We are all INDIAN before a Hindu, Muslim, Sikh aur Isai or a Bihari, Marathi, Bengali etc. Love to all human being........
सोमवार, 24 सितंबर 2012
सोमवार, 30 अप्रैल 2012
Narakas, Jamshedpur
नराकास, जमशेदपुर के वेब साइट का निर्माण किया गया है। नराकास, जमशेदपुर के वेबसाइट पर जाने के लिए आप https://sites.google.com/site/narakasjsr का उपयोग कर सकते हैं। इस वेब साइट के निर्माण का मुख्य उददेश्य नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति के सभी 61 सदस्य कार्यालयों तक आपस में एक संदेश वाहक स्थापित करना है, जिसका उपयोग करके हम सभी हिन्दी के प्रचार प्रसार के लिए एकजुट होकर एक दिशा में समर्पित प्रयास कर सकेंगे।
Narakas, Jamshedpur जिसके अंतर्गत कुल 61 सदस्य कार्यालय आते हैं। इनके कार्यालयों की सूची, हिन्दी के प्रयोग से संबंधित नोटस, तिमाही बैठक से संबंधित जानकारी आदि इस वेब साइट से प्राप्त की जा सकती है।
शनिवार, 31 मार्च 2012
Chak De ..............
कबीर खान, नाम तो सुना ही आपने। ठीक याद किया आपने, जी हाँ वही कबीर खान, जिसने कुछ वर्षों पहले ही हमारे देश के राष्ट्रीय खेल हॉकी से जुडी एक काल्पनिक कहानी को रूपहले पर्दे पर बहुत ही संजीदगी से अभिनय किया था। इतनी संजीदगी से कि फिल्म देखते समय तो कभी ऐसा आभास ही नहीं हुआ कि ऐ कबीर खान हॉकी इंडिया के महिला टीम का कोच ही है अथवा मुम्बईया मसाला फिल्मों में पिछले 10 वर्षों से अपने प्यार-मोहब्बत के नगमे गाता, डायलाग बोलकर लडकियों को अपने वश में करना वाला एक जादूगर अभिनेता, जिसे स्टारडम की उपाधि मिली हुई है। पूरे फिल्म में यदि कुछ दिखा तो सिर्फ एक कबीर खान और उसका वह लक्ष्य जिसमें उसने खुद पर लगे गददार जैसे आरोपों की परवाह नहीं करते हुए महिला हॉकी टीम को चैम्पियन बनाने के लिए जी तोड मेहनत की।
आज कबीर खान हमारे चारो तरफ है, हर तरफ गददारों से हिन्दुस्तान की मिटटी पलीद हो रही है मगर वास्तव में हमें यह समझना चाहिए कि गददार है कौन? क्या वाकई कबीर खान जैसे लोग गददार है या फिर इनके माथे पर गददार का ठीकरा फोडने वाले खुद ही गददार हैं।
वर्तमान परिस्थिति में खेल का मैदान किसी जंग से कम नहीं और इतिहास गवाह है कि जंग में हर हथियार जायज होता है चाहे हो कूटनीति हो या फिर कुछ और। यही कारण है कि जीतने की ललक और इच्छाओं के दरम्यान कुछ न कुछ गलत होता ही है । मगर इसका मतलब कतई यह नहीं कि कबीर खान मुजरिम है। कबीर खान बिलकुल मुजरिम नहीं है, उसकी कोई व्यक्तिगत ख्वाहिश नहीं थी, उसका कोई व्यक्तिगत लाभ नहीं था, उसने तो सिर्फ नमकहलाली की, अपने उस झंडे को बुलंद करना चाहा, जिसके नीचे हम सभी एकत्रित होते हैं।
आज कबीर खान अकेला है, खामोशी की चादर ओढे पडा है कहीं किसी कोने में, कोई नहीं अब अपना उसके पास। सभी के सभी उसके साथ एक गददार जैसा वर्ताव कर रहे हैं, लगता है उसकी नमकहलाली जैसे नमकहरामी हो गयी है। समझ में नहीं आ रहा आखिर कबीर खान ने ऐसा क्या गुनाह कर डाला।
लोग वास्तविक नमकहराम की बात ही नहीं कर रहे, लोग उस गददार की तो बात ही नहीं कर रहे, जिसने उसे झंडे को दागदार कर दिया जिसके नीचे हम सभी आते हैं, जिसने अपने कृकृत्य से उस झंडे पर बदनुमा दाग लगा दिया। हम सभी तो बस कबीर खान के पीछे पड गए हैं जिसने आखिर क्या चाहा था, जिसकी आखिर सोच क्या थी, जिसका आखिर लक्ष्य क्या था। चक दे एन.एम.एल. बस यही ना।
शुक्रवार, 23 मार्च 2012
नमकहराम
पिछले दिनों जो कुछ हुआ उससे गद्दार, नमकहराम शब्द भी शर्मशार हो गया। लोगों ने व्यक्तिगत लडाई लडने की कोशिश में नमकहरामी तक कर डाली। जिसका नमक खाया उसकी ही बेइज्जती कराने में कोई कसर नही छोडी। अपने हित की, अपने अहम की, अपने स्वाभिमान की लडाई में उस समाज की बेइज्जती करा डाली जिसने उसे रोजी रोटी दी है। ऐ ऐसे चुनिंदे लोग हैं जो देशद्रोही की कतार में खडे हैं जिसे समाज, मुल्क की इज्जत से कोई सारोकार नहीं जिसे महज अपने अहम की परवाह है अपने व्यक्तिगत स्वार्थ की परवाह है जिसे पूरा नहीं होने की स्थिति में वे कहां तक जा सकते हैं इसे इन लोगों ने अपने कुत्सित प्रयास द्वारा दिखा दिया। कम से कम अब तो इन्हें अपने उपर शर्म करनी चाहिए जिसकी रोटी मिल रही, जो रोटी दे रहा उसे ही इन लोगों ने बेइज्जती का घाव दे दिया है और उसके उपर बेशर्मी की हंसी दिन प्रतिदिन अपने होंठो पर लिए बेफिक्री से घूम रहे हैं।
मंगलवार, 31 जनवरी 2012
Match Report : SSBMT Zonal 2012 @NEIST, Jorhat
