शनिवार, 26 अप्रैल 2014

तेरी तस्वीर


बदलते मौसम की तरह 

हम भी बदलने लगे हैं

तेरी तस्वीर को देखकर 

हम क्यों बहकने लगे हैं 

बदलते मौसम की तरह 

हम भी बदलने लगे हैं

तुमने कमसें खाईं हैं

हमसे दूर रहने की

हमने भी कमसें खा ली हैं

आजीवन तुम्‍हें नहीं भूलने की 

बदलते मौसम की तरह 

हम भी बदलने लगे हैं

अपनी तकदीर को देखकर 

हम क्यों तडपने लगे हैं

बदलते मौसम की तरह

हम भी बदलने लगे हैं

झूठे कसमें वादों पर

एतबार करने की सजा

बेरहम संगदिल सनम से 

बेइंतहा प्यार करने की खता

बदलते मौसम की तरह

हम भी बदलने लगे हैं

तेरी तस्वीर को देखकर 

हम क्यों बहकने लगे हैं 

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