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जमशेदपुर का नया सवेरा

आज सुबह मैं काफी देर से उठा कारण शनिवार होने के कारण आज ऑफिस बंद थी। मेरी पत्नी हर दिन की तरह ही आज का अखबार लेकर आई, मैं हर दिन की तरह ये सोचकर कि फिर फ्रंट पेज पर कोई कत्ले आम या फिर किसी पर जानलेवा हमले की खबर छपी होगी। इसी अनिष्ट की आशंका से मैंने आज अखबार को लेकर फ्रंट पेज के बदले अन्दर के पृष्ठों को पढ़ना आरम्भ किया। तक़रीबन ३० ४० मिनट के बाद हिम्मत करके फ्रंट पेज को अपने नज़र के सामने किया तो मेरी नज़र बन्ना के "मिशन कचड़ा" से बवाल पर जाकर टिक गयी। हालाँकि नेताओं के समाचारों से मैं नज़र चुराता फिरता हूँ किन्तु इस समाचार का हेडिंग और इसमें दिए गए तस्वीर ने मुझे इसे पढने को बाध्य कराने दिया।
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इसे पढ़कर व्यक्तिगत रूप मुझे ये एहसास हुआ कि यदि नगरपालिका के कर्मचारी अपने अपने काम समय रहते करें तो जमशेदपुर में जो गंदगी का अम्बार जहाँ तहां फैला है वो नहीं रहेगा। आज जमशेदपुर में टिस्को एरिया को छोड़ दें तो जुगसलाई, मानगो आदि इलाको की स्थिति बदतर से बदतर है सिर्फ नगरपालिका के गैर जिमेदाराना रवैये के कारण। एक MLA का इस समस्या को दूर करने के प्रति समर्पित होना और खुद गन्दगी को उठाकर फेंकना जमशेदपुर के आने वाले नए सवेरा को प्रदर्शित करता है। बन्ना गुप्ता पहले से भी सामाजिक समस्याओं के प्रति अपनी कार्यशैली से आम जन में अपनी छाप छोड़ने में सफल हुए हैं लेकिन MLA होने के बाबजूद इस तरह की समस्याओं के प्रति जागरूक होकर कार्य करना वास्तव में एक प्रशंसनीय कदम है। लगभग एकाध महीने ही हुए हैं और बन्ना गुप्ता जिस तरह से सामाजिक समस्याओं के प्रति गंभीरता दिखा रहें हैं उससे तो येही लगता है कि वे दूसरे नेताओं की तरह नहीं जो वोट लेकर MLA या MP बनाने के बाद बदल जाएँ। जमशेदपुर से नितीश भरद्वाज जैसे कई MP और MLA हुए जिसे यहाँ की जनता ने कई उम्मीदों के साथ अपना वोट देकर जीताया लेकिन जीतने के बाद तो उनका दर्शन तक जमशेदपुर की जनता को नसीब तक नहीं हुआ।
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आज maango की जो स्थिति है वही जुगसलाई की भी है। पता नहीं नगरपालिका के अधिकारी अपनी आँख बंद किये क्यूं हैं। आज गाँधी जी के उपदेशों से समाज सुधार की कोई गुंजाईश नहीं है आज जरुरत है जैसे को तैसा की। जो एक MLA ने maango में किया आज की परिस्थिति में वोही ठीक और वाजिब है। अगर नगरपालिका के कर्मचारी इतने सारे जन आन्दोलन के बावजूद गन्दगी नहीं उठा रहे तो उस गंदगी को नगरपालिका के कार्यालय के सामने फेकना बिलकुल उचित है। उन्हें ये समझ में आने की जरुरत है की अब कामचोर बनकर काम नहीं चलेगा। कम से कम अपना काम तो करना ही पड़ेगा। अगर गुप्ता जी की राह पर एक दो और MLA और MP आ जाये जो वो दिन दूर नहीं जब जमशेदपुर के सारे इलाके साफ़ सुथरे रूप में दिखलाई देंगे।
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आज जमशेदपुर अनेक समस्याओं से घिरा पड़ा है, हर तरफ अपराधियों का बोलबाला है, जमशेदपुर के लोग हर वक़्त किसी आशंका से पीड़ित रहतें है, पता नहीं कब कहाँ कैसे कुछ हो जाए। पुलिस प्रशासन के ऊपर से विश्वास बिलकुल ही उठ चूका है। प्रशासन बिलकुल ही नाकाम हो चुकी है। सामान्य पुलिस से लेकर यातायात पुलिस हर किसी की कार्यप्रणाली चौपट हो चुकी है। उनमें उच्च अधिकारियों का भय बिलकुल ही समाप्त हो चूका है। हर कोई अपने तरीकों से चल रहा hai। ऐसे में एक MLA की इस तरह की कार्यप्रणाली जमशेदपुर में एक आने वाले एक स्वर्णिम काल को दर्शा रही है। हम आशा करतें हैं कि ना सिर्फ वे अपने क्षेत्र के समस्याओं के प्रति बल्कि पूरे जमशेदपुर की समस्याओं के प्रति इसी तरह से गंभीरता दिखाएँ। उनके इस तरह के प्रत्येक आन्दोलन में समस्त जमशेदपुर के लोगों का मानसिक और शारीरिक समर्थंक मिलता रहेगा।
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