यह मेरा व्यक्तिगत दूसरा जोनल टूर्नामेंट था। इससे पहले मैंने सीएमईआरआई, दुर्गापूर की क्रिकेट टीम का सदस्य बनकर वर्ष 2007 में लखनउ का दौरा किया था जिसमें हमारी टीम जोनल से फायइनल क्वालिफाई नहीं कर सकी थी। वर्ष 2011 का अंतिम तिमाही अब मैं एनएमएल क्रिकेट टीम के एक संभावित सदस्य के रूप में प्रैक्टिस सैशन अटैण्ड कर रहा था तथा पूरी टीम काफी पसीना बहा भी रही थी। एक संभावित टीम बनने की ओर हम अग्रसर ही थे अचानक ही टीम के एक पूर्व सदस्य द्वारा कई प्रकार की अनावश्यक बातें दिन प्रतिदिन प्रकाशित की जाने लगी जिसके अचानक ही एक टीम जो एकजुटता की ओर अग्रसर दिखाई दे रही थी जिसके 12 सदस्यों में 9 से 10 सदस्य तो ऑलराउंडर ही थे। ऐसे में टीम के प्रदर्शन के क्या कहने। हम कागजों में इतने मजबूत बनने की ओर अग्रसर थे कि लग रहा था कि इस बार कुछ न कुछ नया होने वाला है मगर तभी अचानक दिन प्रतिदिन की खिचखिच और उलूल जुलूल बातों ने टीम में बेवजह की उलझन पैदा कर दी और इसका दुष्परिणाम यह हुआ कि अब हमारे 12 सदस्यों में 2 सदस्य बदल गए थे और जो टीम एक मजबूत स्तंभ की भांति दिख रही थी उसमें कुछ जगहों पर इसमें छेद दिखने लगे थे।
जैसे तैसे करके टीम 19 जनवरी, 2012 को टाटानगर रेलवे स्टेशन से हावडा के लिए निकली और फिर हम हावडा से गोवाहाटी होकर जोरहाट 20 जनवरी की रात लगभग 9 बजे सीधे डिनर के लिए पहुंचे और डिनर के बाद ही हमलोग होटल गए।
पहला मैच NML Vs CIMFR @21.01.2012 Morning
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21 जनवरी, 2012 की सुबह हमें अपना पहला मैच CIMFR, Dhanbad से खेलना था। हमलोग तैयार होकर समय पर मैदान पहुंच चुके थे मगर बावजूद इसके स्थानीय प्रबंधन द्वारा काफी सुस्ती से मैट बिछाने आदि की तैयारी की गई जिसके परिणामस्वरूप हमारा मैच जो 20-20 ओवरो का होना था अब 15 - 15 ओवरों का कर दिया गया। इस मैच में हमने टॉस जीता और विपक्षी टीम को पहले बल्लेबाजी का न्यौता दिया। पहले बल्लेबाजी करते हुए CMFRI, Dhanbad की टीम ने 15 ओवरों में 8 विकेट पर 72 रन बनाए।
इस मैच में मैं क्रिज तक तो जरूर पहुंचा था मगर मैं एक भी बॉल का सामना ही नहीं कर पाया और हमारी टीम यह मैच जीत गई थी।
इस मैच में मैं क्रिज तक तो जरूर पहुंचा था मगर मैं एक भी बॉल का सामना ही नहीं कर पाया और हमारी टीम यह मैच जीत गई थी।
जवाब में बैटिंग करने उतरी हमारे टीम के ओपनर बल्लेबाजों ने बडी की कमाल की ओपनिंग पार्टनरशीप लगभग 65 रनों की की और हम यह मैच बडी ही आसानी से 14.2 ओवरों में 8 विकेट से जीत चुके थे।
दूसरा मैच NML Vs NCL @22.01.2012 Morning
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22 जनवरी, 2012 की सुबह हमारा पहला मैच NCL, Pune की टीम से था। एनसीएल, पुणे की टीम एसएसबीएमटी के चैम्पियन टीमों में से एक मानी जाती है तथा क्रिकेट पिच पर सिजलिंग करने के नाम से विख्यात है। इस बार भी टॉस हमारी टीम ही जीती और पहले की ही तरह हमने विपक्षी टीम को बैटिंग करने का न्यौता दिया। हमारी महबूत और असरदायक बालिंग अटैक के कारण एनसीएल, पुणे की टीम ने 20 ओवरों में महज 103 रन ही बनाए। कागज पर मजबूत दिख रही हमारी बैटिंग लाइनअप के सामने 20 ओवरों में 104 रन बनाना आसान ही था मगर वास्तव में जो हुआ वह कोई सपने से कम नहीं। हमारी टीम ने बल्लेबाज जिसमें मैं खुद भी शामिल था, तू चल मैं आया की तर्ज पर गैर जिम्मेदाराना तरीके से एक के पीछे एक अपना विकेट गंवाते रहे और कागजों पर मजबूत स्तंभ के रूप में दिख रही हमारी पूरी टीम महज 27 रनों पर ऑलआउट हो चुकी थी। हम यह मैच बूरी तरह से लगभग 76 रनों से हार चुके थे। यह मैच हमारे लिए किसी बोझिल सपने से कम नहीं था।
इस मैच में मैं सामने वाले बल्लेबाज से अंडरस्टैण्डिंग नहीं बन पाने के कारण सिर्फ 1 रन ही बनाकर दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से रन आउट हो गया था।
इस मैच में मैं सामने वाले बल्लेबाज से अंडरस्टैण्डिंग नहीं बन पाने के कारण सिर्फ 1 रन ही बनाकर दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से रन आउट हो गया था।
तीसरा मैच NML Vs NPL @22.01.2012 Afternoon
