रविवार, 27 नवंबर 2011

सर्वश्रेष्‍ठ कार्मिक की उपलब्धि और उच्‍चस्‍तरीय अपेक्षाएं


विगत 26 नवम्‍बर, 2011 को प्रयोगशाला के स्‍थापना दिवस समारोह के शुभ अवसर पर मुझे इस प्रयोगशाला के सर्वश्रेष्‍ठ कार्मिक के पुरस्‍कार से नवाजा गया। मेरे लिए इस उपलब्धि को पाना वाकई एक अविस्‍मरणीय क्षण था। इस पुरस्‍कार की प्राप्ति में मेरे अनुभाग अधिकारी श्री राजेश कुमार सिंह रौशन जी का महत्‍वपूर्ण योगदान रहा। उनके उच्‍च कोटि के  दिशानिर्देश तथा भविष्‍यदर्शी विचारों का ही परिणाम रहा कि मैं इस पुरस्‍कार के काबिल बन पाया। आज मैं जो कुछ भी हॅूं तो सिर्फ उनके दिशानिर्देश तथा भविष्‍यदर्शी विचारों के परिणामस्‍वरूप ही।

मुझे याद है जब मैं वर्ष 2008 के सितम्‍बर माह में दुर्गापुर से स्‍थानांतरण के पश्‍चात इस प्रयोगशाला में अपना कार्यभार ग्रहण किया था, उस समय मेरी तैनाती प्रशासनिक सचिवालय में हुई थी। कुछ ही महीनों के बाद नवम्‍बर, 2011 में मेरी तैनाती इस प्रयोगशाला के बिल अनुभाग/स्‍थापना-4 अनुभाग में कर दी गयी थी जिनके अनुभाग अधिकारी श्री रौशन जी ही थे। मैं दुर्गापुर से इस प्रयोगशाला में हालांकि 2 वर्ष का अनुभव प्राप्‍त कर यहां आया था मगर प्रशासनिक कार्य के नाम पर मेरे पास किसी प्रकार का कोई कार्य अनुभव नहीं था। दुर्गापूर की प्रयोगशाला में मैं हिन्‍दी प्रकोष्‍ठ में तैनात रहा तथा हिन्‍दी प्रकोष्‍ठ के कार्य से संबंधित गतिविधियों में पूरी तरह से लिप्‍त रहा जबकि मैंने सहायक सामान्‍य के पद पर अपना पदभार ग्रहण किया था। 1 वर्ष हिन्‍दी प्रकोष्‍ठ में कार्य करने के बाद मेरी तैनाती दुर्गापूर के प्रशासनिक सचिवालय में कर दी गयी थी, जहां मेरे पद के अनुरूप मैं किसी प्रकार का कोई कार्य सीख ही नहीं पाया था। मैं एन एम एल जमशेदपुर खाली हाथ बिना किसी कार्य अनुभव के ही आया था। नवम्‍बर, 2011 को बिल अनुभाग में पदभार ग्रहण करने के बाद मुझे ग्रुप डी कार्मिकों से संबंधित वेतन बिल, ओवर टाइम पेमेंट बिल का कार्य सौंपा गया जिसे मैंने पूरी निष्‍ठापूर्वक संपादित किया। इस दौरान मुझे अपने सारे सीनियरों श्री एच एन सिंह, श्री अशोक सिंह, श्री अम्‍बर टिर्की, श्री के जी साइमन, श्री अनिल कुमार शर्मा तथा श्री नन्‍द लाल पासवान जी समेत अनुभाग अधिकारी श्री राजेश कुमार रौशन जी तथा श्री जी आर सोरेन का हर प्रकार से सहयोग प्राप्‍त हुआ।
अगस्‍त 2009 में अचानक ही मुझे वैज्ञानिकों, तकनीकी अधिकारियों तथा सामान्‍य संवर्ग अधिकारियों से संबंधित वेतन बिल तथा आयकर से संबंधित बिल का कार्य सौंपने संबंधी चर्चा प्रशासनिक अधिकारियों तथा अन्‍य अधिकारियों के बीच हुई तथा इससे संबंधित पूछताछ मुझसे भी की गई जिसे मैंने मना कर दिया था मगर मेरे अनुभाग अधिकारी श्री राजेश कुमार रौशन जी ही थे जिन्‍होंने मुझे दिमागी तौर पर इस कार्य के लिय तैयार करवाया। यह उन्‍हीं का व्‍यक्तिगत प्रयास था कि मैं इस कार्य के लिए मानसिक स्‍तर पर खुद को तैयार कर पाया और इसके लिए हामी भरी और फिर उस दिन से जो मैंने कार्य करना आरंभ किया वाकई आज तक मुझे किसी प्रकार की कोई समस्‍या नहीं आने दी गयी। मेरे सामने आने वाले किसी प्रकार की समस्‍या का समाधान मेरे अनुभाग अधिकारी श्री रौशन जी ने अपने स्‍तर पर की। आज मैं जो कुछ भी हूँ, जहॉं भी खडा हॅूं वह सिर्फ श्री रौशन जी का प्रोत्‍साहन का ही असर है।

