मंगलवार, 1 मार्च 2016

धिक्कार है तूझपे

जिस माता ने तूझे जन्म दिया
उसकी गोद में बैठकर
दुश्मनों की जय जयकार करते हो
धिक्कार है तूझपे, धिक्कार है तूझपे
जिसकी छाती पर, गुजारा तूने अपना बचपन
उस माटी को कलंकित करते हो
धिक्कार है तूझपे, धिक्कार है तूझपे
देश की आस्था पर हमला करवाकर
जिसने आतंकवादियों का साथ दिया
उसको शहीद बताकर, शहीदों का अपमान करते हो
धिक्कार है तूझपे, धिक्कार है तूझपे
देश के भविष्य तुम, देश के तुम कर्णदार
ऐ कैसी अभिव्य्क्ति तेरी, जिससे समूचा देश हो शर्मसार
ऋषि-मुनियों की यह पवित्र भूमि
जिससे पूरा विश्व हुआ आलोकमय
उसी जमीं पर ऐसी, विकृत मानसिकता रखते हो
धिक्कार है तूझपे, धिक्कार है तूझपे
छात्र जीवन होता बडा संयमित
दार्शनिक-सा विचार होता
बाल-सुलभ सा व्यवहार होता
निश्छल-सा स्वभाव होता
छात्र नाम को लांछित करके
क्यों देशद्रोही साजिश रचते हो
धिक्कार है तूझपे, धिक्कार है तूझपे
सहिष्णु हैं सदभाव हैं,
हर धर्म के प्रति आदर भाव है
न जाने क्यों फिर कट्टरपंथी बनकर
गांधी की इस तपो‍भूमि को
हिंसात्मक नारों से उद्वेलित करते हो
धिक्कार है तूझपे, धिक्कार है तूझपे
................................................परमार्थ सुमन

बुधवार, 24 फ़रवरी 2016

Jawahar Lal University - aim

आज मैं जवाहर लाल नेहरु यूनिवर्सिटी के वेबसाइट के हिन्‍दी संस्‍करण के मुख्‍य पृष्‍ठhttp://www.jnu.ac.in/Hindi/ पर दिए गए कुछ अंश यहां प्रस्‍तुत कर रहा हूँ -
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"विश्‍वविद्यालय का उद्‍देश्य मानवता, सहनशीलता, तर्कशीलता, चिन्तन प्रक्रिया और सत्य की खोज की भावना को स्थापित करना होता है। इसका उद्‍देश्य मानव जाति को निरन्तर महत्तर लक्ष्य की ओर प्रेरित करना होता है। अगर विश्‍वविद्यालय अपना कर्तव्य ठीक से निभाएं तो यह देश और जनता के लिए अच्छा होगा।"

विश्‍वविद्यालय के उद्‍देश्य हैं : -
अध्ययन, अनुसंधान और अपने संगठित जीवन के उदाहरण और प्रभाव द्वारा ज्ञान का प्रसार तथा अभिवृद्धि करना। उन सिद्धान्तों के विकास के लिए प्रयास करना, जिनके लिए जवाहरलाल नेहरू ने जीवन-पर्यंत काम किया। जैसे - राष्‍ट्रीय एकता, सामाजिक न्याय, धर्म निरपेक्षता, जीवन की लोकतांत्रिक पद्धति, अन्तरराष्‍ट्रीय समझ और सामाजिक समस्याओं के प्रति वैज्ञानिक दॄष्‍टिकोण।
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मगर बेहद ही दुख के साथ कहना पड रहा है कि पिछले दिनों जे.एन.यू. के अंदर की देशद्रोह घटना की वीडियो कवरेज बाहर आने के बाद जब हमें यह पता चल रहा है कि यहां के न सिर्फ कुछ छात्र-छात्राएं देशद्रोही घटना में शामिल हैं बल्कि यहां के कुछ तथाकथित प्रोफेसर भी इसे अपना समर्थन दे रहे हैं, ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि जे.एन.यू. जब अपने उददेश्‍यों से इतना भटक चुका है तो क्‍यों न इस प्रकार के विश्‍वविदयालय को नेस्‍तनाबूद कर दिया जाए तथा अब समय की यही मांग है कि इसे पूरी तरह से सरकार के नियंत्रण में लेने की दिशा में आवश्‍यक कार्रवाई की जाए तथा देशद्रोहियों के प्रति सख्‍त से सख्‍त कार्रवाई की जाए।
यह बेहद ही शर्म की बात है कि देश की राजधानी जिसे देश का दिल भ्‍ाी कहा जाता है वहीं के एक प्रसिद्ध विश्‍वविदयालय में इस तरह की खुलेआम घटना होती हो और दिल्‍ली पुलिस तक को इसके कैम्‍पस में घुसने के लिए काफी जददोजहद करनी पडती है वहीं दूसरी तरह हम आतंकी का पीछा करते हुए दूसरे देश की सीमा में घुसकर उसे मारने तक का दावा करते हैं।
राजनीतिक विरासत के लिए देशद्रोही गतिविधियों के प्रति इस तरीके से नरमी बरतना भविष्‍य के लिए अच्‍छा संकेत बिलकुल भी नहीं हैा कम से कम इस मुददे पर राजनीतिक रोटी सेकने की बजाए देश की एकता और अखंडता को ध्‍यान में रखते हुए सारे राजनैतिक दलों के आकाओं को एकजुटता दिखानी चाहिए।