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22 जनवरी 2012 को पूर्वाहन 1 बजे से हमारा दूसरा मैच NPL, New Delhi से था। हमारे लिए लीग मैच में बने रहने के लिए इसे जीतना बहुत ही जरूरी था। यह हम सब के लिए करो या मरो की स्थिति जैसा था। हमने फिर से एक बार टॉस जीता मगर इस बार हमने बैटिंग ली और फिर हमने 20 ओवरों के इस मैच में 104 रन बनाए। हमारी बॉलिंग अटैक ने इस मैच में जान डाले रखी और यह मैच अंतिम दो ओवरो में 11 रन पर आकर रूक सा गया। हमारी सांसे थम सी चुकी थी। हम आर पार की इस लडाई में किसी भी कीमत पर जीतना चाहते थे। मैंने महसूस किया सबकी निगाहों में जीतने का जज्बा था, कुछ कर गुजरने का ख्याल था। तभी जब 19वें ओवर पर Rajan Sharma, NML, Jamshedpur ने महज 3 रन देकर मैच को रोकने का पूरा प्रयास किया तब कैप्टन ने 20वें ओवर की गेंदबाजी के लिए एक ऐसे बॉलर को गेंद थमाई जिसने पिछले दोनों मैच और इस मैच में एक भी गेंद नहीं डाली थी। कैप्टन का इस बॉलर Vijay Anand Mukhi, NML, Jamshedpur को गेंद थमाने का फैसला न सिर्फ मुझे बल्कि टीम के कई खिलाडियों के समझ से बिलकुल परे था। एक ओवर और 8 रन और उपर से एक ऐसे बॉलर के हाथ में गेंद जिसने इससे पहले एक भी बॉल नहीं की। कैप्टन का यह फैसला उस समय मेरी समझ में आया जबकि दो बॉल हो चुके थे और विपक्षी टीम ने महज एक ही रन बनाया था और फिर तीसरी गेंद पर वह जोरदार बाउंड्री की ओर हिट जिसे चीते सी फुर्ती दिखाते हुए हमारे टीम के Rabindra Nath Behera, NML, Jamshedpur ने असाधारण तरीके से लपक लिया जो किसी और के लिए कल्पना से भी परे की बात थी। अंतत: हमने यह मैच 4 रनों से जीत लिया था और प्रतियोगिता में हम अब भी बने हुए थे। इस एक जीत से हम आपस में एकजुटता बनाने में सफल रहे और हमें एक दूसरे पर विश्वास स्थापित हो गया।
इस मैच में मेरे बैट से सिर्फ 16 रन ही बने और मैं क्रास खेलने के अपने गलत फैसले के कारण बहुत ही स्लो बॉल पर बोल्ड हो गया।
इस मैच में मेरे बैट से सिर्फ 16 रन ही बने और मैं क्रास खेलने के अपने गलत फैसले के कारण बहुत ही स्लो बॉल पर बोल्ड हो गया।
22 जनवरी, 2012 रात करीब 9 बजे हमलोग डिनर से सीमा होटल, जोरहाट वापस आए मैने रिशेप्शन में पांच चाय आर्डर की और रूम नं. 107 बताया जो कि Sanjay Hembram, NML, Jamshedpur का दिया गया था। मैं अपने कमरे में गया वहां से ताश ली और फिर रूम नं. 107 में गया रास्ते में Rajan Sharma, NML, Jamshedpur, Sujit Kumar, NML, Jamshedpur, तथा Rabindra Nath Behera, NML, Jamshedpur को यह मैसेज देते हुए कि रूम नं. 107 में आना है कॉल ब्रिज खेलने के लिए। हमलोग रात के 10.30 बजे तक कॉल ब्रिज खेलते रहे और फिर चाय पीकर अपने अपने कमरे में प्रवेश कर गए। मेरा ऐसा मानना है कि किसी भी तरह के टेंशन को दूर करने को सबसे अच्छा उपाय यह है कि आप अपना ध्यान दूसरे काम में लगा दें जैसा कि मैने किया कॉल ब्रिज खेलने के बाद मैं अपने आप को ताजा तरोजाता महसूस कर रहा था। दिन भर के 2 मैच की थकान बल्कि एनसीएल, पुणे से मिली बूरी तरह हार के बाद जो नर्वसनेश थी वह अब जाकर रात के 10.30 बजे समाप्त हो चुकी थी।
चौथा मैच NML Vs CSIR Hqr @23.01.2012 Morning
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23 जनवरी, 2012 की सुबह हमारा पहला मैच CSIR, Head Quarter, New Delhi से था। हमारी पूरी टीम आज तरोताजा दिख रही थी। प्रतियोगिता के अंतिम दौर में जाने के लिए हमारे लिए यह मैच जीतना बहुत जरूरी था। इस बार हम टॉस हार चुके थे और विपक्षी टीम ने पहले बल्लेबाजी करना पसंद किया मगर यह क्या मैच आरंभ होने से पहले ही लगभग समाप्त हो चुका था हमारे गेंदबाजों ने कमाल का प्रदर्शन करते हुए विपक्षी टीम को महज 14 रनों पर समेट दिया और हमें जश्न मनाने का पूरा अवसर दिया। हमें अब हमारी टीम पर गर्व की अनुभूति हो रही थी। कल्पना से परे इस मैच को जीतने में हमारे ओपनर बल्लेबाजों ने यह मैच हमें महज 1.1 ओवरों में ही जीता दिया। अब हम इस प्रयोगिता के अंतिम चरण में पहुंच चुके थे। अपने ग्रुप में हम दूसरे स्थान पर पहुंच चुके थे। हमें इस प्रतियोगिता के अपने अंतिम मैच में दूसरे ग्रुप के पहले स्थान पर रहने वाले CSIO, Chandigarh से मैच खेलनी थी, जिसे जीतकर ही हम फाइलन के लिए क्वालीफाइ कर सकते थे।
चूंकि यह मैच हमने 10 विकेटों से जीत लिया था इसलिए मुझे क्रिज तक पहुंचने का मौका भी नहीं मिला।
इस बार हम अपने लक्ष्य की ओर पहले से कुछ ज्यादा ही प्रयत्नशील थे। जोनल का फाइयल मैच हमारे सामने की टीम सीएसआईओ, चण्डीगढ जिसने अपने पिछले तीनों मैचों में 20 ओवरों के मैच में 160 के लगभग विशाल स्कोर महज 2-3 विकेट खोकर बनाए हैं तथा विपक्षी टीमों को भी जिसने 100 रनों के भीतर समेट कर रख दिया था। इसका मतलब साफ था यदि हमें फाइनल का टिकट चाहिए तो फिर कुछ स्पेशल करना होगा।
पांचवां मैच NML Vs CSIO @23.01.2012 Afternoon
