सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

मुद्रास्फुर्ति और वास्तविक महंगाई

स्थानीय बाज़ारों में बदस्तूर बढ़ती हुई महंगाई ने आम लोगों के जीवन को नर्क सा बना दिया है। एक तरफ़ आंकडों की बाजीगरी में महंगाई की दर शुन्य से भी नीचेहै और दूसरी तरफ़ वास्तविक जीवन में महंगाई के मार से हर तरफ़ हर कोई परेशान सा है। महंगाई पर काबू करने की दिशा में कोई सार्थक प्रयत्न धरातल पर दिखाई नहीं दे रहा है। आलू से लेकर चीनी तक हर कुछ आम आदमी के पहुँच के बाहर है। ना तो जमाखोरों पर लगाम लगनी की दिशा में कोई सार्थक प्रयास ही हो रहा है और ना ही बाज़ार के इस ऊँचे दामों का फायदा किसानों को ही मिल रहा है। कभी बारिश की कमी तो कभी मुसलाधार बारिश के कहर से परेशां आम किसान तो हर बार धोखा ही खाता है। ऊँचे तबके वाले किसानों की बैंक लोन माफ़ कर दी जाती है मगर उन छोटे छोटे किसानों का क्या तो घर के पैसों से खेती बारी करतें हैं और उन्हें कोई सरकारी सहायता तक नसीब नहीं होती।

शहर में बिक रही सब्जियों के भाव मंडियों से दुगुने और कुछ ही दूरीपर स्थित गाँव से चौगुनी होती है। कोई देखेवाला नहीं, कोई इस पर लगाम लगानेवाला नही। हर चीज की कालाबाजारी की जा रही है। बाज़ार में सामानों की कमी दिखाकर सामानों को गोदामों में भरा जाताहै लेकिन कोई इसे देखनेवाला नहीं। कोई इसपर लगाम लगाने वाला नहीं।

छठे वेतन आयोग की अनुशंषा पर सरकारी कार्मिकों का तो वेतन बढाया गया है लेकिन पूरे हिंदुस्तान में केवल सरकारी कर्मचारी ही तो नहीं रहतें हैं। उन आम लोगों का क्या जिनपर वेतन आयोग का दखल है ही नहीं।

जब तक जमाखोरों पर सख्ती से कारवाई नही की जायगी, जब तक धर पकड़ अभियान चलाकर अवैध गोदामों को सीलकरने की कारवाई नही की जायेगी और उन तमाम लोगों को चिन्हित कर उन पर सख्त कारवाई नहीं की जायेगी तब तक महंगाई की मार से आम आदमी मरता कराहता ही रहेगा।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

Shadab Shafi, Doctor, Tata Main Hospital, Jamshedpur

Shadab Shafi, Doctor, Tata Main Hospital, Jamshedpur की करतूत   पिछले दिनों 31 मई, 2014 को संध्या 6 बजे के करीब मैं टीएमएच में भर्ती हुआ था। मुझे उस वक्त ठंड लगकर बुखार की शिकायत थी। मैं टीएमएच के 3ए वार्ड के बेड नं. 15 में एडमिट हुआ था। मेरा बेड दो बेडों के बीच में था, मेरे बेड के बाएं साइड बेड नं. 14 पर एक लगभग 65 वर्ष का बूढा मरीज एडमिट था जिसे शायद अस्थमा की शिकायत थी।   दिनांक 1 जून, 2014 दिन रविवार की बात है उस समय संध्या के लगभग 7 बज रहे होंगे। बेड सं. 14 के बूढे मरीज की तबीयत अचानक ही खराब हो गयी, वह बहुत ही जोर जोर से खांस रहा था तथा उसकी सांस तेजी से फूल रही थी। मेरे ख्याल से उसे अस्थमा का अटैक आया था। उस वक्त मुझसे मिलने मेरे एनएमएल में मेरे साथ काम करने वाले श्री केजी साइमन भी आए हुए थे। मैं उनसे बात कर रहा था तथा बीच बीच में उस बूढे मरीज की तेज कराहती आवाज बरबस हम दोनों का ध्यान उस ओर खींच रही थी तभी श्री साइमन ने मुझसे बिना चीनी की चाय लाने की बात कही और वार्ड से बाहर की ओर निकल गऐ।   बगल के बेड संख्या् 14 पर अफरा तफरी का महौल बना हुआ था। उस वक्त उस मरीज

इश्वर, आत्मा और कुछ अनसुलझे रहस्य !