मेरे अनुभाग अधिकारी श्री रौशन जी के दिशा निर्देशों और मार्ग दर्शन का ही परिणाम रहा जिससे कार्मिकों से संबंधित कई प्रकार की लाभकारी योजनाओं को एक टीम वर्क द्वारा अमली जामा पहनाया जा सका जिसमें ई मेल में वेतन पर्ची संबंधित कार्मिकों को उपलब्‍ध करवाया एक अहम उपलब्धि कही जा सकती है।

मैं अपने अनुभाग अधिकारी श्री रौशन जी के प्रति कृतज्ञता के पुष्‍प अर्पित करता हॅूं जिन्‍होंने मुझमें अदभ्‍य शक्ति का संचार भरा तथा मुझे मानसिक स्‍तर पर सुदृढ किया जिसके परिणामस्‍वरूप आज मैं किंचित मन से कार्यालय का कार्य कर पा रहा हॅूं। मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विश्‍वास है कि बीते कल की तरह आने वाले कल में भी मुझे उनका दिशा निर्देश तथा मार्ग दर्शन प्राप्‍त होता रहेगा और मैं अपने कार्यालयीन कार्य को समर्पित इच्‍छाशक्ति के भाव से कर पाने में सक्ष्‍म हो सकूंगा।

अंत में,
श्रेष्‍ठ कार्मिक का पुरस्‍कार मिलना वाकई मेरे लिए एक गर्व की बात है मगर मैं जानता हॅूं कि इससे लोगों में मेरे प्रति उच्‍च स्‍तर की अपेक्षाएं होंगी, मैं विश्‍वास दिलाना चाहता हॅूं कि मैं बीते कल ही तरह आने वाले कल में भी पूरी तरह ईमानदारी तथा कर्तव्‍यनिष्‍ठा का भाव लेकर कार्य करूंगा तथा बिना किसी द्वेष व भेदभाव के समर्पित ईच्‍छाशक्ति से अपने कार्य को सम्‍पादित करूंगा।

एक बार फिर से मैं अपने अनुभाग अधिकारी श्री रौशन जी को इस आशा के साथ आभार प्रकट करता हॅूं कि भविष्‍य में उनका सानिध्‍य और मार्ग दर्शन मुझे यथावत मिलता रहेगा।

शनिवार, 26 नवंबर 2011

जीवन मृत्यु : एक कटु सत्य

दिनांक 24 नवम्‍बर की रात 11 बजे के करीब मैं जमशेदपुर वापस आया हॅूं। बीता एक सप्‍ताह मेरे जीवन का न भूलने वाला समय रहा।  इस दौरान वह सब कुछ हुआ जिसकी कल्‍पना मैंने कभी नहीं की थी।