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23 जनवरी, 2012 को पूर्वाहन 1 बजे से हमारा मैच सीएसआईओ, चण्डीगढ से हुआ। हमने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी ली मगर यह क्या 10 ओवरों में हमारे टीम का स्कोर 4 विकेट पर 37 रन था जबकि हमारे ओपनर बल्लेबाज के साथ-साथ Vijay Anand Mukhi और मैं खुद आउट होकर पैवेलियन की शोभा बढा रहे थे। टर्फ पर हो रहे इस मैच पर हालांकि बॉल आसानी से बैट पर आ रही थी और सही दिख भी रही थी मगर बावजूद इसके मेरे बैट से इस मैच में अच्छा स्कोर नहीं बन पाना मेरे अंतर्रात्मा को कचोट रहा था। काफी तनाव भरे इस मुकाबले के पहले चरण में हमारी टीम ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 20 ओवरों में 112 रनों का स्कोर हासिल किया।
इस मैच में मेरे बल्ले से महज 13 रन ही निकले जिसमें 2 चौके शामिल थे और मैं पुल करने की कोशिश में LBW दे दिया गया।
अब बारी हमारे गेंदबाजों की थी जिसने पिछले ही मैच में विपक्षी टीम को महज 14 रनों पर ऑल आउट कर रखा था मगर यह क्या पहले दोनों ओवर कुछ इस तरह बीत गए कुछ पता ही नहीं चला। दो ओवरों के मैच के बाद ही हम यह समझ गए कि इस पिच पर पेस बालिंग अटैक के लिए कुछ भी नहीं है आनन फानन में Captain , NML, Jamshedpur का अजीबोगरीब फैसला तीसरे ही ओवर से स्पिनर अटैक, गेंद लेकर अब Dr. M M Humane, NML, Jamshedpur, Rajan Sharma, NML, Jamshedpur खुद ही विकेट पर पसीना बहा रहे थे और विपक्षी टीम को बांधकर रखने में पूरी तरह से सफल दिखने लगे थे। 15 ओवरों में ही मैच लगभग हमारी ओर आ चुका था जबकि विपक्षी टीम का स्कोर 6 विकेट पर महज 58 रन। अंतिम पांच ओवरों में 55 रन तभी एक ओवर में उनके द्वारा 13 रनों का स्कोर किया जाना अब लगा कि संघर्ष अंतिम दौर में आ चुका है। अंतिम ओवर आते आते मैच को हम अपनी पकड में ले चुके थे जबकि विपक्षी टीम को अंतिम ओवर में 25 रन बनाने थे। यह मैच हमने 22 रनों से जीता और जीत ऐसी कि अंतिम विकेट के दो टुकडे करने में हमारे गेंदबाज Vijay Anand Mukhi, NML, Jamshedpur कामयाब रहे।
पूरी टीम अंशु धाराओं में जीत की खुशी का जश्न मैदान पर भाग भागकर, एक दूसरे को पकड पकडकर मना रहे थे।
वास्तव में आज एक सपना सच हो गया था । मैं एनएमएल क्रिकेट टीम का एक हिस्सा बन कर वाकई खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहा था हम अंतत: जीत गए थे और फाइनल के लिए क्वालीफाइ कर गए थे। पूरे टूर्नामेंट में हमने यही सीखा कि आखिर हार को जीत में कैसे बदला जाता है। 11 लोग अलग अलग विचारधाराओं के जब एकजुट हो जाएं तो फिर एक ठोस बुनियाद बन जाती है। यह सीख हमलोगों को मिली। जोनल टूर्नामेंट में मेरा व्यक्तिगत प्रदर्शन हालांकि अच्छा नहीं रहा मगर मैं पूरी कोशिश करूंगा कि फाइनल टूर्नामेंट में मैं अपने व्यक्तिगत प्रदर्शन में सुधार ला सकूं तथा लोगों की अपेक्षाओं पर खरा उतर सकूं।
अंतिम निष्कर्ष :
हम अपना दूसरा मैच एनसीएल, पुणे से किसी बूरे सपने की तरह हार गए इसकी जिम्मेदारी सिर्फ और सिर्फ मुझ जैसे मीडिल ऑर्डर बैटसमैन का पूरी तरह से फ्लाप होना है। हर मैच में ओपनर बल्लेबाज अच्छी पार्टनरशीप दे यह संभव नहीं। न सिर्फ दूसरे मैच में बल्कि तीसरे और पांचवे मैच में भी यही हुआ। मीडिल आर्डर बल्लेबाजों ने अपने निराशाजनक प्रदर्शन को कायम रखा जिससे हम एनपीएल के सामने जैसे तैसे करके सिर्फ 104 रन बना सकें और सीएसआईओ के सामने सिर्फ 112 का आंकडा ही रख सके। इस टूर्नामेंट को जीतने का यदि श्रेय किसी को देना है तो वह है हमारी बालिंग अटैक, फील्डिंग और कुछ बेशकीमती निर्णय जो हमारे कप्तान द्वारा सही समय पर लिए गए। हमने जुझारूपन बिलकूल ही दिखाया मगर वह सिर्फ खराब बल्लेबाजी करने के बाद। सिर्फ फाइलन मैच सं. 5 जिसमें सीएसआईओ के विरुद्व हम एक समय में 6 ओवरों में 3 विकेट पर महज 15 रन थे । यहां से मैच को 20 ओवरो में 112 तक के स्कोर पर ले जाने में वाकई हमारे दो बल्लेबाजो का अहम योगदान रहा। जिसमें निखिल रॉय और डा. एम एम हुमने ने अपने अपने विकेट के महत्व को समझते हुए न सिर्फ अच्छी खासी साझेदारी की बल्कि एक एैसा स्कोर बॉलरों को दिया जिससे हम मैच को बचाने की स्थिति में आ पाए।
इस पूरे टूर्नामेंट में कुछ ऐसे भी पल जाए जब किसी विशेष खिलाडी ने अपने उम्मीद से बढकर प्रदर्शन किया
पहला :
तीसरे मैच के 19वें ओवर में जबकि मैच बचाने को 2 ओवरों में 11 रन बचाने थे और बालिंग अटैक में स्पीनर राजन शर्मा को लगाया गया और बडे ही अदभुत रूप से राजन शर्मा ने उस दबाव को झेलते हुए न सिर्फ 3 रन दिए बल्कि 1 विकेट भी चटका लिए ।
