गुरुवार, 24 फ़रवरी 2011

रिश्‍तों के मायने

मुझ जैसे कई लोग होंगे जो बेवकूफों की तरह रिश्‍तों के मायने तलाशते फिर रहे होंगे । पैदा होने से लेकर मरने तक हम कैद रहते हैं रिश्‍तों के भ्रम जाल में। मां-पिता, भाई-बहन, पत्‍नी-संतान से लेकर अनगिनत रिश्‍ते में हम दिन प्रतिदिन फंसते जाते हैं। कहीं हम दूसरों को बेवकूफ बनाते हैं तो कहीं हम दूसरों से बेवकूफ बनते हैं। लोग जाने अनजाने रिश्‍तों के भ्रम जाल में खुद को कैद करके रखते हैं।

इनकम टैक्‍स की उपयोगिता

वर्तमान परिस्थिति में जबकि समूचा हिन्‍दुस्‍तान भ्रष्‍टाचार से ग्रसित है पिछले कई महीनों से लगातार ही कभी मघु कोडा के लगभग 4000 करोड रुपए, कभी ए राजा के लगभग कई लाख करोड, कभी कलमाडी के कई हजार करोड मामले प्रकाश में आ रहे हैं, इन सबको देखते हुए लगता है इनकम टैक्‍स अर्थात आयकर देने वाले लोग पूरी तरह से बेवकूफ बन रहे हैं। सरकार द्वारा सभी प्रकार के टैक्‍स लेने का प्रयोजन इस पैसों को हिन्‍दुस्‍तान के गरीब आम जनता की भलाई के लिए कार्य करना है मगर यदि यही पैसा किसी एक दो आदमी की बपौती बनने लगे तो फिर टैक्‍स देने वाले लोग तो अपने आपको ठगा हुआ सा महसूस करेंगे ही। कई बार अखबारों में यही विज्ञापन दिया जाता है कि आप कोई भी समान खरीदें आप वैट आदि टैक्‍स देकर मूल बिल लें ताकि टैक्‍स द्वारा जमा किए गए पैसे आम जनता की भलाई में खर्च किए जा सके। मगर वास्‍तविकता इससे कितनी दूर होती जा रही है छोटे से छोटे काम से लेकर बडे से बडे काम में घपले से घपले ही किए जा रहे हैं। सरकारी तंत्र का भी यही मानना है कि सरकार द्वारा भेजी जा रही राशि जो गरीबों के हित में खर्च की जानी है उसका सिर्फ 10 प्रतिशत ही सदुपयोग हो रहा है, इसका मतलब यही कि बाकी 90 प्रतिशत कमीशन आदि के रूप में भ्रष्‍टाचारियों के जेब में जा रही हैा
एक इनकम टैक्‍स देने वाले भारतीय की तो बात ही निराली है, एक तो वह अपने पूरे वेतन पर निर्धारित किए गए आयकर अर्थात इनकम टैक्‍स दे ही रहा है उपर से रोज मर्रा की जरूरी सारी चीजें मसलन पेट्रोल से लेकर पानी तक, चावल से लेकर दवाई तक में अलग से अन्‍य प्रकार के टैक्‍स को चुकाना पड रहा है। इसका मतलब जिन रूपयों पर वह पहले से ही सरकार को निर्धारित टैक्‍स अदा कर चुका है फिर से दुबारा उन्‍हें कई प्रकार के टैक्‍स को चुकाना पड ही रहा हैा ऐसे में यदि टैक्‍स के पैसे का इस तरह से दुरुपयोग किया जाए तो फिर टैक्‍स देने वाले लोगों में क्‍या भाव जागृत होगा।
क्‍या वर्तमान परिदृश्‍य में टैक्‍स की उपयोगिता पर सवाल उठाना उचित नहीं, क्‍या अपनी मेहनत से कमाए गए पैसों से टैक्‍स देने वाले लोगों को उनके टैक्‍स के पैसों के खर्च का हिसाब लेने का हक नहीं। इसमें पारदर्शिता की जरूरत है। अब हमें दुबारा नए सिरे से सोचना होगा कि सरकारी सिस्‍टम के फेल होने के कारण ही यदि एक वार्षिक बजट जितने का पैसा यदि ए राजा, कलमाडी और मधु कोडा जैसे दो चार लोग ही हडप जाते हैं तो फिर आयकर अर्थात इनकम टैक्‍स से हमें मुक्ति क्‍यों नहीं। हम क्‍यों पीसे जा रहे हैं गरीबों आम जनता की भलाई के नाम पर। क्‍यों हमारी मेहनत के, पसीने के कमाई पर सेंधमारी की जा रही है टैक्‍स के नाम पर। यह सब कुछ बंद होना चाहिए। सरकारी तंत्र को अब हर हाल में सोचना चाहिए कि क्‍या हमसे टैक्‍स लेकर यूं ही हमें बेवकूफ बनाया जाता रहेगा।

