शनिवार, 26 अप्रैल 2014

तुम्हारा साथ


नहीं चाहिए अब साथ तेरा

तेरी यादें ही काफी हैं

नहीं चाहिए अब हाथ तेरा

तेरी यादें ही काफी हैं

नहीं चाहिए तेरी ज़ुल्फों की छाँव

जिसमें सर छुपाकर खुलकर मैं रो सकूँ

नहीं चाहिए तेरी मखमली गोद

जिसपर सर रखकर मैं चैन से सो सकूँ

नहीं चाहिए अब साथ तेरा

तेरी यादें ही काफी हैं

नहीं चाहिए अब हाथ तेरा

तेरी यादें ही काफी हैं

नहीं चाहिए तुझसे झूठे वादों के बोल

जिसके सहारे जीवन मैं अपनी गुजार सकूँ

नहीं चाहिए मुझे तेरे लिखे कोरे कागज के पन्ने

जिसके पढ़कर मैं खुशियों का एहसास कर सकूँ

नहीं चाहिए अब साथ तेरा

तेरी यादें ही काफी हैं

नहीं चाहिए अब हाथ तेरा

तेरी यादें ही काफी हैं

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