दूसरा :
इसी मैच के 20वें ओवर में जब विपक्षी टीम को जीतने के लिए 8 रन चाहिए थे और उसके 5 विकेट हाथ में थे, उसी समय जब पूरी टीम के उम्मीद के विरुद्व कैप्टन का अजीबो गरीब तुगलकी फैसला बॉल विजय आंनद मुखी के हाथ जिसने इससे पहले अभी तक इस टूर्नामेंट में एक भी गेंद नहीं डाली थी। कैप्टन के लिए फैसले को पूरी तरह से सही ठहराते हुए विजय आनंद मुखी ने 20वें ओवर की गेंदबाजी में 1 विकेट भी चटकाए और मैच को 4 रनों से हमें जीता भी दिया जबकि विपक्षी टीम के 4 विकेट हाथ में ही थे।
तीसरा :
टूर्नामेंट का पांचवा और निर्णायक मैच, जीतने की स्थिति में हम फाइनल स्पर्धा के लिए क्वालीफाइ अन्यथा बीते कई वर्षों की तरह किसी आए गए टीम की तरह । किसी तरह हमारी टीम 112 रन बना पायी थी उस टीम के खिलाफ जिसके अपने पिछले तीनों ही मैचों के 20 ओवरों में 150 से उपर का औसत स्कोर रहा । पहला दो ओवर पेस बालिंग अटैक मगर यह क्या विपक्षी टीम के बल्लेबाजों ने बडी ही आसानी से मिडिल ऑफ द बैट खेलते हुए हमारे उस पेस अटैक को बौना साबित कर दिया जिसने अपने पिछले ही मैच में पूरी विपक्षी टीम को महज 14 रनों पर ढेर कर दिया था। तभी कैप्टन बीरेन्द्र फिर अजीबो गरीब फैसला लेते हुए बॉल स्पीनर डॉ. एम एम हुमने के हाथ में, हांलाकि डॉ. हुमने का यह टूर्नामेंट बडा ही सफल रहा। एक गेंदबाज के तौर पर उन्होंने प्रत्येक मैच में न सिर्फ औसतन 3 विकेट चटकाए किफायती तौर पर मगर इस बार मैच के तीसरे ही ओवर में स्पीनर को लगाना जबकि हमारे पर मैच बचाने को महज 112 रन ही थे । इस बार भी अदभुत प्रदर्शन करते हुए न सिर्फ डॉ. हुमने बल्कि इनका साथ देते हुए राजन शर्मा और कैप्टन बीरेन्द्र कुमार ने बॉलर के रूप में अभूतपूर्व प्रदर्शन करते हुए 15 ओवर में ही मैच को हमारे झोली में लगभग डाल दिया था जबकि विपक्षी टीम के अंतिम 5 ओवरो में 55 रन बनाने थे जबकि उनके सिर्फ 2 विकेट बाकी थे।
यादगार लम्हा :
इस टूर्नामेंट का सबसे महत्वपूर्ण यादगार लम्हा एनपीएल के साथ अपने तीसरे मैच के 20वें ओवर में बाउंड्री लाइन पर हमारे टीम के रबिन्द्र नाथ बेहरा के द्वारा चीते की फूर्ती के साथ लिया गया अविश्वसनीय कैच है जिसमें सचमुच हमारे टीम को 4 रनों से जीत दर्ज करने में अपना उल्लेखनीय योगदान दिया। वास्तव में यह कैच न सिर्फ कैच ऑफ द मैच रहा अपितु कैच ऑफ द टूर्नामेंट भी हो गया।
23 जनवरी, 2012 की सुबह हमारा पहला मैच CSIR, Head Quarter, New Delhi से था। हमारी पूरी टीम आज तरोताजा दिख रही थी। प्रतियोगिता के अंतिम दौर में जाने के लिए हमारे लिए यह मैच जीतना बहुत जरूरी था। इस बार हम टॉस हार चुके थे और विपक्षी टीम ने पहले बल्लेबाजी करना पसंद किया मगर यह क्या मैच आरंभ होने से पहले ही लगभग समाप्त हो चुका था हमारे गेंदबाजों ने कमाल का प्रदर्शन करते हुए विपक्षी टीम को महज 14 रनों पर समेट दिया और हमें जश्न मनाने का पूरा अवसर दिया। हमें अब हमारी टीम पर गर्व की अनुभूति हो रही थी। कल्पना से परे इस मैच को जीतने में हमारे ओपनर बल्लेबाजों ने यह मैच हमें महज 1.1 ओवरों में ही जीता दिया। अब हम इस प्रयोगिता के अंतिम चरण में पहुंच चुके थे। अपने ग्रुप में हम दूसरे स्थान पर पहुंच चुके थे। हमें इस प्रतियोगिता के अपने अंतिम मैच में दूसरे ग्रुप के पहले स्थान पर रहने वाले CSIO, Chandigarh से मैच खेलनी थी, जिसे जीतकर ही हम फाइलन के लिए क्वालीफाइ कर सकते थे।
चूंकि यह मैच हमने 10 विकेटों से जीत लिया था इसलिए मुझे क्रिज तक पहुंचने का मौका भी नहीं मिला।
इस बार हम अपने लक्ष्य की ओर पहले से कुछ ज्यादा ही प्रयत्नशील थे। जोनल का फाइयल मैच हमारे सामने की टीम सीएसआईओ, चण्डीगढ जिसने अपने पिछले तीनों मैचों में 20 ओवरों के मैच में 160 के लगभग विशाल स्कोर महज 2-3 विकेट खोकर बनाए हैं तथा विपक्षी टीमों को भी जिसने 100 रनों के भीतर समेट कर रख दिया था। इसका मतलब साफ था यदि हमें फाइनल का टिकट चाहिए तो फिर कुछ स्पेशल करना होगा।
पांचवां मैच NML Vs CSIO @23.01.2012 Afternoon
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23 जनवरी, 2012 को पूर्वाहन 1 बजे से हमारा मैच सीएसआईओ, चण्डीगढ से हुआ। हमने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी ली मगर यह क्या 10 ओवरों में हमारे टीम का स्कोर 4 विकेट पर 37 रन था जबकि हमारे ओपनर बल्लेबाज के साथ-साथ Vijay Anand Mukhi और मैं खुद आउट होकर पैवेलियन की शोभा बढा रहे थे। टर्फ पर हो रहे इस मैच पर हालांकि बॉल आसानी से बैट पर आ रही थी और सही दिख भी रही थी मगर बावजूद इसके मेरे बैट से इस मैच में अच्छा स्कोर नहीं बन पाना मेरे अंतर्रात्मा को कचोट रहा था। काफी तनाव भरे इस मुकाबले के पहले चरण में हमारी टीम ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 20 ओवरों में 112 रनों का स्कोर हासिल किया।
