सोमवार, 8 मार्च 2010

और मत तोड़ो इस देश को !

सिर्फ और सिर्फ सत्ता सुख को पाने की लालसा ने अखंड हिंदुस्तान को टुकड़ों में बांटकर पाकिस्तान और बांग्लादेश बना दिया और फिर उसके बाद शुरू हुए राजनीति की बिसात जिस पर बैठकर राजनेताओं ने इस टूटे फूटे हिन्दुस्तान को कभी संप्रदाय के नाम पर तो कभी जाति के नाम पर तो कभी भाषा के नाम पर तोडना शुरू कर दिया, सिर्फ और सिर्फ अपनी अपनी राजनीति की रोटी को सकने के लिए। हम कभी हिन्दू मुस्लिम के नाम पर तोड़े गए कभी हम ऊँची और नीची जातियों के नाम पर तोड़े गए और हद तो तब हो गयी जब भाषा के नाम पर हम तोड़े गए। हम हिंदुस्तान के नागरिक जाएँ तो कहाँ जाएँ। धर्म की diwaren बनाते बनाते हमने जाति की दीवार बना डाली। आज फिर से एक बार हम टूटने जा रहें हैं मगर इस बार धर्म और jati नहीं बल्कि लिंग है। तोड़ने की हर गुंजाईश को हमने पूरी कर दी है महिला आरक्षण बिल भी तो इसी का नमूना है। इस बार हमें लिंग के रूप में विभाजित किया जा रहा है और हम सभी इस विभाजन का हिस्सा बनाने जा रहें हैं। पता नहीं ये राजनीति इस देश को अंततः कहाँ ले जाकर दम लेगी।

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