पिछले कई महीनों से कभी बाबा रामदेव जी तो कभी बीजेपी और उनकी सहयोगी पार्टियों द्वारा विदेशों खासकर स्विस बैंक में जमा भारतीयों के काले धन को वापस हमारे देश में लाने की बातें की जा रही हैा कहा यह जा रहा है कि यदि विदेशों में जमा काले धन को भारत लाने में सफलता मिल गई तो भारत की अर्थव्यवस्था काफी मजबूत हो जाएगी, ऐ हो जाएगा, वो हो जाएगा। मैं एक बात जानना चाहता हॅूं कि क्या भारत में रुपये पैसों की कमी रही, क्या कभी किसी बजट में पिछले बजट की अपेक्षा कम बिल पर सहमति बनी। साल दर साल बजट राशि में तो बढोत्तरी होती ही जा रही है। और तो और कई ऐसे रास्ते भी तलाशते जाते हैं जिनसे नेताओं की झोली भरी जा सके। गरीबों के लिए जितने भी योजना संचालित हैं उनमें से सभी योजनाओं का बंदरबाट इस हद तक जारी है कि वास्तविक गरीब तक इसका फायदा 1 प्रतिशत तक भी नहीं पहुंच पाता हैा इस देश को भ्रष्टाचार की घून लग चुकी है, नीचे से लेकर उपर तक के लोग इसमें जकड चुके हैं। पहले की बात और थी जब भ्रष्टाचार में नाम शामिल होने का मतलब होता था राजनीतिक मौत मगर अब न जाने क्या हो गया है वे बिंदास अंदाज में सरकारी तंत्र में शामिल रह रहे हैं और उनके बीबी बच्चे कहीं सांसद तो कहीं राज्यसभा के सदस्य बनाए जा रहे हैं। चाहे कोडा प्रकरण हो या फिर कलमाडी या अभी हाल ही के राजा प्रकरण मुझे लगता है सिर्फ इन तीनों ने ही मिलकर हिन्दुस्तान के इतने बडे भ्रष्टाचार को अंजाम दिया जिससे शायद इस देश के सारे के सारे गरीबों की गरीबी दूर हो सकती थी। आज की परिस्थिति में मैं बाबा रामदेव महाराज जी के इस आग्रह को कि विदेशों में जमा काले धन को भारत वापस लाया जाए का बिलकुल भी समर्थन नहीं करता क्योंकि जब तक इस देश में लालू यादव, जार्ज फर्नाडीस, मधु कोडा, सुरेश कलमाडी, ए राजा जैसे नेता रहेंगे इस देश में कितने भी पैसे मंगाए जाए देश कंगाली की ओर ही बढता जाएगा। निक्कमाओं की फौजें बढती जा रही है दिन प्रतिदिन। बाबा रामदेव जी से मेरा यही सवाल है कि जब हम अपने पैसों की हिफाजत नहीं कर पा रहे और भ्रष्टाचारी लोग इस पैसों को अपनी बपौती बनाए फिर रहे हैं तो फिर क्या गारंटी है कि विदेशों में जमा किए गए काले धन को भारत वापस लाने पर उन पैसों का सदुपयोग ही किया जाएगा।
इसलिए जब तक इन जैसे भ्रष्टाचारियों पर सख्ती से कार्रवाई करते हुए इनके पूरे जायदाद को सरकारी सम्पत्ति घोषित नहीं किया जाए और इनके पूरे परिवार को राजनीति से बेदखल न कर दिया जाए तब तक इस मसले को छेडना उचित जान नहीं पडता।
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