इस मैच में मेरे बल्ले से महज 13 रन ही निकले जिसमें 2 चौके शामिल थे और मैं पुल करने की कोशिश में LBW दे दिया गया।
अब बारी हमारे गेंदबाजों की थी जिसने पिछले ही मैच में विपक्षी टीम को महज 14 रनों पर ऑल आउट कर रखा था मगर यह क्या पहले दोनों ओवर कुछ इस तरह बीत गए कुछ पता ही नहीं चला। दो ओवरों के मैच के बाद ही हम यह समझ गए कि इस पिच पर पेस बालिंग अटैक के लिए कुछ भी नहीं है आनन फानन में Captain , NML, Jamshedpur का अजीबोगरीब फैसला तीसरे ही ओवर से स्पिनर अटैक, गेंद लेकर अब Dr. M M Humane, NML, Jamshedpur, Rajan Sharma, NML, Jamshedpur खुद ही विकेट पर पसीना बहा रहे थे और विपक्षी टीम को बांधकर रखने में पूरी तरह से सफल दिखने लगे थे। 15 ओवरों में ही मैच लगभग हमारी ओर आ चुका था जबकि विपक्षी टीम का स्कोर 6 विकेट पर महज 58 रन। अंतिम पांच ओवरों में 55 रन तभी एक ओवर में उनके द्वारा 13 रनों का स्कोर किया जाना अब लगा कि संघर्ष अंतिम दौर में आ चुका है। अंतिम ओवर आते आते मैच को हम अपनी पकड में ले चुके थे जबकि विपक्षी टीम को अंतिम ओवर में 25 रन बनाने थे। यह मैच हमने 22 रनों से जीता और जीत ऐसी कि अंतिम विकेट के दो टुकडे करने में हमारे गेंदबाज Vijay Anand Mukhi, NML, Jamshedpur कामयाब रहे।
पूरी टीम अंशु धाराओं में जीत की खुशी का जश्न मैदान पर भाग भागकर, एक दूसरे को पकड पकडकर मना रहे थे।
वास्तव में आज एक सपना सच हो गया था । मैं एनएमएल क्रिकेट टीम का एक हिस्सा बन कर वाकई खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहा था हम अंतत: जीत गए थे और फाइनल के लिए क्वालीफाइ कर गए थे। पूरे टूर्नामेंट में हमने यही सीखा कि आखिर हार को जीत में कैसे बदला जाता है। 11 लोग अलग अलग विचारधाराओं के जब एकजुट हो जाएं तो फिर एक ठोस बुनियाद बन जाती है। यह सीख हमलोगों को मिली। जोनल टूर्नामेंट में मेरा व्यक्तिगत प्रदर्शन हालांकि अच्छा नहीं रहा मगर मैं पूरी कोशिश करूंगा कि फाइनल टूर्नामेंट में मैं अपने व्यक्तिगत प्रदर्शन में सुधार ला सकूं तथा लोगों की अपेक्षाओं पर खरा उतर सकूं।
अंतिम निष्कर्ष :
हम अपना दूसरा मैच एनसीएल, पुणे से किसी बूरे सपने की तरह हार गए इसकी जिम्मेदारी सिर्फ और सिर्फ मुझ जैसे मीडिल ऑर्डर बैटसमैन का पूरी तरह से फ्लाप होना है। हर मैच में ओपनर बल्लेबाज अच्छी पार्टनरशीप दे यह संभव नहीं। न सिर्फ दूसरे मैच में बल्कि तीसरे और पांचवे मैच में भी यही हुआ। मीडिल आर्डर बल्लेबाजों ने अपने निराशाजनक प्रदर्शन को कायम रखा जिससे हम एनपीएल के सामने जैसे तैसे करके सिर्फ 104 रन बना सकें और सीएसआईओ के सामने सिर्फ 112 का आंकडा ही रख सके। इस टूर्नामेंट को जीतने का यदि श्रेय किसी को देना है तो वह है हमारी बालिंग अटैक, फील्डिंग और कुछ बेशकीमती निर्णय जो हमारे कप्तान द्वारा सही समय पर लिए गए। हमने जुझारूपन बिलकूल ही दिखाया मगर वह सिर्फ खराब बल्लेबाजी करने के बाद। सिर्फ फाइलन मैच सं. 5 जिसमें सीएसआईओ के विरुद्व हम एक समय में 6 ओवरों में 3 विकेट पर महज 15 रन थे । यहां से मैच को 20 ओवरो में 112 तक के स्कोर पर ले जाने में वाकई हमारे दो बल्लेबाजो का अहम योगदान रहा। जिसमें निखिल रॉय और डा. एम एम हुमने ने अपने अपने विकेट के महत्व को समझते हुए न सिर्फ अच्छी खासी साझेदारी की बल्कि एक एैसा स्कोर बॉलरों को दिया जिससे हम मैच को बचाने की स्थिति में आ पाए।
इस पूरे टूर्नामेंट में कुछ ऐसे भी पल जाए जब किसी विशेष खिलाडी ने अपने उम्मीद से बढकर प्रदर्शन किया
पहला :
तीसरे मैच के 19वें ओवर में जबकि मैच बचाने को 2 ओवरों में 11 रन बचाने थे और बालिंग अटैक में स्पीनर राजन शर्मा को लगाया गया और बडे ही अदभुत रूप से राजन शर्मा ने उस दबाव को झेलते हुए न सिर्फ 3 रन दिए बल्कि 1 विकेट भी चटका लिए ।
दूसरा :
इसी मैच के 20वें ओवर में जब विपक्षी टीम को जीतने के लिए 8 रन चाहिए थे और उसके 5 विकेट हाथ में थे, उसी समय जब पूरी टीम के उम्मीद के विरुद्व कैप्टन का अजीबो गरीब तुगलकी फैसला बॉल विजय आंनद मुखी के हाथ जिसने इससे पहले अभी तक इस टूर्नामेंट में एक भी गेंद नहीं डाली थी। कैप्टन के लिए फैसले को पूरी तरह से सही ठहराते हुए विजय आनंद मुखी ने 20वें ओवर की गेंदबाजी में 1 विकेट भी चटकाए और मैच को 4 रनों से हमें जीता भी दिया जबकि विपक्षी टीम के 4 विकेट हाथ में ही थे।