भ्रष्‍टाचारियों पर अंकुश की नाकाम कोशिश

पिछले कई दिनों से भ्रष्‍टाचार के अनगिनत मामले प्रकाश में आए। कुछेक मामले में कार्रवाई भी कई गई मगर सवाल यही उठता है कि किसी भी प्रकार के भ्रष्‍टाचार के मामले में कार्रवाई निचले स्‍तर तक ही जाकर सिमट जाती हैा कभी भी भ्रष्‍टाचार के मामले में पूरे दल को अर्थात नीचे से लेकर उपर तक के लोगो को घसीटा नहीं जाता हैा भ्रष्‍टाचार कभी भी किसी एक स्‍तर पर नहीं हो सकता। यह नीचे के कार्मिकों से आंरभ होकर उपर के आला अधिकारियों तक जाकर समाप्‍त होता हैा किसी भी प्रकार का भ्रष्‍टाचार तभी संभव है जब नीचे से लेकर उपर तक के अधिकारी व कार्मिक मिल जुलकर इसे अंजाम न पहुंचाए। अधिकतर मामले में यही देखा गया कि भ्रष्‍टाचार का मामला प्रकाश में क्‍या आया सिर्फ नीचे के स्‍तर के कार्मिकों पर कार्रवाई की गयी और उपर के अधिकारी जो मुख्‍य रूप से भ्रष्‍टाचार से जुडे रहते है उनका नाम तक प्रकाश में नहीं आया। एक दो मामले को यदि छोड दिया जाए जो कि रक्षा से संबंधित हैं बाकी सभी मामले इसी तरह के हैं। चाहे ए राजा प्रकरण हो, मधु कोडा प्रकरण हो या फिर कलमाडी प्रकरण, मुझे यही लगता है ऐ सारे के सारे तो सिर्फ मोहरे मात्र हैं, इनके पीछे इनसे जुडे लोग तो आज भी प्रकाश में नहीं आ पाए हैं।
साधारण से साधारण मामले में भी यही होता आया हैा अभी पिछले कुछ महीनों से ट्राफिक पुलिस से संबंधित लोकल न्‍यूज पेपरों में आए दिन भ्रष्‍टाचार के मामले प्रकाश में आ रहे हैं और यहां भी वही हो रहा हैा महज उन लोगों पर ही नाम मात्र कार्रवाई की जा रही है जिनसे संबंधित मामले प्रकाश में आ रहे हैं। मगर सवाल यही उठता है कि क्‍या ट्राफिक पुलिस में कार्यरत कार्मिकों के द्वारा बिना अपने उच्‍च अधिकारियों की जानकारी के यह सब कुछ अंजाम दिया जा रहा है, यदि ऐसा है तो भी उच्‍च अधिकारियों के लिए ऐ शर्म की बात है। मुझे तो बिलकुल भी ऐसा नहीं लगता कि बिना आला अधिकारियेां के मिलीभगत के कोई ट्राफिक पुलिस में काम करने वाला नीचे स्‍तर का कार्मिक दिन दहाडे रोजना वसूली का कार्य करने में मशगूल रहेगा। यहां सिर्फ नीचे स्‍तर के वैसे कार्मिकों पर कार्रवाई की जा रही है जिनके मामले अखबारों में प्रकाशित हो रहे हैं जबकि इनके द्वारा भ्रष्‍टाचार को अंजाम दिलाए जाने वाले अधिकारी साफ बचते फिर रहे हैं। क्‍या इससे भ्रष्‍टाचार पर अंकुश संभव है, क्‍या यह कार्रवाई आम जनता की आंख में धूल झोंकने का प्रयास भर नहीं हैा
आज समूचा हिन्‍दुस्‍तान भ्रष्‍टाचारियों के कारनामे से चर्चित हैा हम हर ओर घिरे पडे हैं इन भ्रष्‍टाचारियों के जमात से और सरकार, प्रशासन अपनी आंख बंद किए हुए हैा मामले प्रकाश में लाने की जिम्‍मेदारी लगती है सिर्फ न्‍यूज चैनलों और अखबारों पर छोड दिए गए हैं।