दिनांक 18 नवम्‍बर के दोपहर 3 बजे के करीब मुझे मेरे ससुराल वालों की तरफ से यह जानकारी दी गयी कि मेरा बडा साला दीपक जो कि वर्तमान में पुणा के किसी मल्‍टीनेशनल कम्‍पनी में साफ्टवेयर इंजीनियर के पद पर कार्यरत था, वह गोवा में दुर्घटनाग्रस्‍त हो गया है तथा आईसीयू में एडमिट है। मैं तुरंत ही बिष्‍टुपूर स्थित अपने ससुराल पहुंचा तो मुझे विस्‍तार से जानकारी दी गयी कि दीपक तथा उसके कई अन्‍य पुराने साथी संगी अलग-अलग जगहों से मिलने जुलने के लिए गोवा गए थे जहां समंदर में नहाने के दौरान हादसा हुआ और वह आईसीयू में गंभीर अवस्‍था में एडमिट हैा 

यह जानकारी गोवा से उसके दोस्‍तों ने ही फोन द्वारा मेरे ससुराल में दी गयी थी। अचानक हुए इस अप्रिय वारदात ने मेरे ससुराल के लोगों को मानसिक आघात पहुंचा दिया था। आनन फानन में कोलकाता से मुंबई होते हुए गोवा के हवाई मार्ग का टिकट कटाया गया तथा रात के 1 बजे मैं अपने ससुर जी तथा छोटा साला के साथ सडक मार्ग से कोलकाता के लिए निकला तथा सुबह 7.30 बजे के करीब कोलकाता एयर पोर्ट हमलोग पहुंचे। वहां से हवाई मार्ग द्वारा हमलोग गोवा के लिए निकले। दोपहर के करीब 2 बजे हमलोग गोवा एयरपोर्ट के बाहर थे। वहां पहले से दीपक के कुछ दोस्‍त मौजूद थे। हमें देखते ही उनलोगों ने एक गाडी हायर की तथा हमलोगों से कहा कि चलिए पहले होटल चलते हैं आपलोग फ्रेश हो जाईए। इस बात पर मैं दीपक के एक दोस्‍त रत्‍नेश को साइड ले गया तथा उससे कहा कि क्‍या बात करते हो हमारे फ्रेश होने की चिंता मत करो पहले दीपक जिस अस्‍पताल में एडमिट है वहां ले चलो। मेरे इस बात पर रत्‍नेश मुझसे चिपककर रोने लगा और उसकी बंद जुबान ने लगभग सबकुछ बयां कर दिया कि दीपक अब इस दुनिया में नहीं रहा। अचानक मेरी निगाहों के सामने अंधकार सा छा गया। मेरी सांसे कुंद हो गई। मुझे समझ में नहीं आ रहा था मैं क्‍या करूँ। मेरे साथ मेरे ससुर जी और छोटा साला था। मैं चाहकर भी फूट फूटकर रो नहीं पाया। मैं खामोशी की चादर ओढकर गाडी में बैठ गया। लगभग 45 मिनट के बाद हमलोग गोवा के किसी होटल के अंदर थे। इस दौरान मुझे विस्‍तार से जानकारी देते हुए बताया गया कि दीपक 18 नवम्‍बर की सुबह की गोवा पहुंचा था और फिर सुबह नाश्‍ता करने के बाद सभी दोस्‍त बाघा बीच पर समंदर के पानी के साथ खेलने पहुंच गए। 10.30 बजे का लगभग समय रहा होगा। कुछ ही मिनटों के बाद पानी की लहर आयी और अपने साथ वापस जाते वक्‍त दीपक और उसके पांच अन्‍य दूसरे दोस्‍तों को भी घसीट ले गई। किनारे पर खडे कोस्‍ट गार्ड के जवान मोटर वोट लेकर मदद को गए भी और कुछ ही मिनटों की मेहनत के बाद सारे के सारे लोगों को वापस किनारे पर ले आए मगर इसी दौरान दीपक को बचाया नहीं जा सका। दीपके के मुंह तथा नाक में समंदर का रेत भर गया था काफी कोशिश करने के बावजूद उसे बचाया नहीं जा सका। आनन फानन में उसे स्‍थानीय समीप के नर्सिंग होम में भी ले जाया गया मगर वह तो पहले ही ..........................