तीसरा :
टूर्नामेंट का पांचवा और निर्णायक मैच, जीतने की स्थिति में हम फाइनल स्पर्धा के लिए क्वालीफाइ अन्यथा बीते कई वर्षों की तरह किसी आए गए टीम की तरह । किसी तरह हमारी टीम 112 रन बना पायी थी उस टीम के खिलाफ जिसके अपने पिछले तीनों ही मैचों के 20 ओवरों में 150 से उपर का औसत स्कोर रहा । पहला दो ओवर पेस बालिंग अटैक मगर यह क्या विपक्षी टीम के बल्लेबाजों ने बडी ही आसानी से मिडिल ऑफ द बैट खेलते हुए हमारे उस पेस अटैक को बौना साबित कर दिया जिसने अपने पिछले ही मैच में पूरी विपक्षी टीम को महज 14 रनों पर ढेर कर दिया था। तभी कैप्टन बीरेन्द्र फिर अजीबो गरीब फैसला लेते हुए बॉल स्पीनर डॉ. एम एम हुमने के हाथ में, हांलाकि डॉ. हुमने का यह टूर्नामेंट बडा ही सफल रहा। एक गेंदबाज के तौर पर उन्होंने प्रत्येक मैच में न सिर्फ औसतन 3 विकेट चटकाए किफायती तौर पर मगर इस बार मैच के तीसरे ही ओवर में स्पीनर को लगाना जबकि हमारे पर मैच बचाने को महज 112 रन ही थे । इस बार भी अदभुत प्रदर्शन करते हुए न सिर्फ डॉ. हुमने बल्कि इनका साथ देते हुए राजन शर्मा और कैप्टन बीरेन्द्र कुमार ने बॉलर के रूप में अभूतपूर्व प्रदर्शन करते हुए 15 ओवर में ही मैच को हमारे झोली में लगभग डाल दिया था जबकि विपक्षी टीम के अंतिम 5 ओवरो में 55 रन बनाने थे जबकि उनके सिर्फ 2 विकेट बाकी थे।
यादगार लम्हा :
इस टूर्नामेंट का सबसे महत्वपूर्ण यादगार लम्हा एनपीएल के साथ अपने तीसरे मैच के 20वें ओवर में बाउंड्री लाइन पर हमारे टीम के रबिन्द्र नाथ बेहरा के द्वारा चीते की फूर्ती के साथ लिया गया अविश्वसनीय कैच है जिसमें सचमुच हमारे टीम को 4 रनों से जीत दर्ज करने में अपना उल्लेखनीय योगदान दिया। वास्तव में यह कैच न सिर्फ कैच ऑफ द मैच रहा अपितु कैच ऑफ द टूर्नामेंट भी हो गया।
शुक्रवार, 27 जनवरी 2012
SSBMT ZONAL CHAMPION @JORHAT2012
आखिर, अंतत: हमने वह पल प्राप्त कर ही लिया, हमने उस सपने को सच करके दिखा ही दिया जो किसी के आंखों में पिछले 12 वर्षों से कैद होकर रह गया था। हालांकि इस टूर्नामेंट में मेरा व्यक्तिगत प्रदर्शन उतना अच्छा नहीं रहा जैसा कि मैंने खुद से सोच रखा था बावजूद इसके हम एक टीम की तरह खेले और चैम्पियन का दर्जा प्राप्त करने में सफल रहे। हम आखिरकार एसएसबीएमटी के जोनल टूर्नामेंट को जीतकर फाइनल में खेलना का दर्जा प्राप्त कर ही लिया।
जोनल टूर्नामेंट के फाइलन में सीएसआईओ, चण्डीगढ की टीम को हराने के बाद एमएनएल की टीम
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<1st row from left Side>
U C Oraon (Team Manager), Rajan Sharma, Anuj Kumar, Sujit Kumar, Vijay Anand Mukhi, Tulsi Mukhi, Bhupeshwar Mahato (WC), ......., Sanjay Hembram, Santosh Mukhi, Rabindra Nath Behera
<2nd row from left side>
Parmarth Suman, Dr. M M Humane and Birendra Kumar (Captain),
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एनएमएल की पूरी टीम को मेरे तरफ से बधाई ।
रविवार, 8 जनवरी 2012
Maiden Century
बीता शनिवार 7 जनवरी, 2012 मेरे जीवन का ऐतिहासिक दिन रहा। 20 ओवर के क्रिकेट मैच में मैंने एनएमएल टीम की ओर से खेलते हुए 56 बॉल में नाबाद 102 रन बनाए जबकि हमारी टीम का कुल स्कोर 195 रहा। अपने इस 102 रनों की नाबाद पारी में मैंने 10 चौके तथा 6 छक्के लगाए।
यह मेरे क्रिकेट कैरियर का पहला शतक था जिसे मैंने अपने परमपूज्य पिताजी श्री श्याम किशोर सिंह जी के नाम समर्पित किया।
मैं कई वर्षों तक टेनिस बॉल से क्रिकेट खेलता रहा। कई छोटे मोटे टूर्नामेंट में मैंने अपनी उपस्थिति दर्ज भी कराई। कई खेल मैदान मुझे आज तक याद हैं बागबेडा स्थित वायरलेस मैदान जहां कभी मैंने टेनिस बॉल के मैच में एक ही ओवर में पाँच छक्के और एक चौका जडा था, जुगसलाई स्थित आर.पी.पटेल हाई स्कूल मैदान में 12 ओवरों के मैच में बिना विकेट खोए 167 रनों का पहाड। आज भी वो सारा दृश्य मेंरी आंखों के सामने बना रहता है।
कुछ दिनों तक मैं लालबिल्डिंग स्थित आर्शिवाद होटल के पीछे वाले मैदान में कॉरकेट बाल से भी क्रिकेट खेला। हालांकि कोई टूर्नामेंट नहीं खेला मैं कॉरकेट बाल से।
