सिर्फ और सिर्फ सत्ता सुख को पाने की लालसा ने अखंड हिंदुस्तान को टुकड़ों में बांटकर पाकिस्तान और बांग्लादेश बना दिया और फिर उसके बाद शुरू हुए राजनीति की बिसात जिस पर बैठकर राजनेताओं ने इस टूटे फूटे हिन्दुस्तान को कभी संप्रदाय के नाम पर तो कभी जाति के नाम पर तो कभी भाषा के नाम पर तोडना शुरू कर दिया, सिर्फ और सिर्फ अपनी अपनी राजनीति की रोटी को सकने के लिए। हम कभी हिन्दू मुस्लिम के नाम पर तोड़े गए कभी हम ऊँची और नीची जातियों के नाम पर तोड़े गए और हद तो तब हो गयी जब भाषा के नाम पर हम तोड़े गए। हम हिंदुस्तान के नागरिक जाएँ तो कहाँ जाएँ। धर्म की diwaren बनाते बनाते हमने जाति की दीवार बना डाली। आज फिर से एक बार हम टूटने जा रहें हैं मगर इस बार धर्म और jati नहीं बल्कि लिंग है। तोड़ने की हर गुंजाईश को हमने पूरी कर दी है महिला आरक्षण बिल भी तो इसी का नमूना है। इस बार हमें लिंग के रूप में विभाजित किया जा रहा है और हम सभी इस विभाजन का हिस्सा बनाने जा रहें हैं। पता नहीं ये राजनीति इस देश को अंततः कहाँ ले जाकर दम लेगी।
Shadab Shafi, Doctor, Tata Main Hospital, Jamshedpur की करतूत पिछले दिनों 31 मई, 2014 को संध्या 6 बजे के करीब मैं टीएमएच में भर्ती हुआ था। मुझे उस वक्त ठंड लगकर बुखार की शिकायत थी। मैं टीएमएच के 3ए वार्ड के बेड नं. 15 में एडमिट हुआ था। मेरा बेड दो बेडों के बीच में था, मेरे बेड के बाएं साइड बेड नं. 14 पर एक लगभग 65 वर्ष का बूढा मरीज एडमिट था जिसे शायद अस्थमा की शिकायत थी। दिनांक 1 जून, 2014 दिन रविवार की बात है उस समय संध्या के लगभग 7 बज रहे होंगे। बेड सं. 14 के बूढे मरीज की तबीयत अचानक ही खराब हो गयी, वह बहुत ही जोर जोर से खांस रहा था तथा उसकी सांस तेजी से फूल रही थी। मेरे ख्याल से उसे अस्थमा का अटैक आया था। उस वक्त मुझसे मिलने मेरे एनएमएल में मेरे साथ काम करने वाले श्री केजी साइमन भी आए हुए थे। मैं उनसे बात कर रहा था तथा बीच बीच में उस बूढे मरीज की तेज कराहती आवाज बरबस हम दोनों का ध्यान उस ओर खींच रही थी तभी श्री साइमन ने मुझसे बिना चीनी की चाय लाने की बात कही और वार्ड से बाहर की ओर निकल गऐ। बगल के बेड संख्या् 14 पर अफरा तफरी का महौल बना हुआ था। उस वक्त उस मरीज
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