सोमवार, 18 जुलाई 2011

उम्‍मीद

गम की आंधी में उम्‍मीदों का
चिराग जलने दो आज
जिस बेइंतहा मोहब्‍बत में
हो चुका ये दिल बर्बाद
उस मासूम नजर पर
एतबार करने दो आज
गम की आंधी में उम्‍मीदों का
चिराग जलने दो आज

नजरें फेर कर हमसे
जो तडपता छोड गई थी
उस कातिल जिगर का
इंतजार करने दो आज
गम की आंधी में उम्‍मीदों का
चिराग जलने दो आज

जिसको पाने की आरजू में
छूटती गई जीवन की डोर
उस संगदिल मुस्‍कुराहट का
दीदार करने दो आज
गम की आंधी में उम्‍मीदों का
चिराग जलने दो आज

दम घुंटता जा रहा
इस बेदर्द जहां की वादियों में
फिर से एकबार अपनी मोहब्‍बत का
इकरार करने दो आज
गम की आंधी में उम्‍मीदों का
चिराग जलने दो आज

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