We are all INDIAN before a Hindu, Muslim, Sikh aur Isai or a Bihari, Marathi, Bengali etc. Love to all human being........
मंगलवार, 25 मार्च 2014
आजीवन
तेरी यादों को दिल के मंदिर में
सजोने का इरादा जिंदा है
तूझको बांहों में भरकर
सीने से लगाने का इरादा जिंदा है
तेरी गोद में सर रखकर
जुल्फों तले खोने का इरादा जिंदा है
तेरी कातिल मुस्कुराहट पर
फिदा होने का इरादा जिंदा है ...
तेरी निगाहों की बेकरारी को
बरकरार रखने का इरादा जिंदा है
तू गैर की हो गयी तो क्या हुआ
आज भी पुनर्जन्म लेकर
तेरी मोहब्बत की तपिश में
एक बार फिर से जलने का इरादा जिंदा है
बुधवार, 5 मार्च 2014
इंतजार
दिल पूछता है खुद से
आखिर मोहब्बत हुई ही क्यों
एक संगदिल बेरहम से
उसके इंतजार में दिल
अक्सर तड़पता रहता है
हर शख्स में दिल उसकी ही
तस्वीर ढूंढता फिरता है
मेरे अरमानों का मगर
उसपर कुछ भी असर नहीं
दिल पूछता है खुद से
आखिर मोहब्बत हुई ही क्यों
एक संगदिल बेरहम से
बेजुबान दिल अक्सर ही
कराहता रहता है
अपने जख्मी दिल को
खुद ही संभालता फिरता है
मेरे जज़्बातों का मगर
उसे कुछ भी कद्र नहीं
दिल पूछता है खुद से
आखिर मोहब्बत हुई ही क्यों
एक संगदिल बेरहम से
मेरे दिल के मंदिर में
नित नए फूल खिलते रहते हैं
हकीकत मे न सही
ख्वाबों में हम मिलते रहते हैं
मेरी हसरतों का मगर
उसे कोई फिक्र नहीं
दिल पूछता है खुद से
आखिर मोहब्बत हुई ही क्यों
एक संगदिल बेरहम से
आखिर मोहब्बत हुई ही क्यों
एक संगदिल बेरहम से
उसके इंतजार में दिल
अक्सर तड़पता रहता है
हर शख्स में दिल उसकी ही
तस्वीर ढूंढता फिरता है
मेरे अरमानों का मगर
उसपर कुछ भी असर नहीं
दिल पूछता है खुद से
आखिर मोहब्बत हुई ही क्यों
एक संगदिल बेरहम से
बेजुबान दिल अक्सर ही
कराहता रहता है
अपने जख्मी दिल को
खुद ही संभालता फिरता है
मेरे जज़्बातों का मगर
उसे कुछ भी कद्र नहीं
दिल पूछता है खुद से
आखिर मोहब्बत हुई ही क्यों
एक संगदिल बेरहम से
मेरे दिल के मंदिर में
नित नए फूल खिलते रहते हैं
हकीकत मे न सही
ख्वाबों में हम मिलते रहते हैं
मेरी हसरतों का मगर
उसे कोई फिक्र नहीं
दिल पूछता है खुद से
आखिर मोहब्बत हुई ही क्यों
एक संगदिल बेरहम से
एतबार
मेरी सच्ची मोहब्बत पर
तुझको क्यों एतबार नहीं
मेरे कसमें वादों पर
तुझको क्यों एतबार नहीं
मेरी सच्ची मोहब्बत पर
तुझको क्यों एतबार नहीं ।। 1 ।।
हम ढूंढते फिरते हैं खुशियाँ
तेरी ज़ुल्फों की छांव में
मेरे अरमानों का घरौंदा तोडने वाले
तुझसे क्यों मैं नाराज नहीं
मेरी सच्ची मोहब्बत पर
तुझको क्यों एतबार नहीं ।। 2 ।।
नादान सी चाहत में
तलाश रहा हूँ अनाम रिश्ते
जीवन की इस आपाधापी में
तू क्यों मेरी हमराज नहीं
मेरी सच्ची मोहब्बत पर
तुझको क्यों एतबार नहीं ।। 3 ।।
तेरी झील सी निगाहों में
बिखरे पडे हैं ख़्वाब सारे
मेरी सांसों में समानेवाली
तुझको क्यों मुझसे प्यार नहीं
मेरी सच्ची मोहब्बत पर
तुझको क्यों एतबार नहीं ।। 4 ।।
तेरा साथ
तड़पता हूँ, सिसकता हूँ
तेरी मोहब्बत में बहकता हूँ
तूझसे नाराज होकर भी
तेरी यादों को ही साथ लिए चलता हूँ
तड़पता हूँ, सिसकता हूँ
तेरी मोहब्बत में बहकता हूँ
तेरी नादानियों से रूसवा होकर भी
तेरे दर पर ही आकर ठहरता हूँ
तड़पता हूँ, सिसकता हूँ
तेरी मोहब्बत में बहकता हूँ
तेरी गलतफहमियों से परेशान होकर भी
तेरे आगोश में ही सर अपना छुपाता हूँ
तड़पता हूँ, सिसकता हूँ
तेरी मोहब्बत में बहकता हूँ
तेरी मोहब्बत में बहकता हूँ
तूझसे नाराज होकर भी
तेरी यादों को ही साथ लिए चलता हूँ
तड़पता हूँ, सिसकता हूँ
तेरी मोहब्बत में बहकता हूँ
तेरी नादानियों से रूसवा होकर भी
तेरे दर पर ही आकर ठहरता हूँ
तड़पता हूँ, सिसकता हूँ
तेरी मोहब्बत में बहकता हूँ
तेरी गलतफहमियों से परेशान होकर भी
तेरे आगोश में ही सर अपना छुपाता हूँ
तड़पता हूँ, सिसकता हूँ
तेरी मोहब्बत में बहकता हूँ
सदस्यता लें
संदेश (Atom)