पिछले कई दिनों से भ्रष्टाचार के अनगिनत मामले प्रकाश में आए। कुछेक मामले में कार्रवाई भी कई गई मगर सवाल यही उठता है कि किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार के मामले में कार्रवाई निचले स्तर तक ही जाकर सिमट जाती हैा कभी भी भ्रष्टाचार के मामले में पूरे दल को अर्थात नीचे से लेकर उपर तक के लोगो को घसीटा नहीं जाता हैा भ्रष्टाचार कभी भी किसी एक स्तर पर नहीं हो सकता। यह नीचे के कार्मिकों से आंरभ होकर उपर के आला अधिकारियों तक जाकर समाप्त होता हैा किसी भी प्रकार का भ्रष्टाचार तभी संभव है जब नीचे से लेकर उपर तक के अधिकारी व कार्मिक मिल जुलकर इसे अंजाम न पहुंचाए। अधिकतर मामले में यही देखा गया कि भ्रष्टाचार का मामला प्रकाश में क्या आया सिर्फ नीचे के स्तर के कार्मिकों पर कार्रवाई की गयी और उपर के अधिकारी जो मुख्य रूप से भ्रष्टाचार से जुडे रहते है उनका नाम तक प्रकाश में नहीं आया। एक दो मामले को यदि छोड दिया जाए जो कि रक्षा से संबंधित हैं बाकी सभी मामले इसी तरह के हैं। चाहे ए राजा प्रकरण हो, मधु कोडा प्रकरण हो या फिर कलमाडी प्रकरण, मुझे यही लगता है ऐ सारे के सारे तो सिर्फ मोहरे मात्र हैं, इनके पीछे इनसे जुडे लोग तो आज भी प्रकाश में नहीं आ पाए हैं।
साधारण से साधारण मामले में भी यही होता आया हैा अभी पिछले कुछ महीनों से ट्राफिक पुलिस से संबंधित लोकल न्यूज पेपरों में आए दिन भ्रष्टाचार के मामले प्रकाश में आ रहे हैं और यहां भी वही हो रहा हैा महज उन लोगों पर ही नाम मात्र कार्रवाई की जा रही है जिनसे संबंधित मामले प्रकाश में आ रहे हैं। मगर सवाल यही उठता है कि क्या ट्राफिक पुलिस में कार्यरत कार्मिकों के द्वारा बिना अपने उच्च अधिकारियों की जानकारी के यह सब कुछ अंजाम दिया जा रहा है, यदि ऐसा है तो भी उच्च अधिकारियों के लिए ऐ शर्म की बात है। मुझे तो बिलकुल भी ऐसा नहीं लगता कि बिना आला अधिकारियेां के मिलीभगत के कोई ट्राफिक पुलिस में काम करने वाला नीचे स्तर का कार्मिक दिन दहाडे रोजना वसूली का कार्य करने में मशगूल रहेगा। यहां सिर्फ नीचे स्तर के वैसे कार्मिकों पर कार्रवाई की जा रही है जिनके मामले अखबारों में प्रकाशित हो रहे हैं जबकि इनके द्वारा भ्रष्टाचार को अंजाम दिलाए जाने वाले अधिकारी साफ बचते फिर रहे हैं। क्या इससे भ्रष्टाचार पर अंकुश संभव है, क्या यह कार्रवाई आम जनता की आंख में धूल झोंकने का प्रयास भर नहीं हैा
आज समूचा हिन्दुस्तान भ्रष्टाचारियों के कारनामे से चर्चित हैा हम हर ओर घिरे पडे हैं इन भ्रष्टाचारियों के जमात से और सरकार, प्रशासन अपनी आंख बंद किए हुए हैा मामले प्रकाश में लाने की जिम्मेदारी लगती है सिर्फ न्यूज चैनलों और अखबारों पर छोड दिए गए हैं।
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