 20 सीटें ज्यादा हैं. गृह मंत्री ने कहा कि शिवसेना ने चुनाव से पहले कभी मुख्यमंत्री पद की मांग नहीं की थी.
28. महाराष्ट्र में हमारा साथी भाग गया
अमित शाह ने कहा कि अगर महाराष्ट्र में बीजेपी का साथी भागता नहीं तो, वहां पर राजनीतिक अस्थिरता पैदा ही नहीं होती. उन्होंने कहा कि हमने सरकार बनाने के प्रयास किए थे लेकिन नहीं बना पाए क्योंकि हमारा साथी भाग गया था. उन्होंने कहा कि अगर शिवसेना चुनाव से पहले हमसे कोई समझौता करती तो हम दो कदम जरूर आगे जाते.
29. मैं पीएम की रेस में नहीं
एजेंडा आजतक में अमित शाह ने साफ कहा कि वे पीएम पद की रेस में नहीं हैं. अमित शाह ने कहा, 'आप पीएम की ओर संकेत कर रहे हैं तो मैं कहूं कि मैं बहुत जूनियर हूं, हमसे बहुत वरिष्ठ कई नेता हैं, आगे हैं. ढेर सारे नेता हैं. हमारी पार्टी में फैसले पार्टी करती हैं. मैं इस दौड़ में नहीं हूं, हम सबका अभी यही सपना है कि मोदी जी सफल हों और नया भारत ऐसे मुकाम पर पहुंचे जिसका सपना हमारे आजादी के सेनानियों ने देखा था.'
30. जाति नहीं, मेरिट के आधार पर बनाते हैं नेता
केंद्रीय गृह मंत्री और बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि उनकी पार्टी की सोच यह है कि जाति नहीं, मेरिट के आधार पर नेता तय किए जाएं, भले ही इसमें तात्कालिक रूप से पार्टी को नुकसान होता हो. उन्होंने कहा कि नेता को लोकतंत्र में जातिवाद, ब्लॉक के आधार पर नहीं बल्कि प्रदर्शन के आधार पर चयन करने की शुरुआत करनी थी तो यह मोदी जी ने किया. हो सकता है कि इसका अस्थायी नुकसान हमे भुगतना पड़े.