आत्मा, ना जन्म लेती है, ना ही मरती है, और ना ही उसे जलाकर नष्ट किया जा सकता है। ये वो सारी बातें हैं, जो हम गीता स्मरण के कारण जानते और मानतें हैं। हम हिन्दुस्तानी हैं, हम लिखी बातोंपर जल्द ही यकीं कर लेतें हैं और फ़िर हमारे वंशज उसी को मानते चले जातें हैं। हम हिन्दुस्तानी हैं, विश्वास करना हमारे रगों में है, किसी ने कुछ लिख दिया, किसी ने कुछ कह दिया बस हमने उसपर बिना कोई सवाल किए विश्वास कर लिया। हम रामायण से लेकर महाभारत तक तो सिर्फ़ मानकर विश्वास करते ही तो आ रहें हैं। हम शिव से लेकर रावण तक सिर्फ़ विश्वास के बल पर ही तो टिके हुए हैं। हमें हमारे माता-पिता ने बतलाया कि ब्रम्हा, बिष्णु, शिव, राम, हनुमान, गणेश, विश्वकर्मा, काली, दुर्गा आदि हमारे भाग्य विधाता हैं और हमने हिन्दुस्तानी का धर्म निभाते हुए ये मान लिए कि वे इश्वर हैं, हमारे भाग्य विधाता हैं। जब कोई विपत्ति कि बेला आई हमने उनका ध्यान करना आरम्भ कर दिया। बिना कोई सवाल किए हमने उनको इश्वर मानना आरम्भ कर दिया और फिर येही परम्परा बन स्थापित हो गई। ये ही दुहराव फिर हम भी अपने-अपने संतानों के साथ करेंगे, जो हमारे साथ किया गया। हमारे

जमशेदपुर में ट्रैफिक की समस्या

जमशेदपुर आज ट्रैफिक समस्याओं से बुरी तरस से ग्रसित है। मगर ना जाने क्यूंकिसी को इसकी परवाह नहीं है। चाहे बिस्टुपुर हो या स्टेशन एरिया या फिर साक्ची हो अथवा शहर के दुसरे इलाके हों सभी ट्रैफिक समस्यायों से बुरी तरह से ग्रसित हैं। बिष्टुपुर एरिया के मेनरोड को देखकर तो ऐसा लगता है की ये कोई मुख्यसड़क नही होकर कोई पार्किंग एरिया है। पता नहीं कैसे लोग खुले तौरपर अपने दो पहिये और चार पहिये वाहन को निर्भीक होकर मुख्य सड़क पर पार्क कर रोजमर्रा के कार्य करने में लीनहो जातें हैं। कोई देखने वाला नहीं की वाहन मुख्य सड़क पर पार्क कर दी गयी है। और तो और मुख्य सड़क पर पार्क कराकर पार्किंग टैक्स की वसूली भी की जाती है। आज की तिथि में बिष्टुपुर एरिया के मुख्य सड़क का आधा भाग तो वाहनों के ही पार्किंग से भरा परा रहता है। समूचा बिस्टुपुर एरिया देखने से ही किसी पार्किंग स्थल सा प्रतीत होता है। कोई देखने वाला नहीं, कोई एक्शन लेने वाला नही। कुछ इसी तरह के हालात साक्ची एरिया के भी हैं। जहाँ तहां खोमचे वाले, ठेले वाले, टेम्पू वाले अपने अपने मनमुताबिकजगह पर तैनात हैं। किसी को किसी की परवाह ही नहीं है। किसी को किसी का