2006 में दुर्गापूर में नौकरी ज्वाइन करने के बाद, अगले ही वर्ष जब दुर्गापूर की क्रिकेट टीम लखनउ जाने की तैयारी कर रही थी तब मैं सहमा-सहमा सा कुछ डरा डरा सा क्रिकेट प्रैक्टिस करने जाने लगा और वहां के अनुभाग अधिकारी श्री सुप्रकाश हलधर के प्रोत्साहन के परिणामस्वरूप मैं डयूज बॉल से क्रिकेट प्रैक्टिस करने लगा और 2007 में लखनउ दुर्गापूर की टीम का सदस्य बनकर गया मगर उस टूर्नामेंट में मेरा प्रदर्शन कोई खास नहीं रहा। फायइन के लिए क्वालीफाइ नहीं कर पायी और फिर हमलोग वापस आकर दुर्गापूर में दूसरे टीमों के साथ क्रिकेट मैंच खेलने लगे। इसी दौरान हालांकि एक बार मेरे अंगूठे में हेयर क्रेक भी हो गया था। वर्ष 2008 में मैं दूर्गापूर से ट्रांसफर होकर जमशेदपुर आ गया मगर 2009 में हमारी टीम जो कि राजस्थान जा रही थी उसमें मैं क्रिकेट टीम का सदस्य नहीं बनकर बॉलीबाल टीम का सदस्य बनकर गया।
वर्ष 2011 में एनएमएल की टीम ने क्रिकेट प्रैक्टिस आरंभ कर दी क्योंकि जनवरी 2012 में इस टीम को आसाम, जोरहाट टूर्नामेंट खेलने जाना है। इसी प्रैक्टिस सत्र के रूप में कई टीमों से प्रत्येक शनिवार तथा रविवार को मैचों का आयोजन किया जा रहा है। इसी एक मैच में बीते शनिवार 7 जनवरी, 2012 को मैंने अपनी जिंदगी का पहला शतक ठोंका और ठीक इसके अगले दिन के मैच 8 जनवरी, 2012 को भी मैंने 39 बॉल पर नाबाद 53 रनों की पारी खेली है जिसमें 9 चौके शामिल हैं।
मैं ईश्वर से दुआ करता हॅूं कि आने वाले टूर्नामेंट में भी वो मुझपर अपना आशीष बनाए रखे।
मैं कई वर्षों तक टेनिस बॉल से क्रिकेट खेलता रहा। कई छोटे मोटे टूर्नामेंट में मैंने अपनी उपस्थिति दर्ज भी कराई। कई खेल मैदान मुझे आज तक याद हैं बागबेडा स्थित वायरलेस मैदान जहां कभी मैंने टेनिस बॉल के मैच में एक ही ओवर में पाँच छक्के और एक चौका जडा था, जुगसलाई स्थित आर.पी.पटेल हाई स्कूल मैदान में 12 ओवरों के मैच में बिना विकेट खोए 167 रनों का पहाड। आज भी वो सारा दृश्य मेंरी आंखों के सामने बना रहता है।
कुछ दिनों तक मैं लालबिल्डिंग स्थित आर्शिवाद होटल के पीछे वाले मैदान में कॉरकेट बाल से भी क्रिकेट खेला। हालांकि कोई टूर्नामेंट नहीं खेला मैं कॉरकेट बाल से।
2006 में दुर्गापूर में नौकरी ज्वाइन करने के बाद, अगले ही वर्ष जब दुर्गापूर की क्रिकेट टीम लखनउ जाने की तैयारी कर रही थी तब मैं सहमा-सहमा सा कुछ डरा डरा सा क्रिकेट प्रैक्टिस करने जाने लगा और वहां के अनुभाग अधिकारी श्री सुप्रकाश हलधर के प्रोत्साहन के परिणामस्वरूप मैं डयूज बॉल से क्रिकेट प्रैक्टिस करने लगा और 2007 में लखनउ दुर्गापूर की टीम का सदस्य बनकर गया मगर उस टूर्नामेंट में मेरा प्रदर्शन कोई खास नहीं रहा। फायइन के लिए क्वालीफाइ नहीं कर पायी और फिर हमलोग वापस आकर दुर्गापूर में दूसरे टीमों के साथ क्रिकेट मैंच खेलने लगे। इसी दौरान हालांकि एक बार मेरे अंगूठे में हेयर क्रेक भी हो गया था। वर्ष 2008 में मैं दूर्गापूर से ट्रांसफर होकर जमशेदपुर आ गया मगर 2009 में हमारी टीम जो कि राजस्थान जा रही थी उसमें मैं क्रिकेट टीम का सदस्य नहीं बनकर बॉलीबाल टीम का सदस्य बनकर गया।
वर्ष 2011 में एनएमएल की टीम ने क्रिकेट प्रैक्टिस आरंभ कर दी क्योंकि जनवरी 2012 में इस टीम को आसाम, जोरहाट टूर्नामेंट खेलने जाना है। इसी प्रैक्टिस सत्र के रूप में कई टीमों से प्रत्येक शनिवार तथा रविवार को मैचों का आयोजन किया जा रहा है। इसी एक मैच में बीते शनिवार 7 जनवरी, 2012 को मैंने अपनी जिंदगी का पहला शतक ठोंका और ठीक इसके अगले दिन के मैच 8 जनवरी, 2012 को भी मैंने 39 बॉल पर नाबाद 53 रनों की पारी खेली है जिसमें 9 चौके शामिल हैं।
मैं ईश्वर से दुआ करता हॅूं कि आने वाले टूर्नामेंट में भी वो मुझपर अपना आशीष बनाए रखे।
सोमवार, 2 जनवरी 2012
नया साल 2012 : नए संकल्प
नया वर्ष 2012 अंतत: हिचकोले ले लेकर आ ही गया। पुराना वर्ष जाते जाते कुछ ऐसे जख्म देता गया जिसे भूलाना शायद संभव नहीं। पिछला वर्ष कुछ मायनों में उपलब्धि भ्रा रहा तो कुछ मायनों में दु:ख देने वाला। जहां एक ओर हम कार्य के प्रति समर्पित इच्छाशक्ति को जागृत रखने में कामयाब रहें तो दूसरी ओर अधिकांश लोगों के उम्मीदों पर खरा उतरने का प्रयास भी किया। वर्ष 2012 के लिए मैं अपने कार्य के लिए कृत संकल्पित हॅूं तथा आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि बीते कल से भी बेहतर परिणाम मैं दूंगा।
इस नए साल के आगमन पर मैंने एक नया संकल्प लिया है और आशा करता हॅूं खुद से कि इस संकल्प का मान मैं रख पाने में सफल रह पाउंगा। वह संकल्प है पान नहीं खाने का। मैंने अपने आप से यह वादा किया है और कोशिश करूंगा कि इस वादा पर मैं अडिग रहूँ।
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