बुधवार, 17 फ़रवरी 2016

JNU men deshdroh sajish

जे.एन.यू जैसे विश्वविख्यात विश्वविदयालय में जो कुछ पिछले दिनों घटित हुआ वह घटनाक्रम वाकई सोचने को विवश करने वाला है। इसी विश्वविदयालय के कुछ छात्रों के समूह द्वारा पूरे देश को शर्मसार करने वाला वीडियो वायरल होने के बाद हम सभी यह सोचने को बाध्य हैं कि आखिरकार क्यों इनके द्वारा एक ऐसे आतंकी का महिमामंडन करते हुए न सिर्फ उसके लिए नारे लगाए गए बल्कि देशविरोधी नारे भी लगाए गए।

एक आतंकी के लिए इस तरह का प्रचार किया गया जैसे कि उसने देश की आजादी में अपने प्राण न्योछावर करते हुए शहादत पाई हो जबकि सच्चाई तो यही है कि देश के मंदिर कहे जाने वाले संसद पर आतंकवादी हमला करने में इस शख्‍स ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी। शिक्षा के मंदिर में अपना भविष्य संवारने के लिए आए कुछ छात्रों द्वारा जो इस तरह के अनैतिक कार्य किए गए इससे न सिर्फ हिन्दुस्तान में अपितु पूरे विश्वय में इस विश्वविदयालय की गरिमा तार-तार हुई है ।

पिछले दिनों सहिष्णुता के नाम पर पूरे हिन्दुस्तान में बवाल काटा गया जिसकी परिणिती में कई सारे जाने माने लोगों ने तो अपने-अपने अवार्ड तक सरकार को वापस किए तथा कईयों ने भारत सरकार पर कठोर कटाक्ष तक किए। आज जबकि हालात सामने हैं खुलेआम देश की राजधानी में न सिर्फ आतंकवादी को शहीद का दर्जा देते हुए उसके पक्ष में नारेबाजी करते हुए कितने अफजल मारोगे, हर घर से अफजल निकलेगा का नारा लगाया गया बल्कि 'पाकिस्तान जिंदाबाद, लडकर लेंगे आजादी, कश्मीर मांगे आजादी, भारत तेरे टुकडे होंगे, इंशाअल्लाह, इंशाअल्ला आदि । शिक्षा के मंदिर में इस तरह से खुलकर देशद्रोह का अपराध करते हुए जेएनयू के कई छात्रों का सरेआम अभिव्‍‍यक्ति की आजादी के नाम पर किया गया यह देशद्रोह जैसा अपराध किसी भी प्रकार से माफी के काबिल नही है। ऐसे छात्र किसी भी प्रकार से हमारे देश के भविष्‍य बिलकुल भी नहीं हो सकते।


मेरी जेएनयू विश्वसविदयालय के सभी बुदधजीवियों तथा देश के सभी राजनेताओं से नम्र अपील है कि वे सभी एक स्वर में देशद्रोहियों के प्रति किए जा रहे ठोस तथा सख्‍त कार्रवाई का समर्थन करें ताकि भविष्यि में हिन्दुतान की जमीन पर रहकर, यहीं का नमक खाकर कोई भी इस देश के प्रति गददारी, नमकहरामी करने से पहले सौ बार सोचे जिससे देश व देश के लोग संगठित तथा सुरक्षित रह सके।