मंगलवार, 22 फ़रवरी 2011

कसाब की फांसी पर चर्चा

पिछले दिनों हार्इ कोर्ट ने अजमल कसाब की फांसी पर अपना फैसला देते हुए उसकी फांसी की सजा को बरकरार रखा। उसी रात आईबीएन 7 के न्‍यूज नेटवर्क पर अजमल कसाब को अधूरा इंसाफ शीर्षक चर्चा प्रसारित की गई और उस चर्चा के दौरान दोनों वकीलों के साक्षात्‍कार प्रसारित किए गए और फिर लम्‍बी बहस की गई कि क्‍या सही हुआ क्‍या गलत हुआ।
ऐ हिन्‍दुस्‍तान है जनाब और यहां की धरती पर आकर यहां के वाशिंदे को कत्‍लेआम कर देने वालों के साथ भी हमारे अपने मुल्‍क में कई रहनुमां हैं इसके साथ हमारे देश का कानून भी है जो पूरी सत्‍यनिष्‍ठा के साथ मेहमान की तरह रखते हुए फ्री में वकील सुविधा देकर केस को लडने का मौका देता हैा
कसाब की बात तो दूर की है हमारे संसद पर हमला करने वाले मुख्‍य आरोपी अफजल गुरु जिसको फांसी की सजा सुप्रीम कोर्ट ने दे रखी है और जिस पर हमारे माननीया राष्‍टपति महोदया ने भी अपनी रहम की भीख देने से मना कर दी इसके बावजूद आज तक उसे सरकारी मेहमान बना कर रखा गया है सारे सुख सुविधाओं को देकर और तो और अभी हाल ही में ये भी प्रयास किया जा रहा है कि उसे जम्‍मू कश्‍मीर की जेल में स्‍थानांतरण कर दिया जाए ताकि उसकी बूढी मां उसे रोजाना देख सके। ऐ हद की इंतहा हैा
कहां हैं हम, हम से बेहतर तो अरबी देश है जहां महज चोरी करने पर पकडे जाने पर हाथ पैर काट दिया जाता है वो भी सरेआम। आज जबकि समूचे विश्‍व में आतंकवाद अपना पैर पसार चुका है इस परिद़श्‍य में जरूरत है सख्‍त कानून बनाने की न कोई कोर्ट न कोई ट्रायल सिर्फ सजा और भी सख्‍त से सख्‍त ताकि इससे दूसरो को सबक मिल सके।

गुरुवार, 17 फ़रवरी 2011

स्विस बैंक में जमा काला धन

पिछले कई महीनों से कभी बाबा रामदेव जी तो कभी बीजेपी और उनकी सहयोगी पार्टियों द्वारा विदेशों खासकर स्विस बैंक में जमा भारतीयों के काले धन को वापस हमारे देश में लाने की बातें की जा रही हैा कहा यह जा रहा है कि यदि विदेशों में जमा काले धन को भारत लाने में सफलता मिल गई तो भारत की अर्थव्‍यवस्‍था काफी मजबूत हो जाएगी, ऐ हो जाएगा, वो हो जाएगा। मैं एक बात जानना चाहता हॅूं कि क्‍या भारत में रुपये पैसों की कमी रही, क्‍या कभी किसी बजट में पिछले बजट की अपेक्षा कम बिल पर सहमति बनी। साल दर साल बजट राशि में तो बढोत्‍तरी होती ही जा रही है। और तो और कई ऐसे रास्‍ते भी तलाशते जाते हैं जिनसे नेताओं की झोली भरी जा सके। गरीबों के लिए जितने भी योजना संचालित हैं उनमें से सभी योजनाओं का बंदरबाट इस हद तक जारी है कि वास्‍तविक गरीब तक इसका फायदा 1 प्रतिशत तक भी नहीं पहुंच पाता हैा इस देश को भ्रष्‍टाचार की घून लग चुकी है, नीचे से लेकर उपर तक के लोग इसमें जकड चुके हैं। पहले की बात और थी जब भ्रष्‍टाचार में नाम शामिल होने का मतलब होता था राजनीतिक मौत मगर अब न जाने क्‍या हो गया है वे बिंदास अंदाज में सरकारी तंत्र में शामिल रह रहे हैं और उनके बीबी बच्‍चे कहीं सांसद तो कहीं राज्‍यसभा के सदस्‍य बनाए जा रहे हैं। चाहे कोडा प्रकरण हो या फिर कलमाडी या अभी हाल ही के राजा प्रकरण मुझे लगता है सिर्फ इन तीनों ने ही मिलकर हिन्‍दुस्‍तान के इतने बडे भ्रष्‍टाचार को अंजाम दिया जिससे शायद इस देश के सारे के सारे गरीबों की गरीबी दूर हो सकती थी। आज की परिस्थिति में मैं बाबा रामदेव महाराज जी के इस आग्रह को कि विदेशों में जमा काले धन को भारत वापस लाया जाए का बिलकुल भी समर्थन नहीं करता क्‍योंकि जब तक इस देश में लालू यादव, जार्ज फर्नाडीस, मधु कोडा, सुरेश कलमाडी, ए राजा जैसे नेता रहेंगे इस देश में कितने भी पैसे मंगाए जाए देश कंगाली की ओर ही बढता जाएगा। निक्‍कमाओं की फौजें बढती जा रही है दिन प्रतिदिन। बाबा रामदेव जी से मेरा यही सवाल है कि जब हम अपने पैसों की हिफाजत नहीं कर पा रहे और भ्रष्‍टाचारी लोग इस पैसों को अपनी बपौती बनाए फिर रहे हैं तो फिर क्‍या गारंटी है कि विदेशों में जमा किए गए काले धन को भारत वापस लाने पर उन पैसों का सदुपयोग ही किया जाएगा।
इसलिए जब तक इन जैसे भ्रष्‍टाचारियों पर सख्‍ती से कार्रवाई करते हुए इनके पूरे जायदाद को सरकारी सम्‍पत्ति घोषित नहीं किया जाए और इनके पूरे परिवार को राजनीति से बेदखल न कर दिया जाए त‍ब तक इस मसले को छेडना उचित जान नहीं पडता।