- बिष्टुपुर एरिया के मेनरोड को देखकर तो ऐसा लगता है की ये कोई मुख्यसड़क नही होकर कोई पार्किंग एरिया है। पता नहीं कैसे लोग खुले तौरपर अपने दो पहिये और चार पहिये वाहन को निर्भीक होकर मुख्य सड़क पर पार्क कर रोजमर्रा के कार्य करने में लीनहो जातें हैं। कोई देखने वाला नहीं की वाहन मुख्य सड़क पर पार्क कर दी गयी है। और तो और मुख्य सड़क पर पार्क कराकर पार्किंग टैक्स की वसूली भी की जाती है। आज की तिथि में बिष्टुपुर एरिया के मुख्य सड़क का आधा भाग तो वाहनों के ही पार्किंग से भरा परा रहता है। समूचा बिस्टुपुर एरिया देखने से ही किसी पार्किंग स्थल सा प्रतीत होता है। कोई देखने वाला नहीं, कोई एक्शन लेने वाला नही।
- कुछ इसी तरह के हालात साक्ची एरिया के भी हैं। जहाँ तहां खोमचे वाले, ठेले वाले, टेम्पू वाले अपने अपने मनमुताबिकजगह पर तैनात हैं। किसी को किसी की परवाह ही नहीं है। किसी को किसी का डर ही नहीं है। कोई देखनेवाला ही नहीं है। जहाँ से जिसको शार्टकट दिखता है वहीँ से अपना काम चला लेता है, किसी को किसी नियम से कोई सारोकार नहीं है। जिसको जहाँ बिज़नस दिखता हैंवो वोहीं अपनी दूकान लगा लेता हैं।
- सबसे मजेदार नज़ारा तो रेलवे स्टेशन के ओवर ब्रिज से पहले का हैं। ओवर ब्रिज क्रॉस करने से पहले ट्रैफिक जाम का नज़ारा मिलना आम बात हैं। सब्जी वालों के समान टेम्पुओंमें यहाँ हमेशा ही लोड - अनलोड होते रहतें हैंजिसके कारण ट्रैफिक जाम रहता हैं। एक दो नहीं कई की संख्याओं में टेंपो मुख्य सड़क पर खड़ी रहती हैं और सब्जी वालों के सामान लोड - अनलोड बिना किसी रुकावट के दिन भर होते रहतें हैं। इसके ठीक आगे ओवर ब्रिज से ठीक पहले एक टेम्पू स्टैंड भी अपने बिज़नस को अंजाम तक पहुँचने का काम करतें हैं। पता नहीं क्यूंइस टेम्पू स्टैंड को आज तक इस जगह से कोई हटा नही पाया जबकि इससे ट्रैफिक की गंभीर समस्या उत्पन्न होती हैं। और तो और नो एंट्री समय में भी यहाँ से बड़ी गाड़ियों को पास कराया जाता हैं। ये सब देखकर तो लगता हैं की नए ओवर ब्रिज का जो फायदा आम लोगों को होना चाहिए वो आज तकआम लोगों को नसीब नही हुआ हैं।
- बिस्टुपुर हो या साक्ची या फ़िर स्टेशन हो या जुगसलाई कहीं भी सड़क के बगल वाली जगह जो पैदल चलने वाले लोगों के लिए रहती है, का अस्तित्व विलुप्त हो चुका है। दुकानदारों नें पैदल चलने वाले जगह को अतिक्रमित कर अपने दुकानों होटलों को मुख्य सड़क तक विस्तारित कर लिया है जिसे कोई देखने वाला नहीं। दुकानें धीरे धीरे आगे करके सड़क तक ला दी गयीं हैं मगर कोई इस पर एक्शन लेने वाला नहीं।
- ट्रैफिक समस्याओं में अपना बहुत बड़ा योगदान इस शहर में चल रहीं बसें भी दे रहें हैं जो जब मन चाहा जहाँ मन चाहा वहीँ रोककर अपने ग्राहक को उठा लेती हैं या फिर उतार देतीं हैं। बस स्टैंड नाम की कोई चीज ही नहीं रह गयी हैंकोई ये देखने वाला नहीं की बस मुख्य सड़क पर खड़ी हैं और अपने ग्राहकों को मज़े से उतार रहीं हैं या उठा रहीं हैं। सबसे मजेदार पहलु तो ये हैं की जमशेदपुर के लगभग सभी बस स्टैंड पर टेंपो वालों का कब्जा हो गया हैं। कई बस स्टैंड तो टेंपो वालों के आरामगाह बन गए हैं। किसी को इसकी परवाह नहीं है। कोई एक्शन लेने वाला नहीं है।
We are all INDIAN before a Hindu, Muslim, Sikh aur Isai or a Bihari, Marathi, Bengali etc. Love to all human being........
बुधवार, 22 जुलाई 2009
जमशेदपुर में ट्रैफिक की समस्या
जमशेदपुर आज ट्रैफिक समस्याओं से बुरी तरस से ग्रसित है। मगर ना जाने क्यूंकिसी को इसकी परवाह नहीं है। चाहे बिस्टुपुर हो या स्टेशन एरिया या फिर साक्ची हो अथवा शहर के दुसरे इलाके हों सभी ट्रैफिक समस्यायों से बुरी तरह से ग्रसित हैं।
सदस्यता लें
संदेश (Atom)