दीपक जो कि लगभग दो वर्ष पहले ही नागपुर के इंजीनियरिंग कॉलेज से अपनी डिग्री कमप्‍लीट कर पुणा के एक मल्‍टीनेशनल कम्‍पनी में बतौर साफ्टवेयर इंजीनि‍यर के पद पर तैनात हुआ था। महज 23 वर्ष का युवा अपने कांधे पर अपने परिवार के कई सपनों को हकीकत में अमली जामा पहलाने की कोशिश करने में जुटा ही था कि यह घटना घटित हो गयी।

दीपक से मैं व्‍यक्तिगत रूप से काफी नजदीक रहा था। अक्‍सर ही वह मुझे और मैं उसे फोन करता तथा हमारी अक्‍सर नेट चार्टिंग से बातें भी हुआ करती थी। न जाने ईश्‍वर ने उसे क्‍यों काल के गाल में समा दिया। मैं जीवन पर्यन्‍त उसे भूला नहीं पाउंगा।

सचमुच हमारे हाथों में तो कुछ भी नहीं हमलोग तो महज कठ पुतली भर हैं हमें नचाने वाला तो कोई और उपर बैठा है जिसके हाथों में हमारी बागडोर थमी हुई है।

सागर की लहरें
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सागर की लहरों ने
छीन लिया जीवन
साथी-संगी छूट गए
सपने कई टूट गए
सागर की लहरों ने
छीन लिया जीवन ।।1।।

सागर के किनारों पर
बिखरे पडे मोतियों के बीच
एक कोख सूनी रह गई
एक मांग खाली ही रह गई
सागर की लहरों ने
छीन लिया जीवन ।।2।।

सागर की लौटती धाराओं में
जीवन भर का अब इंतजार
मां की सूनी आंखों को
बहन की सूनी कलाइयों को
सागर की लहरों ने
छीन लिया जीवन ।।3।।

रेत के महल की तरह
सब कुछ धाराशाही हो गया
पापा के वो ख्‍वाब सारे
आंखों में ही संजोए रह गए
सागर की लहरों ने
छीन लिया जीवन ।।4।।

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ईश्‍वर दीपक की आत्‍मा को शांति प्रदान करे।


रविवार, 13 नवंबर 2011

सी एम ई आर आई, दुर्गापुर क्रिकेट टीम को बधाई


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एसएसबीएमटी 2007 का यादगार ग्रुप फोटो
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बीते दिनों नई दिल्‍ली में आयोजित हुए एसएसबीएमटी जोनल आउटडोर क्रिकेट टूर्नामेंट में सीएमईआरआई, दुर्गापुर की क्रिकेट टीम ने अभूतपूर्व प्रदर्शन करते हुए फाइनल टूर्नामेंट के लिए क्‍वालीफाइ्र कर लिया है। मेरे तरफ से पूरे क्रिकेट टीम तथा इससे जुडे प्रबंधक महोदय तथा सचिव महोदय को बहुत बहुत बधाई।

वर्तमान में एसएसबीएमटी टूर्नामेंट जिसका स्‍तर काफी उच्‍च कोटी का है ऐसे में फाइनल के लिए टीम का क्‍वालीफाई करना अपने आप में एक महत्‍वपूर्ण उपलब्धि है।

