सोमवार, 6 जुलाई 2015

Jharkhand Government : Tribal Areas/Scheduled Areas Allowance

भारत के राजपत्र में प्रकाशित, विधि व न्‍याय मंत्रालय, भारत सरकार के 11 अप्रैल, 2007 के आदेश के तहत झारखण्‍ड राज्‍य के कुछ जिलों जिसमें 1. रांची जिला, 2. लोहदगा जिला, 3. गुमला जिला, 4. सिमडेगा जिला, 5. लातेहार जिला, 6. पूर्वी सिंहभूम जिला, 7. पश्‍चिमी सिंहभूम जिला, 8. सरायकेला-खरसावां जिला, 9. साहेबगंज जिला, 10. दुमका जिला, 11. पाकुर जिला, 12. जामतारा जिला, 13. पलामू जिला -सतबरवा ब्‍लॉक की राबदा और बकोरिया पंचायतें, 14. गढवा जिला-भंडारिया ब्‍लॉक, 15. गोडडा जिला-सुंदर पहाडी और बौरीजोर ब्‍लॉक को अनुसूचित क्षेत्र घोषित किया गया है। 


भारत सरकार के वित्‍त मंत्रालय के OM No.19(4)-E.IV(B)/70-Vol.II, dated 19.2.1972 जिसे OM No.17/1/98-E.II(B) dated 17.7.1998 तथा कार्यालय ज्ञापन संख्‍या 17(1)/2008-E.II(B) दिनांक 29 अगस्‍त, 2008 के तहत देय घोषित किए गए अनुसूचित क्षेत्र में कार्य करने वाले राज्‍य सरकार तथा केंद्र सरकार के कार्मिकों को अनुसूचित क्षेत्र भत्‍ता मिलने का प्रावधाना किया गया हैा 

भारत सरकार के 11 अप्रैल, 2007 के भारत के राजपत्र में प्रकाशन के बावजूद आज की तिथि तक झारखण्‍ड राज्‍य के कार्मिकों को देय अनुसूचित क्षेत्र भत्‍ता का लाभ नहीं मिल पाया है। इस दिशा में संबंधित अधिकारियों/प्रशासन के मातहतों को पहल करने की जरूरत है ताकि कार्मिकों को देय उनका हक मिल सके। 

विगत दिनों 4 जुलाई, 2015 के दैनिक भाष्‍कर के जमशेदपुर अंक के समाचार पत्र से मिली जानकारी के अनुसार हालांकि रेलवे ने झारखण्‍ड के उपरोक्‍त 15 जिलों में तैनात अपने कार्मिकों को अनुसूचित क्षेत्र भत्‍ता प्रदान करने की मंजूरी दे दी है। अब देखना है आखिर झारखण्‍ड सरकार के सरकारी कार्मिकों को आखिर कब तक उनका हक मिल पाता है। 







बुधवार, 29 अप्रैल 2015

मैं और मेरा अहंकार

बीते 30 मार्च, 2015 को अंतत: मैंने अपनी माँ को हमेशा-हमेशा के लिए खो दिया।  वह चली गई, इस दुनिया को छोडकर हमेशा के लिए और अपने पीछे छोड गई मेरे लिए कई सवाल जिसके जवाब मैं खुद से पिछले कई दिनों से करता फिर रहा हूं। 

इन बीते 31 दिनों के खुद से सवाल-जवाब का निष्‍कर्ष यही है कि मेरे अंदर के अहंकार ने मुझसे मेरी मां को कम से कम 15 साल पहले जुदा कर दिया। मैंने अपने अहंकार की वजह से अपनी उस मां को हमेशा-हमेशा के लिए खो दिया, जो दुनिया में सबसे ज्‍यादा मुझे मानती थी, सबसे ज्‍यादा मुझसे प्‍यार करती थी। 

खुद को सही मानकर सिर्फ और सिर्फ अहंकार की वजह से ही नहीं झुकने की सजा मुझे इतनी बडी मिली है, इसका एहसास आज जाकर मुझे हो रहा है। मैं आज बीच में दूसरों की बात बिलकुल भी नहीं करना चाहता, आज सिर्फ और सिर्फ मैं और मेरी मां के बीच की बात हो रही है, कोई बीच में नहीं, बिलकुल भी नहीं। 

मैंने अपनी उस मां को अपने अहंकार/अहम/दंभ  की वजह से खो दिया है जो मेरे जीवन की सारी सफलताओं की जिम्‍मेदार थी। मेरा बचपन में स्‍कूल जाना, हाईस्‍कूल में पढाई जारी रखना, कम्‍प्‍यूटर सीखना आदि सारी सफलताओं में मां एक जिम्‍मेदार तथा महत्‍तवपूर्ण कारक थी जिसके बिना कुछ भी संभव नहीं था। मगर मैंने उसे अपने अहंकार की वजह से खो दिया। 

क्‍या कुछ नहीं मिला मुझे विरासत में, संस्‍कार, सेवा भाव, परोपकार की भावना मगर न जाने कैसे मेरे पास इस तरह का अहंकार कैसे घर कर गया इसकी सजा का मैं आजीवन हकदार हूं।