मुझे अच्‍छे से याद है कि वर्ष 2007 में जब मैं खुद इस क्रिकेट टीम को एक सदस्‍य बना था। कैसे उस समय प्रशासन के भर्ती अनुभाग के अनुभाग अधिकारी श्री सुप्रकाश हलदर जी ने एक अच्‍छी टीम बनाने के लिए क्‍या कुछ प्रयास किए थे। सुबह सुबह सबके घर के दरवाजे-दरवाजे जाकर उसे उठाकर क्रिकेट ग्राउंड पहुंचने के लिए प्रेरित करना। नेट पर अभ्‍यास के दौरान क्रिकेट से जुडी बारीकियों को समझाना। लीग मैच खेल रहे युवाओं के साथ मैच की व्‍यवस्था करना आदि। कार्यालयीन कार्य के साथ-साथ इस तरह के सत्र में भी युवाओं को प्रोत्‍साहित करने के साथ-साथ अपनी भी भागीदारी सुनिश्चित कराने के लिए वास्‍तव में श्री हलधर जी प्रशंसा के पात्र हैं।

बात जब सीएमईआरआई क्रिकेट की हो तो मेनुफैक्‍चरिंग टेक्‍नॉलाजी समूह के श्री देबाशीष दत्‍ता जी को कौन भूला सकता है। उन्‍हें मैदान पर देखकर ऐसा लगता है कि 49 वर्ष  का प्रौढ नहीं बल्कि 19 वर्ष को जोशीला नौजवाल  मैदान पर आ गया है । किसी भी प्रकार के क्रिकेट प्रैक्टिस हो या फिर मैच इससे पूर्व उनके द्वारा कराए जाने वाले वार्मअप को टीम के फिटनेश के लिहाज से नकारा नहीं जा सकता। चाहे वार्षिक खेलकूद कार्यक्रम के पूर्व लाईनिंग करने की बात हो या फिर वार्मअप कराने की बात श्री दत्‍ता जी का अभूतपूर्व योगदान इसमें रहा है। वाकर्इ श्री दत्‍ता जी प्रशंसा के पात्र हैं।

एक और उल्‍लेखनीय बात यह कि रोबोटिक्‍स और मेकाट्रोनिक्‍स प्रभाग के श्री राजकुमार मंडल जी, डिजाइन तथा डेवलपमेंट ऑफ मेकानिकल सिस्‍टम प्रभाग के श्री एस पाटकर जी, भर्ती अनुभाग के श्री शैलेन्‍द्र कुमार जी, प्रिंटिंग तथा पब्लिकेशन प्रभाग के श्री विनीत कुमार सैनी जी, माइक्रकोसिस्‍टम टेक्‍नोलॉजी लेबोरेटरी प्रभाग के श्री मान सिंह आजाद जी, प्रशासन के सामान्‍य शाखा के अनुभाग अधिकारी श्री प्रदयुम्‍न कुमार दास जी जैसे कई अन्‍य क्रिकेट के प्रति समर्पित युवा शक्ति का प्रादुर्भाव सीएमईआरआई दुर्गापूर में हो चुका है तथा इनको संगठित करने तथा इनमें समर्पित इच्‍छा शक्ति जगाने के लिए श्री सुप्रकाश हलधर जी तथा इन्‍हे फिट रखने के लिए अपना गुरुमंत्र देने के लिए श्री देबाशीष दत्‍ता जी जैसे सक्रिय कर्मठयोगी कार्मिक के परिणामस्‍वरूप ही आज यह दिन हमें नसीब हुआ है जिस पर मुझे आज फक्र महसूस हो रहा है।
मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विश्‍वास है कि यदि इसी तरह हमारी टीम आगे अपना योगदान करती रही तो निश्‍चय  ही एसएसबीएमटी का फाइनय टूर्नामेंट ट्राफी हमारे ही हाथों में होगा।

एक बार फिर से पूरे सीएमईआरआई क्रिकेट टीम तथा इससे जुडे हुए सभी सदस्‍यों को मेरे तरफ  से बधाई।